नई दिल्ली. बकरी पालन में बकरी के बाड़े का अहम रोल है. एक्सपर्ट कहते हैं कि बकरियों को खुले आसमान के नीचे रखने की बजाय यदि एक ऐसी जगह पर रखा जाये जो कि सिर्फ ऊपर से ढकी हो तो उससे भी उनको राहत मिलती है. 30 प्रतिशत गर्मी ऊपर से आती है. ऊपर ढकने से यह गर्मी पशुओं तक नहीं पहुंच पाती है. ज्यादातर गांवों में पशुओं के लिये छप्पर की छतें बनाई जाती हैं और बाड़े के आसपास सीमेंट अथवा लोहे की जीआई. नालीदार चद्दरों से पशुओं के लिए लगाए जाते हैं. रिसर्च से पता चला है कि एसबेस्टस अथवा लोहे की चद्दरों की तुलना में छप्पर गर्मी अथवा ठण्ड रोकने में ज्यादा अनुकूल है पर छप्पर जल्दी खराब हो जाते हैं तथा इनमें आग इत्यादि लगने का भय बना रहता है.
छप्पर पर मिट्टी के गारे, भूसे एवं तारकोल को मिलाकर लेप करके इसे सुधारा जा सकता है, जिससे कि ये जल्दी खराब नहीं हों, भीगे नहीं तथा आग भी देर से पकड़े. प्रयोग से यह देखा गया है कि सुधरे छप्पर, अन्य छप्परों से ज्यादा अच्छे तथा गर्मी, ठण्ड तथा नमी को रोकने में सहायक होते हैं.
लोहे के तार लगाना चाहिए
बकरियों का बाड़ा उनके छत वाले आवास से सटा हुआ होता है. बाड़ा चारों तरफ से घिरा होता है. 1.5 मीटर से 2 मीटर ऊंची 4″ की जाली (चेन लिंक) इस के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. जाली लगाने के लिए 2 से 3 मीटर की दूरी पर लकड़ी की बल्ली अथवा लोहे के खम्बे जमीन में गाड़े जाते हैं. जाली को सीधा रखने के लिये उसके ऊपरी एवं नीचे हिस्से में लोहे जीआई. के मोटे तार डाले जा सकते हैं. बांस एवं बल्लियों से भी बाड़े बनाये जा सकते हैं. बाड़े के एरिया छत वाली जगह का दोगना रखा जाता है.
कितनी रखी चाहिए लंबाई
बकरी आवास की लम्बाई जरूरत के मुताबिक रखी जा सकती है लेकिन हवादार बनाने के लिए चौड़ाई किसी भी हालत में 12 मीटर से ज्यादा नहीं रखनी चाहिये. चौड़ाई को जगह के अनुसार 6 मीटर से 8 मीटर के बीच में रखना उचित रहता है. इससे हवा के बहाव में कोई दिक्कत नहीं आती है. इसी तरह, आवास की ऊंचाई, किनारे पर 2.7 मीटर से कम नहीं रखना चाहिए. ज्यादातर बकरी आवासों की लम्बाई 20 मीटर, चौड़ाई 6 मीटर तथा किनारे पर ऊँचाई 2.7 मीटर रखी जाती है.
कौन से उपकरण लगाने चाहिए
बकरी के दाने तथा चारे में सबसे ज्यादा लागत लगती है. साथ ही सबसे ज्यादा नुकसान दाने, भूसे तथा चारे को रखने एवं उन्हें खिलाते समय होता है. अधिकांशतः बकरियों को भोजन ऐसे उपकरणों में दिया जाता है जिसमें बकरियों या तो पैर डाल देती हैं या उनमें उनका पेशाब एवं मेंगनी चली जाती है. खाने के समय काफी दाना-चारा बाहर भी गिर जाता है. अधिकतर प्रचलित उपकरण या तो दाने या भूसे के लिये हैं या फिर चारे के लिये. इस विसंगतियों को दूर करने के लिये केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान ने कुछ ऐसे उपकरण बनाये हैं जिनमें दाना, भूसा एवं हरा चारा सभी कुछ एक साथ अथवा अलग-अलग खिलाया जा सकता है. इन उपकरणों में दाने चारे का नुकसान भी कम होता है तथा उसमें पेशाब अथवा मेंगनी नहीं रहती है. जानवरों एवं बच्चों के लिये अलग-अलग तरह के उपकरण बनाये गये हैं। बच्चों के पानी पीने के लिये भी सुधरे उपकरण विकसित किये गये हैं.
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