Home पशुपालन Animal Health: बरसात के मौसम में पशुओं का इस तरह करें हैल्थ मैनेजमेंट, जानें हेल्दी रखने के लिए क्या करें
पशुपालन

Animal Health: बरसात के मौसम में पशुओं का इस तरह करें हैल्थ मैनेजमेंट, जानें हेल्दी रखने के लिए क्या करें

livestock animal news
प्रतीकात्मक फोटो:

नई दिल्ली. बारिश के मौसम में पशुओं की हैल्थ मैनेजमेंट करना भी बहुत जरूरी है. बरसात में मौसम साफ नहीं रहता इसलिये बहुत सारी बीमारियों का डर रहता है. बारिश के मौसम में मुंहपका-खुरपका और गलघोटू रोगों का खतरा रहता है, इसलिये बरसात पहले मुंहपका-खुरपका और गलघोटू के टीके जरूर लगवाने चाहिये. यह टीके पशुपालन विभाग द्वारा मुफ्त में लगवाये जाते हैं. बरसात के दिनों में पशुओं में कीड़े ज्यादा पाये जाते हैं इसलिये पशुओं को हर चार महीने के अंतराल से आंतरिक कृमिनाशक दवाई जरूर पिलानी चाहिये और पशुओं को मक्खी, जू, किल्ली आदि बाहरी कीड़ों से भी बचाना चाहिये.

एक्सपर्ट का कहना है कि इस प्रकार पशुओं के मुख्य चार व्यवस्था पर अगर ध्यान दिया जाये तो निश्चित तौर बरसात के मौसम में भी पशु स्वस्थ रहेगा और उत्पादन बढ़ेगा. मतलब ये है कि उसी समय से वैक्सीन लगवा देने पर फिर किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी.

एफएमडी और गलाघोंटू की वैक्सीन
एक्सपर्ट का कहना है कि खुरपका-मुंहपका रोग के लिए पहली खुराक 4 माह की उम्र से ज्यादा हो जाने पर लगाया जाता है. पहली खुराक के बाद एक माह के गैप करना होता है और फिर वैक्सीन लगाई जाती है. बूस्टर डोज 6 महीने पर लगाया जाना चाहिए. वहीं गलाघोंटू बीमारी के लिए 6 माह और उससे अधिक होने पर वैक्सीन लगाई जाती है. बूस्टर दो साल में एक बार लगाना चाहिए.

इन बीमारियों के लिए भी लगवाएं वैक्सीन
इसके अलावा लंगड़ा बुखार के लिए 6 माह और या इससे अधिक होने पर टीका लगवा देना चाहिए. बूस्टर डोज 1 साल की उम्र पर लगवाना वेतन होता है. ब्रूसेलोसिस बीमारी के लिए 8 से 6 माह की उम्र पर बच्चियों को टीका लगाया जाता है. बूस्टर डोज जिंदगी में एक बार देना चाहिए. जबकि थाइलेरियोसिस बीमारी के लिए 3 माह से अधिक उम्र हो जाने पर लगाया जाता है. जिंदगी में एक बार सिर्फ विदेशी और संकर नस्ल की पशुओं के लिए वैक्सीन लगाना जरूरी होता है.

गिल्टी रोग के कब लगता है टीका
गिल्टी रोग के लिए 4 माह और से अधिक हो जाने पर वैक्सीन लगवा देना चाहिए. अगर रोग विशेष क्षेत्र है तो साल में एक बार टीका लगाया जा सकता है. वहीं आईबीआर बीमारी के लिए 3 माह से अधिक हो जाने पर टीका लगाया जाता है. पहली खुराक एक माह के बाद लगाई जाती है. छह माह पर टीका लगाया जा सकता है. इसकी वैक्सीन भारत में नहीं बनती है. जबकि कई बार पशुओं को कुत्ते काट लेते हैं. इसलिए रैबीज बीमारी से बचने के लिए कुत्ते काटने की तुरंत बाद चौथे दिन लगाया जा सकता है. 7, 14, 28, 90 में दिन पूरा होने के बाद टीका लगवाना चाहिए.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: अलग-अलग फार्म से खरीदें पशु या फिर एक जगह से, जानें यहां

फार्मों में अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए संक्रमण के प्रवेश...

livestock animal news
पशुपालन

Milk Production: ज्यादा दूध देने वाली गायों को हीट से होती है परेशानी, जानें क्या है इसका इलाज

उच्च गुणवत्ता-युक्त अधिक दूध प्राप्त होता है, लेकिन ज्यादा तापमान युक्त हवा...

ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं.
पशुपालन

Animal Husbandry: बरसात में पशुओं को इस तरह खिलाएं हरा चारा, ये अहम टिप्स भी पढ़ें

बारिश के सीजन में पशुओं को चारा नुकसान भी कर सकता है....

पशुपालन

CM Yogi बोले- IVRI की वैक्सीन ने UP में पशुओं को लंपी रोग से बचाया, 24 को मिला मेडल, 576 को डिग्री

प्रदेश सरकार के साथ मिलकर 2 लाख से अधिक कोविड जांच करवाईं....