नई दिल्ली. अगर कोई पशुपालक ये चाहता है कि उसका पशु ज्यादा दूध दे तो उसे इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि पशु का दूध उत्पादन आवास से ही जुड़ा हुआ है. या इसे यूं कह सकते हैं कि दूध उत्पादन का आवास से गहरा संबंध है. आवास का मतलब है सूखा, आरामदेह, हवादार आवास. जब पशु को आराम मिलता है तो दूध उत्पादन सामान्य से और ज्यादा हासिल किया जा सकता है. जबकि अगर आवास सही नहीं होगा तो पशु तनाव में रहेगा. इसका मतलब यह है कि पशु कम दूध उत्पादन करेगा और अगर पशु कम दूध उत्पादन करता है तो इसका सीधा नुकसान पशुपालकों को होता है. पशुपालकों को पशुओं को खुराक तो देनी पड़ती है लेकिन जब दूध नहीं मिलता तो उन्हें नुकसान होता है.
एक्सपर्ट का कहना है की आवास की खिड़कियां दरवाजे टूटे हों तो उनकी मरम्मत करवाना बेहद ही जरूरी होता है. अगर फर्श उखड़ा है तो वहां चूना या सीमेंट लगाकर समतल कर देना चाहिए. खास तौर पर बरसात में कभी भी पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए. वहीं अगर दीवारों में दरार हैं तो चूना या सीमेंट या पुट्टी लगाकर समतल बनाना भी बेहतर होता है.
धुआं करना इसलिए होता है जरूरी
बता दें कि कीड़े खाने के लिए बड़े मेंढक आ जाते हैं और उन्हें खाने के लिए सांप आ सकते हैं. सभी पशुओं को बड़े से थोड़ी देर के लिए बाहर निकाल कर एकदम में सूखी घास और कड़वे नीम की पत्तियां, तुलसी, तेज पान की पत्तियां आदि डालकर जला देना चाहिए. जिससे धुआं होगा और फिर वहां हट जाएं. धुआं होने की वजह से कीड़े व मकोड़े, मक्खी व मच्छर, भाग जाएंगे. बड़े की छत टूटी है तो उसकी मरम्मत करवाना भी जरूरी होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं को गीलापन कभी भी पसंद नहीं आता है इसलिए बरसात में पक्की सड़क या सुखी जगह इकट्ठा हो जाते हैं.
पानी इकट्ठा न होने दें
पशु कीचड़ में रहने से उनके खून में विशेष कर संकर पशुओं के खुर में छाले जैसी मुश्किलें हो जाती हैं. बाद में फट जाते हैं. जिन्हें अल्सर कहते हैं. अगर बार-बार यह बीमारी हो तो लंबे समय तक पशुओं का इलाज करना पड़ता है और उसे काफी समय और पैसा खर्च होता है. वहीं पशुओं को शारीरिक तकलीफ भी होती है. आवास के इर्द-गिर बरसात का पानी कभी भी इकट्ठा न होने दें. उनकी तुरंत निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए. अगर पानी इकट्ठा हो भी जाए तो वहां पर मिट्टी का तेल या फिनायल डालें. ताकि उसमें मच्छर पैदा न हों. आवास की इर्द—गिर्द कीचड़ न होने दें.
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