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Animal Husbandry: रोग दूर करने के लिए पशु चिकित्सा अधिकारियों को दी गई ट्रेनिंग

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ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लेने वाले एक्सपर्ट और पशु चिकित्सक.

नई दिल्ली. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, लुधियाना ने पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करके मध्य प्रदेश के पशुपालन विभाग के 10 पशु चिकित्सा अधिकारियों को ट्रेनिंग दी. विस्तार शिक्षा निदेशालय के साथ विश्वविद्यालय के पशु रोग अनुसंधान केंद्र, पशु चिकित्सा सर्जरी और रेडियोलॉजी विभागों की ओर से ‘इमेजिंग और प्रयोगशाला तकनीकों का उपयोग करके पशु रोग निदान में हालिया रुझान‘ शीर्षक वाला प्रशिक्षण आयोजित किया गया था.

परजीवी रोंगों के निदान के बारे में दी जानकारी
प्रशिक्षण के प्रभारी एडीआरसी और पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. मनदीप सिंह बल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रतिभागियों को हेमटो.बायोकेमिकल, यूरिनलिसिस और इसकी व्याख्या पर व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ.साथ पशुधन के प्रमुख माइक्रोबियल और परजीवी रोगों के प्रयोगशाला निदान के संबंध में व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया गया था. डॉ. विशाल महाजन, प्रधान वैज्ञानिक एडीआरसी ने प्रतिभागियों को पशु रोग के प्रकोप के दौरान नमूनों के संग्रह और प्रेषण के बारे में भी प्रशिक्षित किया. पशु चिकित्सा सर्जरी और रेडियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. नवदीप सिंह, ने रेडियोग्राफी और अल्ट्रासोनोग्राफी से संबंधित उन्नत इमेजिंग प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया और प्रतिभागियों के लिए व्यावहारिक सत्र आयोजित किया. प्रशक्षिण हासिल करने वालों को विश्वविद्यालय पशु चिकित्सालय में प्रस्तुत होने वाले दिन.प्रतिदिन के मामलों के बारे में भी अवेयर किया गया.

एक्सपर्ट ने प्रशिक्षण के फायदे के बारे में बताया
विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. प्रकाश सिंह बराड़ ने प्रशिक्षण के सफल समापन पर प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण क्षेत्र के पशु चिकित्सकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. इस तरह के प्रशिक्षणों से बेहतर रोग निदान में सहायता मिलेगी. जिससे समग्र पशु स्वास्थ्य देखभाल और पशुपालकों को सेवा वितरण में सुधार करने में भी सहायता मिलेगी. इससे पशु पालकों को भी फायदा होगा और उत्पादन भी बढ़ जाएगा. वहीं फीडबैक सत्र के दौरान प्रशिक्षुओं ने विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सालय में उपलब्ध नैदानिक सुविधाओं की सराहना की. प्रशिक्षण का समन्वयन डॉ. गुरसिमरन फिलिया, प्रधान वैज्ञानिक और डॉ. अमनदीप सिंह, सहायक प्रोफेसर द्वारा किया गया.

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