नई दिल्ली. पशुपालन करने वाले ज्यादातर पशुपालक पशुओं का पालन दूध के लिए करते हैं. दूध बेचकर ही उनकी कमाई होती है. ये अलग बात है कि बहुत से पशुपालकों के पास कम पशु होते हैं तो कुछ के पास ज्यादा. बात जब गाय पालन की जाती है तो इसका सीधा सा मतलब है कि दूध का उत्पादन. पशुपालकों की नजर हमेशा ही ऐसी गायों पर होती है जो ज्यादा दूध का प्रोडक्शन करें और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा हो. अगर ये दो क्वालिटी गायों में होती है तो फिर उत्पादन भी बेहतर मिलता है और इससे पशुपालकों को ज्यादा फायदा होता है.
इस आर्टिकल में हम आपको गायों की पांच नस्लों के बारे में बताने जा रहे हैं. जो देशी नस्ल हैं और दूध उत्पादन भी ज्यादा करती हैं. आइए जानते हैं उनकी खासियत के बारे में यहां.
कांकरेज नस्ल की क्या खासियत
कांकरेज नस्ल को गुजरात और राजस्थान नस्ल की गाय कहा जाता है. यह हर दिन 5 से 10 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है. इसका मुंह छोटा और चौड़ा होता है. इस नस्ल के बैल ज्यादा वजन उठाने के लिए मशहूर हैं.
लाल सिंधी के बारे में पढ़ें
लाल सिंधी गाय पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक तमिलनाडु में खूब पाली जाती है. लाल रंग की होती हैं इसलिए लाल सिंधी कहा जाता है. ज्यादा दूध देने हासिल करने के लिए इन्हें पाला जाता है. लगभग 2000 से 3000 लीटर सालाना ये दूध दे देती हैं. यह नस्ल सिर्फ सिंधी इलाके में ही पाई जाती है, लेकिन अब पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, उड़ीसा में भी पाली जा रही है.
दूध में ज्यादा होती है वसा
नागौरी नस्ल राजस्थान की नागौर जिले में पाली जाने वाली गाय है. इस नस्ल का रंग हल्का लाल सफेद और हल्का जमुनी लिये होता है. एक बार मां बनने के बाद 600 से 1000 लीटर तक दूध देने की क्षमता होती है. इसके दूध में वसा 4.9 फीसदी होती है. इस नस्ल के बैल ज्यादा भार उठाने के लिए जाने जाते हैं.
खिल्लारी नस्ल के बारे में पढ़ें
खिल्लारी नस्ल की गाय महाराज कर्नाटक और पश्चिम महाराष्ट्र में पाई जाती है. इस प्रजाति का रंग खाकी सिर बड़ाख सींग लंबे और पूंछ छोटी होती है. बैल काफी मजबूत होते हैं. इस नस्ल का वजन औसतन 400 किलो और गाय का औसतन वजन 350 किलो होता है. इसके दूध में वसा लगभग 4.2 फीसदी होती है. मां बनने के बाद 240 से 515 तक दूध देती है.
900 किलो दूध देती है कृष्णा वैली नस्ल
कृष्णा वैली नस्ल मूल रूप से कर्नाटक की है. सफेद रंग की इस गाय के सींग छोटे होते हैं और मोटी काठी के होती हैं. एक बार मां बनने के लिए औसतन 900 किलोग्राम दूध देती हैं. पशुपालन के लिहाज से बेहतर नस्ल मानी जाती है.
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