नई दिल्ली. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान यूनिवर्सिटी के डेयरी और कॉलेज आफ फूड साइंस टेक्नोलॉजी के प्रायोगिक डेयरी प्लांट (ईडीपी) के राजस्व में जबरदस्त इजाफा हुआ है. तीन वर्षों के कम अंतराल में ही 19 लाख से ये बढ़कर 2 करोड़ के पार पहुंच गया है. यूनिवर्सिटी की ओर से बताया कि साल 2020-2021 में 19.6 लाख था. वहीं 2024 में 2.02 करोड़ हो गया है. ये सफलता वैल्यू एडिशन, इनोवेटिव प्रैक्टिस और मार्केट स्ट्रेटजी की वजह से संभव हो सका है. वहीं कर्मचारियों के अथक मेहनत ने भी इस मंजिल तक पहुंचाया है.
कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने बताया कि वैल्यू एडिशन प्रोडक्ट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दूध में 8 फीसदी से 28 फीसदी का इजाफा हुआ है. इसके चलते राजस्व को 19.6 लाख से बढ़ाकर 2 करोड़ से अधिक हो गया है. वैल्यू एडिशन प्रोडक्ट रेंज ने ईडीपी की रेवेन्यू ग्रोथ को आगे बढ़ाने में अहम रोल निभाया है. कुल्फी, पिन्नी, दही, मोजरेला चीज, फ्लेवर्ड मिल्क, बर्फी, मिल्क केक, घी, व्हे ड्रिंक्स और हाल ही में लांच किए गए देसी घी बिस्कुट जैसे उत्पादों की शुरूआत ने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का विस्तार किया. जिससे ग्राहकों का व्यापक आधार आकर्षित हुआ और विभिन्न उपभोक्ता प्राथमिकताओं को पूरा किया.
कई प्रोडक्ट ने हासिल की लोकप्रियता
इन उत्पादों को बाजार में अच्छा रिस्पांस मिला. डॉ. सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के कालझरानी स्थित साहीवाल फार्म में क्रीम से तैयार और लुधियाना के पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय में प्रोसेसिंग प्रीमियम साहीवाल घी की शुरूआत वैल्यू एडिशन रणनीति का उदाहरण है. साहीवाल दूध सहकारी समितियों को 30-35 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जा रहा था, लेकिन इसके घी की बिक्री से दूध की कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक बढ़ गई है. अपनी बेहतरीन गुणवत्ता के लिए बेचे गए इस प्रीमियम उत्पाद ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की है. जिससे राजस्व में पर्याप्त वृद्धि और उच्च मांग में योगदान मिला.
एडवांस पैकेजिंग का मिला फायदा
इसी तरह डबल टोंड दूध की तैयारी ने भी अतिरिक्त वसा के साथ तैयार घी की बिक्री के माध्यम से राजस्व को बढ़ाने में मदद की. मानकों को पूरा करने के लिए पैकेजिंग को एडवांस किया गया और प्लास्टिक पॉलीफिल्म के स्थान पर पनीर के लिए वैक्यूम पैकेजिंग, टिन पैकिंग और साहीवाल घी के लिए कांच की बोतल पैकेजिंग जैसे अभिनव समाधान पेश किए गए. इन पैकेजिंग सुधारों ने न केवल उत्पाद की शेल्फ लाइफ बढ़ाई बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूक और गुणवत्ता चाहने वाले उपभोक्ताओं को भी आकर्षित किया. इसके अलावा, ईडीपी ने विभिन्न उत्पादों विशेष रूप से पनीर की उपज बढ़ाने के लिए अनुसंधान और विकास में निवेश किया, जिससे संसाधनों का कुशल उपयोग और फायदेमंद बनाया.
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