Home पशुपालन Cow Dieses: राजस्थान में इस लाइलाज बीमारी से 30 दिन में 1500 गायों की मौत, गांवों में लगे शवों के ढेर
पशुपालन

Cow Dieses: राजस्थान में इस लाइलाज बीमारी से 30 दिन में 1500 गायों की मौत, गांवों में लगे शवों के ढेर

livestock animal news
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. राजस्थान के जैसलमेर से बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है. यहां एक बीमारी ने कोहराम मचा रखा है. पशुओं में होने वाली कर्रा बीमारी की वजह से पिछले 30 दिनों के अंदर 1500 से अधिक दुधारु गायों की मौत हो चुकी है. इस बीमारी कुछ ऐसा हो रहा है कि गाय के आगे के पैर जकड़ जा रहे हैं और फिर गाय चलना बंद कर कर देती गायों के मुंह से लार टपकती है और चारा खाना व पानी पीना भी बंद कर देने से वो बेहद कमजोर हो जाती है और फिर पशु की 4 से 5 दिन में मौत हो जा रही है. गंभीर बात ये है कि इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है.

मीडिया के रिपोर्ट के मुताबिक जैसलमेर के सांवता, भैंसड़ा, बैतीणा, लाला, कराड़ा, नया कराड़ा, भोपा, भीखसर, रासला, मुलाना, चांधन, लाठी, मेहराजोत क्षेत्र में कर्रा बीमारी की वजह से पशुओं की मौत हो रही है. 2022 में लंपी बीमारी ने गायों पर कहर बरपाया था. अब कर्रा रोग ने कोहराम मचा दिया है. कर्रा रोग गायों में तेजी से फैल रहा है और पशुपालक हाथ मलते रह जा रहे हैं. वो गायों को बचा नहीं पा रहे हैं, जिससे उन्हें बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. जबकि पंचायतें व पशुपालन विभाग भी कोई खास कदम उठाता नजर नहीं आ रहा है.

पशुपालन विभाग बरत रहा लापरवही
ग्रामीणों का कहना है कि पशुपालन विभाग व पशुपालकों की लापरवाही भी कर रहे हैं. कर्रा रोग से ग्रसित होकर गाये दम तोड़ रही हैं लेकिन मृत गायों के शवों का निस्तारण सही तरीके से नहीं किया जा रहा है. वहीं ग्रामीण गायों के शवों को गांव के पास ही खुले में छोड़ रहे हैं. इससे दूसरी गाये शवों के अवशेष व हड्डियों को चाट ले रहीं हैं, जिसके चलते वो भी बीमार पड़ जा रही हैं. जबकि इस तरह की बीमारी होने पर गायों के शवों को गड्‌ढ़ा खोद कर दफना देना बेहतर होता है. हालांकि ऐसा नहीं किया जा रहा है. ग्रामीणों का आरोप है कि इसको लेकर ग्राम पंचायतें व पशुपालन विभाग भी ठोस इंतजाम नहीं कर रहे है.

लंपी रोग ने मचाया था कहर
गौरतलब है कि साल 2022 में जिले में लम्पी स्किन डिजीज बीमारी ने गायों पर जमकर कहर बनकर टूटी थी. सरकारी रिकॉर्ड में लम्पी से सिर्फ 982 गायों की मौत बताई गई थी. जबकि गौशालाओं सहित जिलेभर में करीब 5 हजार से अधिक गायें लम्पी बीमारी की चपेट में आकर काल का ग्रास बन गई थी. अब कर्रा रोग गायों में तेजी से फैल रहा है. इस संबंध में पशुपालन विभाग के संयुक्त निर्देशक डॉ. कमलेश कहते हैं कि अनुसार गर्मियों के मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में गायों के मृत पशुओं के अवशेष व हड्डियां आदि खाने से पशुओं में कर्रा रोग होता है. ऐसा तब होता है जब दुधारू गायों के शरीर में फासफोरस एवं अन्य पोषक तत्वों की कमी होती है. इस वजह से वे पशु मृत पशुओं की हड्डियां खाना शुरु कर देते हैं.

कैसे किया जा सकता है बचाव
एक्सपर्ट कहते हैं कि कर्रा रोग से बचाव तरीका ये है कि पशुपालक अपने दुधारू पशुओं को घर में बांध कर रखें। मृत पशुओं के शवों का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से गड्डा खोद कर दफना कर किया जाए. एवं ग्राम पंचायत के सहयोग से गांव से 2-3 किमी की दूरी पर चार दीवारी बना कर बंद बाड़े में मृत पशुओं के शवों को डालें. वहीं मिक्सर पाउडर को ले जाकर दुधारू पशु को प्रतिदिन 50 ग्राम पाउडर व नमक दाने के साथ नियमित रुप से खिलाएं. कर्रा रोग से बचाव के लिए ये बचाव ही उपचार है, इसकी पालना जरुर करें.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

sheep farming
पशुपालन

Animal Husbandry: गरीब किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए यहां बांटी गईं बकरियां और भेड़

अधिकारियों ने बताया कि बकरी और भेड़ को इस वजह से किसानों...

animal husbandry
पशुपालन

UP में बेसहारा गोवंशों को सहारा देने के लिए शुरू हुआ कैटिल कैचिंग अभियान, पढ़ें डिटेल

8 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक विशेष अभियान चलाकर नगरीय क्षेत्रों में...