नई दिल्ली. जब महंगाई बढ़ती है तो इसका सबसे ज्यादा असर आम जनता पर होता है. रोजमर्रा की जरूरत की चीजों में जब महंगाई का असर होता है तो आम जनता का बजट बिगड़ जाता है. बात करें अगर दूध की तो पिछले दो-तीन सालों में इसके दाम में कई बार बढ़ोतरी की गई है. कंपनियों ने 3 महीने में दो—दो बार दूध के दाम बढ़ाए हैं. इसका असर आम ग्राहकों की जेब पर पड़ा है. देखा जाए तो गर्मी में दूध का दाम बढ़ाना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है लेकिन ठंड में जब दाम बढ़ता है तो इसका और भी ज्यादा आम जनता पर पड़ता है.
इसलिए रिकॉर्ड की बात की जाए तो ठंड में दूध के दाम बढ़े हैं. अब सवाल उठता है कि ऐसी क्या जरूरत पड़ गई की ठंड में भी दूध के दाम बढ़ाने पड़ गये. जबकि इस दौरान उत्पादन भी ज्यादा होता है. इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए लाइव स्ट्राइक एनिमल न्यूज़ ने गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय गड़वासु लुधियाना के वाइस चांसलर डॉ. इंद्रजीत सिंह से बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.
फीड के दाम खूब बढ़े हैं
वाइस चांसलर डॉ. इंद्रजीत सिंह ने बताया कि साल 2012 की पशु जनगणना के मुकाबले साल 2019 की जनगणना को देखें तो पशुओं की संख्या उतनी तेजी से नहीं बढ़ी है जो पहले बढ़ती रही है. हालांकि ऐसे पशुओ की संख्या कम हुई है जो दूध कम देते हैं. उन्होंने कहा कि पशुपालन में सबसे ज्यादा खर्च चारा यानी फीड पर होता है. एक अनुमान के मुताबिक पशुपालन की फील्ड 75 से सभी का खर्च आता है. अब अगर गाय भैंस अच्छा ज्यादा उत्पादन चाहिए तो उन्हें बेहतरीन फीड खिलाना होता है. अच्छे फीड में मक्का सोयाबीन शामिल है. हालांकि मौसम और जरूरत के हिसाब से पशुओं को बाजार भी दिया जाता है.
ये भी एक वजह है
उन्होंने बताया कि कुछ साल से मक्का और सोयाबीन का बाजार देखें तो उनके दाम आसमान छू रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि देश का बड़ा पोल्ट्री कारोबार भी मक्का और सोयाबीन का फीड इस्तेमाल करता है. सर्दियों में भी उसे बाजरे की जरूरत पड़ती है. एसएसपी होने के बाद से तो इनके दाम और ज्यादा बढ़ गए हैं. उन्होंने बताया कि यही सब वजह है जो दूध के दाम में इजाफा हो रहा है. ऐसे में आम जनता की जेब पर असर पड़ना तय है. कंपनियों को अपनी लागत को निकालने के लिए दूध के दाम बढ़ाने पड़ रहे हैं.
दूध की बढ़ गई है डिमांड
वीसी डॉ. इंद्रजीत सिंह ने बताया कि खासतौर से कोरोना के बाद से दूध और दूध से बने सभी प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ी है. साल 2020 के बाद से दूध और उसके प्रोडक्ट की डिमांड हर साल दस फीसदी की दर से इजाफा हुआ है. दूध उत्पादन की बात करें तो सिर्फ चार फीसदी की दर से यह बढ़ा है. यह भी वजह है कि दूध के दाम बढ़ाने पड़े हैं. क्योंकि बाजार का सीधा सा फंडा है, जब डिमांड ज्यादा होती है सप्लाई काम तो दाम बढ़ जाते हैं.
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