नई दिल्ली. डेयरी व्यवसाय से मोटी कमाई की जा सकती है. हालांकि इसके लिए सबसे जरूरी ये है कि पशुओं का चयन सही हो. जब अच्छी नस्ल और ज्यादा प्रोडक्शन करने वाले पशु बाड़े में होंगे तभी फायदा भी ज्यादा होगा. इसलिए इस बात का ख्याल रखें कि पशुओं के चयन पर ही डेयरी व्यवसाय में फायदा और नुकसान निर्भर करता है. डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि डेयरी में सही चयन पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है. इसलिए पशुओं की उचित पहचान और रिकॉर्ड रखना बहुत ही जरूरी माना जाता है. लगभग 50 प्रतिशत विदेशी वंशानुक्रम (Pedigree) वाले संकर नस्ल के पशु डेयरी कारोबार के लिए बेहतर माने जाते हैं.
अगर संकर नस्लों में स्थानीय पशुओं का भी 50 फीसदी अंश होगा तो उनमें गर्मी की सहनशीलता और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा होगी, जो डेयरी व्यवसाय को और ज्यादा फायदेमंद बना देगी. ऑस्ट्रेलियाई फ्रिसियन साहीवाल 50 फीसदी होलस्टीन और 50 फीसदी साहीवाल जैसी नस्लों के निर्माण में जेबू (साहीवाल) जर्मप्लाज्म का इस्तेमाल और ज्यादा गर्मी वाले क्षेत्रों के लिए एक नस्ल के रूप में इसकी अंतर्राष्ट्रीय मान्यता इसका एक उदाहरण है.
डेयरी नस्लों के लिए सामान्य चयन
पशुओं को स्थिति के अनुसार टिकाऊ बनाए रखना सबसे अच्छी रणनीति है. तमाम कृषि-जलवायु परिस्थितियों से पशुओं को लाना कई मामलों में खुद को ढाल न पाने के कारण समस्याएं पैदा करता है. यदि खरीद बेहद आवश्यक हो जाती है तो जहां तक संभव हो, इसे समान्य पर्यावरणीय परिस्थितियों से ही खरीदना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि बछड़े के शो में बछड़े का चयन करना, मवेशी शो में गाय का चयन करना एक कला है. वहीं एक डेयरी किसान को अपने झुंड का प्रजनन करके अपना झुंड बनाना चाहिए. डेयरी गाय के चयन के लिए कुछ दिशा-निर्देश उपयोगी होंगे.
खरीदने से पहले इन बातों पर करें गौर
जब भी किसी पशु को पशु मेले से खरीदा जाता है, तो उसका चयन उसकी नस्ल के चरित्र और दूध उत्पादन क्षमता के आधार पर किया जाना चाहिए. हिस्ट्रीशीट या वंशावली पत्रक जिससे पशु का पूरा इतिहास पता चल जाता है, ये जरूर चेक करें. डेयरी गायों द्वारा अधिकतम उत्पादन पहले पांच स्तनपान के दौरान देखा जाता है. इसलिए चयन पहले या दूसरे स्तनपान के दौरान किया जाना चाहिए और वह भी ब्याने के एक महीने बाद. एक गाय को किसी एक व्यक्ति को दूध दुहने की इजाजत देनी चाहिए. अक्टूबर और नवंबर के महीनों के दौरान जानवरों को खरीदना बेहतर है. बछड़े के जन्म के 90 दिन बाद तक अधिकतम प्रोडक्शन होता है.
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