Home पशुपालन Disease: पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए इन दो टिप्स पर आज से ही काम शुरू करें पशुपालक, मिलेगा फायदा
पशुपालन

Disease: पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए इन दो टिप्स पर आज से ही काम शुरू करें पशुपालक, मिलेगा फायदा

Foot-and-mouth disease, lameness disease, black quarter disease, strangulation disease, hemorrhagic septicemia, HS, live stock, live stock animals, animal husbandry, animal husbandry, animals sick in rain
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालन में पशुपालकों को सबसे ज्यादा नुकसान पशुओं की बीमारी के कारण होता है. जब पशु बीमार पड़ जाते हैं तो उत्पादन को घटता ही है. वहीं अगर बीमारियों ने गंभीर रूप ले लिया तो फिर पशुओं की मौत से बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ जाता है. अगर पशुपालका चाहते हैं कि उनके पशु बीमार न हों तो सिर्फ बाड़े की सफाई और पशुओं की सफाई से ही काम नहीं चलेगा. बल्कि उन्हें पशुओं के खाने-पानी पर भी ध्यान देना होगा. पशुओं को जो खाना दिया जा रहा है वो दूषित न हो. पानी भी साफ हो. अगर यहां लापरवही की गई तो फिर भी पशु बीमार पड़ सकते हैं.

बताते चलें कि गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना ने “पशुधन फार्म और जैव सुरक्षा” विषय पर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया. जहां पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय ने पशुधन फार्मों की जैव सुरक्षा पर जोर दिया गया. विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. प्रकाश सिंह बराड़ ने कहा कि संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने और इन उद्यमों को अधिक लाभदायक बनाने के लिए पशुधन फार्मों में जैव सुरक्षा उपायों को अपनाना महत्वपूर्ण है.

वैक्सीनेश की अ​हमियत को बताया
वहीं सेंटर फॉर वन हेल्थ के निदेशक डॉ. जसबीर सिंह बेदी ने पशुधन फार्मों में जैव सुरक्षा की कॉन्सेप्ट को के महत्व को समझाया. उन्होंने बीमारी की घटनाओं को रोकने के लिए खेत, भोजन और पानी की स्वच्छता पर जोर दिया. उन्होंने पशुओं के शव और मलमूत्र के वैज्ञानिक निपटान के तरीकों के साथ-साथ बीमारी के प्रकोप की स्थिति में उठाए जाने वाले कदमों पर भी चर्चा की. पशुधन फार्म निदेशालय के प्रोफेसर डॉ. सिखतजिंदर सिंह ने फार्म के प्रवेश द्वार पर फुट बाथ, उपयुक्त फार्म बाड़े, बीमार और हाल ही में खरीदे गए पशुओं का संगरोध, टीकाकरण और अन्य उपायों के बारे में बताया.

बायो सिक्योरिटी स्टेप को करें फॉलो
सेंटर फॉर वन हेल्थ के सहायक प्रोफेसर डॉ. पंकज ढाका ने बीमारी फैलने के तमाम रास्तों पर जोर दिया. उन्होंने खेत मजदूरों की क्षमता विकास के साथ-साथ उनकी साफ-सफाई पर जोर दिया. एनआरडीडीएल, जालंधर के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. चरनजीत सिंह सारंगल ने बताया कि पशुपालन विभाग पशुपालकों को जैव सुरक्षा की अवधारणा के बारे में जागरूक करने की पूरी कोशिश कर रहा है. पिछले कुछ समय में विभाग की सतर्कता से कई बीमारियों के प्रकोप को रोका जा सका है. उन्होंने आगे बताया कि विभाग बीमारी के प्रकोप को रोकने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है. प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री दलजीत सिंह गिल ने विश्वविद्यालय की अवधारणा और प्रयास की सराहना करते हुए बताया कि लगभग पचास प्रतिशत किसान समुदाय विभिन्न कारणों से जैव सुरक्षा उपायों का पालन नहीं कर रहे हैं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पशुपालन

Animal News: साल 2030 तक भारत में 300 बेसहारा हाथियों को सहारा देगी ये संस्था, बनाया ये 5 प्लान

बुद्धिमान और सामाजिक जानवर यह हाथी नेत्रहीन, एकान्त जीवन और गंभीर चोटों...

Semen Bank, Sahiwal, Rathi, Desi Cow, Embryo Transplantation Technology, Pandit Deendayal Upadhyaya University of Veterinary Sciences, Mathura
पशुपालन

Dairy Animal: कमजोर पशु को 15 दिनों में तंदुरुस्त कर देगा ये फल

कुछ दिनों में यह समस्या दूर हो जाएगी. वहीं पशु की अगर...

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: पशु को कब करना चाहिए डीवार्मिंग, न करने के क्या हैं नुकसान, जानें यहां

जिसकी वजह से उनके पेट में कीड़े चले जाते हैं और उन्हें...