Home पशुपालन Animal husbandry: आसमान से बरस रही आग, इस प्रदेश की सरकार ने गोवंशों को छांव में रखने के दिए निर्देश
पशुपालन

Animal husbandry: आसमान से बरस रही आग, इस प्रदेश की सरकार ने गोवंशों को छांव में रखने के दिए निर्देश

Animal husbandry, heat, temperature, severe heat, cow shed, UP government, ponds, dried up ponds,
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भीषण गर्मी ने पूरे जनजीवन को अस्तव्यस्त कर दिया है. इसमें लोगों से लेकर पशु-पक्षी भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं. ये बेजुबान अपनी बात को किसी से कह नहीं सकते तो सरकार ने पहले से ही इनकी देखभाल के निर्देश दिए हैं. यूपी सरकार ने सभी जिलों के डीएम को निर्देशित किया है हर हाल में पशुओं की देखभाल करें. उन्हें चारे की कमी न होने दें तो पानी भी मुहैया कराया जाए. हालांकि सरकार का ये निर्देश गोशालाओं में रह रहे गोवंशों का लेकर आया है. उत्तर प्रदेश के सभी ​जिलों के डीएम ने अपन-अपने जिले के सीवीओ को इस आदेश का सख्ती से पालन करने को कहा है. निर्देश मिलने के बाद सीवीओ अपने-अपने स्तर से चारे-पानी और छांव की व्यवस्था कराने में जुट गए हैं.

धीरे-धीरे गर्मी ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया. गांव में पशु पक्षियों के लिए सहारा सिर्फ तालाब है. गांव में पशुओं को पानी पिलाने का साधन तालाब ही है. पशुओं के अलावा पक्षियों को भी तालबों के पानी से बहुत राहत मिलती है. गर्मी पड़ते ही तालाब सूख गए हैं. यह तालाब भी सूखने लगे हैं. ऐसे में बूंद-बूंद पानी के लिए जानवर परेशान हैं. गर्मी में सूख रहे तालाबों को फिर से भरने का निर्देश यूपी सरकार की ओर से दिया गया है, जिससे पशुओं के आगे पानी की समस्या न रहे.

भूसे का पहले से ही किया जा रहा है इंतजाम
गर्मियों में जगह-जगह चारे की कमी हो जाती है. किसानों को बहुत मुश्किल से पशुओं के लिए चारा मिल पाता. ऐसे में पशुओं के लिए पौष्टिक और हरा चारा कहां से लाएं. इसे लेकर पशुपालक बहुत ज्यादा परेशान रहते हैं. कई जिलों में तो प्रशासन अपने स्तर से चारे की कमी को दूर करने क लिए नए—नए तरीके अपनाता है. महाराष्ट्र के लातूर जिले में प्रशासन ने जिले से बाहर चारे के ले जाने पर पाबंदी लगा दी है. वहीं उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिला प्रशासन की ओर से गोशालाओं के लिए भूसा दान में मांगा जा रहा है. भूसा दान करने वाले को डीएम खुद सम्मानित कर रहे हैं. अपील के बाद लोग जमकर भूसा दान भी कर हैं, कुछ लोग भूसा नहीं दे सकते तो चारे के लिए पैसा दान में दे रहे हैं. हर जिले में गोवंशों के लिए सैकड़ों क्विंटल भूसा जमा हो गया है.

तालाबों को भरने के निर्देश
इस बार अप्रैल में ही गर्मी ने अपना रूप दिखना शुरू कर दिया था. गांव में पशु पक्षियों के लिए सहारा सिर्फ तालाब है. यह तालाब भी सूखने लगे हैं. ग्रामीण क्षेत्र में कम रकवा वाले तालाबों का पानी सूख गया है. ऐसे में बूंद-बूंद पानी के लिए जानवर परेशान हैं. मई के मध्य में तो आसामान से आग बरस रही है. इसे लेकर यूपी सरकार ने तालाबों को भरने के निर्देश दिए हैं, जिससे एक तो वाटर लेबल ठीक बना रहेगा दूसरा गोवंशों के लिए पानी की कमी नहीं होगी.

छांव में ही रखें गोवंशों को
वैसे तो अप्रैल से ही गर्मी पड़ना शुरू हो गई थी लेकिन मध्य मई आते-आते आसमान से आग बरसने लगी है. हालात ये हो गए हैं कि सुबह दस बजे के बाद सड़कों पर कर्फ्यू जैसे हालात नजर आते हैं. लोग तो घरों में रुक जाते हैं लेकिन पशु-पक्षी क्या करें. जून की गर्मी आने पर क्या हाल होगा. इनके लिए यूपी सरकार ने गोशाला में ही बने शेड में रहने के निर्देश दिए हैं. सरकार ने गोवंशों को धूप से बचाने के लिए उन्हें छांव में रखने के निर्देश दिए गए हैं. पशु चिकित्सक भी गोआश्रय स्थल जाकर गोवंश की निगरानी कर रहे हैं. निकायों व पंचायतों के अधिकारियों के गोवंश का समय से भूसा व ताजा पानी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है. गर्मी से बचाने के लिए दोपहर के समय गोवंश को शेड्स में रखा जा रहा है.

डॉक्टरों को भी लगाया है देखभाल के लिए
उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में 18 गो आश्रय स्थलों में रह रहे 6100 गोंवश को भीषण गर्मी से बचाने की कवायद पशु चिकित्सा विभाग ने शुरू कर दी है. गोश्राय स्थलों में गोंवश को गर्मी से बचाने के उपाय करने व उन्हें तालाब में ताजा पानी भरने के लिए कहा है. गर्मी में गोंवश का चारा भी समय से खिलाने के लिए कहा गया है. सीवीओ विजयवीर चंद्रयाल ने बताया कि गोआश्रय स्थलों में रह रहे गोंवश का गर्मी से बचाने के लिए उन्हें छांव में रखने के निर्देश दिए गए हैं. पशु चिकित्सक भी गोआश्रय स्थल जाकर गोवंश की निगरानी कर रहे हैं. निकायों व पंचायतों के अधिकारियों के गोवंश का समय से भूसा व ताजा पानी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है. गर्मी से बचाने के लिए दोपहर के समय गोवंश को शेड्स में रखा जा रहा है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

जैसे बच्चा बाहर आ जाए, उसे पशु को चाटने देना चाहिए. जिससे उसके शरीर में लगा श्लेषमा सूख जाए. जरूरत हो तो साफ नरम तौलिया से बच्चे को साफ कर दीजिए.
पशुपालन

Animal Husbandry: गर्भ के समय कैसे करें पशुओं की देखभाल, जानिए एक्सपर्ट के टिप्स

जैसे बच्चा बाहर आ जाए, उसे पशु को चाटने देना चाहिए. जिससे...

सफेद कोट का रंग होता है. नर में चेहरे, गर्दन और पिछले पैरों पर लंबे बालों का गुच्छा होता है.
पशुपालन

Assam Hill Goat: असम की पहचान है ये पहाड़ी बकरी, जानिए इसकी खासियत और ये जरूरी बात

सफेद कोट का रंग होता है. नर में चेहरे, गर्दन और पिछले...

गंभीर दस्त से पीड़ित भैंस को अक्सर अंत शीला पोषण की आवश्यकता होती है. किसी अन्य जानवर के रुमेन ट्रांसपोर्टेशन उन जानवरों के लिए सहायक हो सकता है जिन्हें खाना नहीं दिया गया है. या जो अनाज की अधिकता जैसे विशाल अपमान का सामना कर रहे हैं.
पशुपालनसरकारी स्की‍म

Green Fodder: यूपी में पशुओं के लिए चारा उत्पादन बढ़ाने को सरकार चला रही है ये योजना

जो खेती योग्य भूमियों से भिन्न प्रकार की भूमियों में जैसे बंजर...