नई दिल्ली. कड़कनाथ मुर्गे के बारे में अब ज्यादातर लोग जान ही चुके हैं. ये दूसरी नस्ल के मुर्गा-मुर्गी से एकदम अलग होता है. इसका पालन करना बेहद लाभकारी व्यवसाय है. मीट और अंडे की डिमांड इस व्यवसाय को और आकर्षक व्यवसाय बनाती है. इस नस्ल की लोकप्रियता और व्यापार के फायदे का ही नतीजा है कि स्वदेशी कड़कनाथ मुर्गा केरल के एर्नाकुलम में बेहद लोकप्रिय होता जा रहा है. इसे लोकप्रिय करने में केवीके यानी कृषि विज्ञान केंद्र एर्नाकुलम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
कम लागत में मोटा मुनाफा
कड़कनाथ मुर्गा पोल्ट्री फार्मर की भी पसंद बनता जा रहा है. किसान इसे बैकयार्ड पोल्ट्री फार्म में पाल रहे हैं. इसके पीछे कम लागत में मोटा मुनाफा बताया जा रहा है.कृषि विज्ञान केंद्र, एर्नाकुलम ने जिले में 600 से अधिक बैकयार्ड (आंगन का पिछला हिस्सा) कड़कनाथ इकाईयों की स्थापना की है. केवीके ने एक किसान के साथ साझेदारी में कड़कनाथ के चूजे के लिए उपाश्रित पालन-पोषण ईकाई की स्थापना भी की है. इसके अलावा केवीके शुद्ध कड़कनाथ के मूल स्टॉक का रखरखाव भी कर रहा है. स्वदेशी बैकयार्ड मुर्गे-कड़कनाथ के प्रचार और संरक्षण के लिए सरकार के कार्यक्रम के अनुरूप पहल की गई है.
एमपी में बहुआयात संख्या में पाला जाता है कड़कनाथ
कड़कनाथ नस्ल की मुर्गियों की बात की जाए तो इसका असली जन्म स्थान भारत ही है. ये ज्यादातर मध्य प्रदेश में पाई जाती है. इसे काली मासी के नाम से भी जाना जाता है. ये नस्ल अच्छे स्वाद वाले मीट उत्पादन के लिए बहुत मशहूर है. एमपी के पश्चिमी हिस्सों, झाबुआ और धार जिले में पाए जाने वाले कड़कनाथ मुर्गे की एक देसी नस्ल है जिसका मास काला होता है. यह जलवायु परिस्थितियों के अंतिम सीमा को सहन कर सकता है और रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बहुत ज्यादा है.कड़कनाथ न्यूनतम प्रबंधन के साथ बेहद जल्द और अच्छी तरह से पनपता है. स्वदेशी नस्ल को लोकप्रिय बनाने के लिए केवीके, एर्नाकुलम 7 वर्षों से काम कर रहा है. कड़कनाथ के पालन-पोषण ने किसानों को वित्तीय लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाया है.
केवीके का मकसद हर किसान पाले कड़कनाथ
केवीके, एर्नाकुलम ने वर्ष 2012 से प्रकाशनों, समाचार पत्रों और दूरदर्शन के कार्यक्रमों के माध्यम से कड़कनाथ के वैज्ञानिक पालन की तकनीक को लोकप्रिय बनाया है. केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन, मुंबई से चूजों को 60 दिनों के लिए पाला गया, टीके लगाए गए और केवीके द्वारा नियमित बिक्री मेलों के माध्यम से किसानों को आपूर्ति की गई.
किसानों की आय भी हो रही दोगुनी
केवीके के माध्यम से आपूर्ति सुनिश्चित करने और चूजों के बड़े पैमाने पर पालन के उद्देश्य के लिए किसान शोभनन, कदामट्टुसरी, कुजुपली, एर्नाकुलम के क्षेत्र में केवीके की एक उपाश्रित पालन-पोषण ईकाई स्थापित की गई थी. यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी व्यवस्था अब किसान को 16,250 रुपए की मासिक आय अर्जित करने में मदद कर रही है.
छह साल में 5500 चूजों की आपूर्ति
वर्ष 2018 के दौरान, केवीके ने भविष्य में अच्छी गुणवत्ता वाले शुद्ध चूजों के उत्पादन के लिए किसान सुल्फ़थ मोइदीन, कट्टुपरम्बिल, एडवानक्कड़ पीओ, अनियिल के क्षेत्र में शुद्ध कड़कनाथ के मूल स्टॉक के रखरखाव की पहल की.केवीके के अनुसार 2013 से 2019 के दौरान आठ मेलों के माध्यम से 600 से ज्यादा किसानों को कुल 5,560 शुद्ध कड़कनाथ चूजों की आपूर्ति की जा चुकी है. केरल के उपभोक्ताओं के बीच देसी मुर्गे के मांस और अंडे को लोकप्रिय बनाने के लिए केवीके ने शुद्ध कड़कनाथ का मांस अपने बिक्री काउंटर पर उपलब्ध कराया है. यह सुविधा किसान को उचित मूल्य दिलाने में भी मदद कर रही है.
एक हजार रुपये किलो है कीमत
कड़क नाथ मुर्गी के अंडे बाजार में बहुत महंगे होते हैं. इसकी डिमांड भी खूब होती है. एक अंडे का मूल्य 50 रुपये तक होता है. वहीं कड़क नाथ मुर्गी के भाव की बात की जाए तो मुर्गी का रेट 900 से 1000 रुपये किलो होता है. इसके एक दिन के चूजे की कीमत 100 रुपये तक होती है. यदि आप इस नस्ल की मुर्गी का पालन कर लें तो लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं. ऐसे में पोल्ट्री संचालकों के लिए कड़क नाथ मुर्गी का पालन करना एक फायदे का सौदा साबित हो सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि कड़क नाथ चिकन पौष्टिक होताा है, जो कई प्रकार के फायदे पहुंचाता हैं.
बीमारी से भी बचाता है
इसके मीट में उच्च प्रोटीन सामग्री, कम वसा और आवश्यक पोषक तत्वों होता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ता है. दिल के लिए और मधुमेह के लिए भी यह अच्छा माना जाता है. काली मुर्गी का मीट और अंडे तपेदी को ठीक करने में भी खाए जाते हैं. कड़क नाथ मुर्गी के अंडे की बात की जाए तो इसके अंडे प्राकृतिक रूप से प्रोटीन और पोषक तत्वों का एक बड़ा स्रोत माने जाते हैं. उन्हें वजन घटाने के लिए भी बेहतरीन बताया जाता है. इसके अलावा यह काले अंडे गंभीर सिर दर्द, अस्थमा के लिए भी एक सरल इलाज हैं.
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