Home पशुपालन Organic Animal Husbandry: इन 14 प्वाइंट्स को पढ़कर जानें जैविक पशुपालन में क्या करना चाहिए क्या नहीं
पशुपालन

Organic Animal Husbandry: इन 14 प्वाइंट्स को पढ़कर जानें जैविक पशुपालन में क्या करना चाहिए क्या नहीं

cattle shed, Luwas, Animal Husbandry, Parasitic Diseases, Diseases in Animals, Animals Sick in Rain, Lala Lajpat Rai University of Veterinary Medicine and Animal Sciences, Luwas, Pesticides,
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. कृषि में में भारी भारी मात्रा में रसायनिक खाद का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं पशुओं को जो चारा मिल रहा है, वो भी रसायनिन खादों के इस्तेमाल से ही उगाया गया है. ऐसे दूध का इस्तेमाल करने वाले इंसानों को कई गंभीर बीमारी होने का खतरा रहता है. वहीं पशुओं के भी बीमार होने का खतरा रहता है. यही वजह है कि जैविक पशुपालन का कांस्टेप्ट आया है. जैविक पशुपालन के जरिए पशुओं का दूध बेहतरीन क्वालिटी वाला प्रोड्यूस होता है और ये इंसानों के लिए फायदेमंद है. वहीं पशुओं को भी इससे फायदा है.

एक्सपर्ट नीना त्रिपाठी का कहना है कि ऐसे जैविक खेती अपनाकर भूमि की उर्वरकता को बचाए रखा जा सकता है. भूमि की इस उर्वरकता को लम्बे समय तक बनाए रखने के लिए ये बेहतरीन काम है. वहीं पशुपालन, कृषि व पर्यावरण के बीच आर्गेनिक नेचुरल साइकल बना कर संतुलन स्थापित करने से नेचर को प्रदूषण से फ्री रखा जा सकता है. आइए जानते हैं कि जैविक पशुपालन में क्या करना चाहिए क्या नहीं.

क्या करें पढ़ें यहां

  1. पशुओं को रासायनिक खाद रहित पूरी तरह जैविक चारा खिलायें. जिसका उत्पादन जैविक बीजों और जैविक मेथड से किया गया हो.
  2. बरसात के मौसम में हरे चारे का उत्पादन जब अधिक हो तो उसे हे व साइलेज के रूप में संरक्षित किया जा सकता है ताकि पशुओं को वर्ष भर जैविक चारा हासिल हो सके. इसमें अजोला पशु आहार भी शामिल किया जा सकता है.
  3. पशुओं का मैनेजमेंट अच्छी तरह से करें ताकि वे लगातार स्वस्थ रहें व कम से कम बीमार पड़ें.
  4. पशुओं के बीमार होने की स्थिति में पारंपरिक देशी इलाज, आयुर्वेदिक व होम्योपैधिक दवाइयों से इलाज को प्राथमिकता दें.
  5. जैविक पशुधन फॉर्म को सामान्य फॉर्म से अलग रख कर पशुओं के लिए प्राकृतिक चारागाह की व्यवस्था करें और छायादार पेड़ लगाएं ताकि उनका पालन पोषण प्राकृतिक वातावरण में हो सके.
  6. फॉर्म की साफ सफाई नियमित तौर पर जैविक व रासायनिक कीटनाशक रहित जैसे नीम, तुलसी इत्यादि का उपयोग कर पारंपरिक देसी विधियों से करें.
  7. जमीन की उर्वरकता को बढ़ाने के लिए जैविक खाद जैसे कि वर्मी कंपोस्ट, केचुआ खाद व फॉर्म के बचे हुए जैविक अपघटक का उपयोग करें साथ ही जैविक तरीके से प्राप्त पशु उत्पादों को अन्य पशु उत्पादन से अलग रखें.
  8. पशु उत्पादों की प्रोसेसिंग भी उन्नत देसी तकनीक का उपयोग करते हुए जैविक तरीके से करें.
  9. जैविक पशु प्रोडक्ट का प्रमाणीकरण किसी प्रमाणित एजेंसी से करवाएं ताकि इन उत्पादों में जैविक उत्पाद का टैग लगाया जा सके तथा इनका उचित दाम निर्धारित हो सके.

क्या नहीं करना चाहिए

  1. चारा उत्पादन के लिए जेनेटिकली मोडिफाइड बीजों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें.
  2. जमीन की उर्वरकता को बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बिल्कुल न करें.
  3. पशुओं का उपचार के लिए एंटीबायोटिक व एलोपैथिक दवाइयों का इस्तेमाल न करें.
  4. जेनेटिकली मोडिफाइड वैक्सीन के प्रयोग से बचें.
  5. कीटों के नियंत्रण के लिए संश्लेषित केमिकल कीटनाशकों का उपयोग न करते हुए नीम तुलसी जैसे आयुर्वेदिक एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करें.
  6. खरपतवार को खत्म करने के लिए खरपतवार को खत्म करने वाले केमिकल का इस्तेमाल करें.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

animal husbandry
पशुपालन

Animal News: गधे-घोड़ों में पिरोप्लाजमोसिस बीमारी की जांच करेगी भारत की एकमात्र लैब, WOAH ने दिया दर्जा

WOAH से मिला प्रयोगशाला का ये दर्जा न केवल रिसर्च और डाइग्नोस्टिक...

poultry farming
पशुपालन

Poultry: इस बीमारी में मुर्गियों की बीट हो जाती पतली, नाक से निकलने लगता है पानी, जानें क्या है उपचार

इस आर्टिकल में हम आपको मुर्गियों में होने वाली क्रानिक रेस्पाइरेट्री डिजीज...