नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में फीड का एक अहम रोल है. जितना अच्छा फीड मुर्गियों को दिया जाएगा उत्पादन भी उतना ही बेहतर मिलेगा. इसलिए पोल्ट्री फार्मर्स को हमेशा ही पोल्ट्री के फीड पर ध्यान देना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि बेहतर कुक्कुट नस्लों का ग्रोथ रेट देशी मुर्गियों मुकाबले ज्यादा होता है. ये देशी कुक्कुट की तुलना में अधिक अंडे भी देती हैं. जबकि मीट भी इनका ज्यादा होता है. इसलिए, मुर्गियों से और ज्यादा प्रोडक्शन लेने के लिए हमेशा ही बेहतरीन क्वालिटी का फीड देना चाहिए. इससे फायदा मिलेगा.
एक्सपर्ट का कहना है कि उच्चस्तर के पोषण की आवश्यकता हमेशा ही बनी रहती है. खासतौर पर नर्सरी में पालन करने वाले पोल्ट्री को फ्री एरिया में क्लेंजर का अवसर नहीं मिलता है. इसलिए इन्हें संतुलित (समेंकित) फीड दिया जाना चाहिए. ये भी ध्यान देना चाहिए कि जो फीड दिया जा रहा है उसमें मेटाबोलिज्म एनर्जी, प्रोटीन, महत्वपूर्ण अमीनो एसिड, सूक्ष्म और दीर्घ खनिज और सभी विटामिन की आवश्यक मात्रा हो.
सिर्फ अनाज ही नहीं देना चाहिए
ताकि जिससे ये नस्ल बेहतर शरीर भार प्राप्त कर सकें ताकि इनका दाम भी ज्यादा बढ़ जाए. इन पोषक तत्वों की आवश्यकता काफी हद तक पोल्ट्री नस्ल पर निर्भर करती है. इस लिमिटेड पालन की ड्यूरेशन के दौरान पोल्ट्री को केवल अनाज देना पर्याप्त नहीं होगा. इससे नुकसान होगा. एक्स्पर्ट के मुताबिक ऐसा करने से शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाएगा. मुर्गियों में लंगड़ापन, चक्कर और जिल्द की सूजन जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. इसलिए, शुरुआती 6 सप्ताह के दौरान चूजों को बैलेंस्ड कॉम्बिनेशन वाला फीड खिलाया जाना चाहिए और ब्रूडर गृह में समान रूप से चूजों के खाद्य पात्र में खाद्य प्रदान किया जाना चाहिए.
फीड के बर्तन का भी रखें ख्याल
इसके साथ ही यह तय करना बहुत महत्वपूर्ण है कि झुंड में छोटे से छोटे चूजे तक भी फीड की आसानी से पहुंच हो सके. फीड दिन में कम से कम 2 बार दिया जाना चाहिए और हर समय सिर्फ फीड के बर्तन का 75 फीसदी भाग ही भरना चाहिए. क्योंकि फीड बहुत महंगा होता है. इसलिए इसे खराब या बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए. फीड बोरियों को ऐसी जगह रखें जो सूखी और ओर हवा न जाए. फीड के बर्तन में फीड देते समय कोई कूड़ा-करकट / तृण सामग्री ना हो. जैसे-जैसे पक्षी बड़े होते हैं, बर्तन की ऊंचाई भी बढ़ाई जाती है. फीड बर्तन का ऊपरी हिस्सा पक्षी की औसत पीठ के स्तर पर स्थित होना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पक्षियों को खाद्य ग्रहण करने में कठिनाई तो नहीं आ रही है.
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