नई दिल्ली. बकरी पालन में अक्सर बकरे-बकरी को पपेट में कीड़े की समस्या हो जाती है. भले ही ये समस्या अक्सर हो जाती है लेकिन इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि इससे बकरी और बकरों के दूध, गर्भधारण और ग्रोथ पर असर पड़ता है. रिपोर्ट के अनुसान बकरी के पेट में कीड़े हो जाते हैं तो उसका बड़ा असर उसके दूध उत्पादन पर होता है. जबकि दूसरे गर्भधारण करने में भी परेशानियां होती हैं. वहीं कीड़े बकरे के पेट में हो जाएं तो उसकी ग्रोथ रुकना तय है. जो चारा वो खाएंगे उनके शरीर पर नहीं लगेगा.
एक्सपर्ट कहते हैं कि कीड़ों के चलते छोटे बच्चों की तो मौत तक हो जाती है. वैसे यदि आप गांव में बकरी पालन कर रहे हैं तो इसका इलाज भी आपके पास है. अगर स्वस्थ बकरे-बकरी को भी यह चारा खिलाया जाए तो उनके पेट में कीड़े नहीं पड़ेंगे. बता दें कि बकरी एक ऐसा पशु है जो बीमार होने पर जरूरत के मुताबिक उस पेड़-पौधे की पत्तियों को खुद ही खा लेती हैं. दिक्कत तब होती है जब बकरे और बकरियां फार्म में पाला जाता है. जिन्हें खुले में चरने का मौका ही नहीं मिल पाता है. उन्हें समय-समय पर चारे के रूप में नीम, अमरुद, जामुन, मोरिंगा खिलाकर कई तरह की बीमारियों से दूर रखा जा सकता है.
दवा का काम करता है ये चारा
ध्यान देने वाली बात ये है कि उनके चारे में ही बहुत सारी बीमारियों का ही इलाज है. एक्सपर्ट कहते हैं कि नीम, अमरुद, जामुन, मोरिंगा, बेल समेत ऐसा बहुत सा चारा है जो बकरे-बकरियों के लिए किसी दवा से कम नहीं है. यह वो पेड़-पौधे हैं जिसमे दवाओं का गुण है और बकरी व बकरों के लिए फायदेमंद भी है. यदि वक्त पर हम तीनों पेड़-पौधे की पत्तियां बकरियों खिला दी जाए तो उनके पेट में कीड़े खत्म हो जाते हैं. पेट में कीड़े होना बकरे और बकरियों में बहुत ही समस्या उतपन्न करने वाली बीमारी है.
चारे से बनी दवा भी मिलती है
यही वजह है कि अमरूद और जामुन से बनी दवाएं भी बाजार में उपलब्ध हैं. जो कोई भी बकरे और बकरियों को फार्म में पालता हैं. उन्हें खुले मैदान और जंगल में चरने का मौका नहीं मिलता है. इसके चलते बकरी और बकरों को नीम, अमरुद, जामुन, मोरिंगा आदि पेड़-पौधे की पत्तियां नहीं मिल पाती. हालांकि परेशान होने की जरूरत नहीं है. सीआईआरजी ने इस चारे की दवाएं भी बनाई हैं. बाजार में कई कंपनियां इन दवाओं को बेच रही हैं. सीआईआरजी भी दवाएं मुनासिब दमा पर बेचता है.
Leave a comment