नई दिल्ली. इंसान की तरह से पशुओं को भी उनकी अवस्था के हिसाब से खाने-पीने की सलाह एनिमल साइंटिस्ट देते हैं. सेंट्रल इंस्टी्ट्यूट ऑफ बफैलो रिसर्च सेंटर (सीआईआरबी), हिसार, हरियाणा के साइंटिस्ट ने भैंसों की अवस्था के हिसाब से उनकी चार तरह की खुराक तय की हैं. खासतौर पर पशुओं को दिए जाने वाला दाना मिक्सचर. पशु किसी भी उम्र और अवस्था का हो, उसकी खुराक में दाना मिक्सचर का शामिल होना बहुत जरूरी है. सीआईआरबी के साइंटिस्ट ने भी अपनी रिपोर्ट में इसी महत्वपूर्ण सुझाव का जिक्र किया है.
उनका कहना है कि भैंसों की खुराक में जितनी जरूरत हरे और सूखे चारे की होती है, उतनी ही दाना मिक्सचर की भी है. चारे के साथ दाना मिक्सचर मिलाकर खिलाने से हरा चारा ज्यादा बर्बाद भी नहीं होता है. लेकिन दाना मिक्सचर को खिलाने का भी एक तरीका है. इसके चलते वो स्वादिष्ट और पाचक भी हो जाता है. इस खबर में सीआईआरबी द्वारा जारी एक रिपोर्ट की मदद से ऐसी ही एक जानकारी देने जा रहे हैं.
भैंस की इन चार अवस्थाओं में बदलनी होती है खुराक
भैंस को खुराक खिलाते वक्त ये यह ध्यान रखना चाहिए की वो खुराक किस भैंस को और किस मकसद से खिलाई जा रही है. क्योंकि जब ये पता होगा कि किस भैंस को और किस मकसद से दे रहे हैं तो वो उसके लिए फायदेमंद होगी. इसी को ध्यान में रखकर ही साइंटिस्ट ने भैंसों के लिए चार तरह की खुराक तैयार की है.
जीवन निर्वाह खुराक
बढ़वार खुराक
गर्भावस्था में दी जाने वाली खुराक
उत्पादकता खुराक.
जीवन निर्वाह खुराक– चारे और दाने की वह कम से कम मात्रा जो सिर्फ भैंस जीवन निर्वाह के लिए काफी है. एक ऐसी खुराक जिसे खाने से ना तो भैंस के वजन में कमी आएगी और ना ही बढ़ोतरी होगी. जीवन निर्वाह वाली खुराक की मात्रा भैंस के वजन पर निर्भर करती है. या फिर कहा जाए तो ज्यादा वजन वाली भैंस को जीवन निर्वाह के लिए ज्यादा खुराक की जरूरत होती है. एक एडल्ट् भैंस को दिए जाने वाले चारे के अलावा एक से दो किलो दाना खिलाना भी जरूरी होता है.
बढ़वार खुराक– आमतौर पर बढ़वार खुराक बछड़े को दी जाने वाली खुराक को कहा जाता है. क्योंकि बछड़ा ही ग्रोथ करने वाली कंडीशन में होता है. इस तरह की खुराक बछड़े के वजन को तो बढ़ाती ही है साथ ही बॉडी ग्रोथ में भी मदद करती है. इसे बढ़वार राशन भी कहा जाता है. जीवन निर्वाह के लिए दी जाने वाली खुराक में ही बढ़वार राशन को शामिल किया जाता है. साइंटिस्ट की मानें तो बढ़ते हुए बछड़ों को उनकी उम्र के मुताबिक आधा किलो से लेकर दो किलो तक दाना खिलाया जाता है. इसमे चारा शामिल नहीं है.
गर्भावस्था खुराक– एक भैंस जब गाभिन होती है तो उसे जीवन निर्वाह खुराक के अलावा गर्भ में पल रहे बच्चे के हिसाब से भी खुराक दी जाती है. गर्भावस्था के दौरान भैंस की खुराक जितनी अच्छी होगी तो उसका गर्भकाल और आने वाला बच्चा उतना ही अच्छा होगा. साइंटिस्ट का कहना है कि गाभिन भैंस को एक्सट्रा राशन की जरूरत होती है. इसी को गर्भावस्था खुराक कहा जाता है. गाभिन भैंस को चारे की क्वालिटी और गर्भाधान के दिन के आधार पर आठवें महीने से एक से दो किलोग्राम दाना मिक्सचर जरूर दिया जाना चाहिए.
उत्पादकता खुराक– जीवन निर्वाह के अलावा भैंस की एक अवस्था ऐसी भी होती है जब वो दूध दे रही होती है. दूध उत्पादन के दौरान दी जाने वाली खुराक को ही उत्पादकता खुराक कहा जाता है. साइंटिस्ट का कहना है कि ये खुराक भैंस के द्वारा दिए जाने वाले दूध की मात्रा के हिसाब से तय होती है. जैसे कोई भैंस रोजाना छह से सात किलो दूध देती है, तो ऐसी भैंस को हर दो किलो दूध पर एक किलो दाना मिक्सचर खिलाना जरूरी होता है. ये दाना हरे और सूखे चारे के अलावा दिया जाना है.
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