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Goat Farming: बकरियों के लिए चारा खिलाने में आती हैं क्या परेशानियां, इन 12 प्वाइंट्स में पढ़ें

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शेड में किया जा रहा बकरी पालन. live stock animal news

नई दिल्ली. पशुपालन में बकरी फार्मिंग एक ऐसा व्यवसाय है जो गरीब लघु और बिना जमीन वाले किसान भी करते हैं. पशुपालन में जिस तरह से गाय और भैंस को संतुलित आहार की जरूरत होती है, ठीक उसी तरह से बकरियों को भी होती है. बकरी को ज्यादातर मीट के लिए पाला जाता है लेकिन अब इसका दूध भी बड़े पैमाने पर बिक रहा है. खासतौर पर तब जब डेंगू जैसी ​बीमारी का प्रसार होता है. तब इसके दूध की कीमत बहुत ज्यादा हो जाती है. ऐसे में अगर बकरी को संतुलित आहार न दिया जाए तो फिर बकरी कमजोर हो जाएगी और न ही दूध का प्रोडक्शन होगा और न ही क्वालिटी वाले मीट का.

एक्सपर्ट का कहना है कि बकरी पालक आमतौर पर बकरियों को बेकार पड़ी जमीन पर चराने के लिए लेकर चले जाते हैं. कई बार सड़क के किनारे नदी व नहर के किनारे चर कर चारा प्राप्त करती हैं. उनका पेट तो भर जाता है लेकिन गुणवत्ता वाला चारा उन्हें नहीं मिल पाता है. कई बार तो उन्हें सही मात्रा में चारा मिल भी नहीं पाता है. जिससे कि किसान बकरियों से अच्छा उत्पादन नहीं ले पाते हैं. बकरियों के लिए चारा उत्पादन में कुछ दिक्कते हैं, जिनके बारे में इस आर्टिक में आपको बताया जा रहा है. डोरी लाल गुप्ता एवं राजकुमार सिंह

1.एक्सपर्ट का कहना है कि बकरियों के चरने वाली जमीन बारिश पर आधारित होती हैं तथा हरे चारे की उलब्धता सिर्फ बरसात के महीनों में ही रहती है.

2.चराई वाली जमीनें ज्यादातर बेकार वनस्पतियों से भरी रहती हैं, जिनको कि बकरियां नहीं खाती हैं.

  1. वहीं जिन किसानों के पास जमीन नहीं होती और वो सीमान्त किसान होते हैं तो वो बकरियों के लिए चारे की खेती नहीं कर पाते हैं.
  2. भूमि की दशा व जलवायु के अनुकूल चारा फसलों में प्रजातियों कमी भी होती है.
  3. गैर परम्परागत चारा सोर्स की जानकारी नहीं होती है.
  4. सिंचाई के माध्यमों का चारा फसलों में कमी होती है.
  5. चारा प्रोडक्शन के तहत अधिक क्षेत्रफल का न होना भी समस्या है.
  6. लो ग्रेड चारा सोर्स भूसा आदि की गुणवत्ता में तकनीक की कमी.
  7. चारा फसलों का बाजारी मूल्य न होने के कारण किसान कम रूचि लेते हैं.
  8. चारे के स्टोरेज के लिए अधिक स्थान की जरूरत होने के कारण भण्डारण में भी समस्या होती है.
  9. चारे के पौष्टिक के लिए किसानों को जानकारी न होना.
  10. चारा फसलों के लिए वेरीफाइड बीजों की कमी होना.

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