नई दिल्ली. तालाब में जिन मछलियों को पाला जाता है, उन्हें खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वहीं घरों की सजावट के लिए भी मछलियों को पाला जाता है. अपने अक्सर घरों में आफिसों में देखा होगा कि एक्वेरियम में मछलियां रहती हैं. इन्हें भी फीड दिया जाता है. ये मछलियां भी प्रजनन करती हैं. इनके पालन में कुछ चीजों का ध्यान देना होता है. एक्वेरियम के लिए कई प्रजाति की मछलियों को पाला जाता है, जिसमें पलैटी मछली भी है. ये भी बहुत खूबसूरत मछली होती है और जब ये एक्वेरियम तैरती है तो बेहद ही खूबसूरत नजर आती है.
पलैटी का वैज्ञानिक नाम पलैटीपोइसीलस मैकूलेटस (Platypoecilus Maculates) है. इसे दक्षिण मैक्सिको में बनाया गया था. अगर इसके आकार की बात की जाए तो नर मछली का आकार 1.5 इंच मादा का 2 इंच होता है. 70-90 डिग्री फार्रेनहाइट इसके लिए अनुकूल तापमान माना जाता है. इसका मशहूर नाम पलैटी मून भी है. एक्सपर्ट के मुताबिक यह मौली (Molly) के समान होती है लेकिन इसका चौरसल पंख (dorsal fin) छोटा होता है.
कई कलर की होती हैं ये मछली
इसके 6 रंग होते हैं. जैसे की नीला (The Blue), रंग-बिरंगी (The Veriegated), सुनहरी (The Golden) या पीला (The Yellow) और लाल (The Red) ये लगभग लगभग गोल्डफिश (Goldfish) की ही तरह होती है. ब्लैक प्रजाति (The Black) यह काले तथा हरे रंग की तथा वैर्लिन प्रजाति (The Berlin) किनारों पर काली पट्टी के साथ लाल रंग की होती है. यह बहुत ही रंगीन मछली होती है. प्रजनन अन्य बेयरर्स मछलियों के समान होता है. सवोर्ड टेल (sword tail) के साथ प्रजनन कर अनेक रंगों की मछलियां पैदा होती हैं.
प्रजनन के बारे में पढ़ें अहम जानकारी
यह मछली छोटे बच्चों को जन्म देती है. मादा मछली वैन्ट (Vent) पर गोलोपोडियम (Gonopodium) के एक स्पर्श से ही फर्टीलाइज्ड हो जाती है. अधिकतर ब्रूड्स (broods) में एक माह का अन्तर होता है और जब बच्चे देने के समय मादा मछली का निचला भाग गहरा तथा फूला हुआ हो जाता है तो उसे एक्वेरियम (Aquarium) से हटाकर पौधों वाले टैंक में रखना चाहिए तथा उपयुक्त खुराक देनी चाहिए. ज्यादा खुराक देने से भी उसे अपने ही बच्चों को खाने से नहीं रोका जा सकता लेकिन अधिक पौधों के कारण छोटी फ्राई (Fry) को बचने के लिए जगह मिल जाती है.
बिलासपुर में हो चुका है इसका प्रजनन
फ्राई (Fry) शुरूआत में डेफिनिया (daphnia) खाती हैं. इस प्रजाति में भी नर अधिक चटकीले रंगों के होते हैं. जबकि मादा हल्के रंगो की. पीले शरीर तथा लाल पूंछ वाले नर किसी भी एक्वेरियम (Aquarium) की शोभा बढ़ाते हैं. युवा नरों को एक्वेरियम (Aquarium) से जल्दी हटाना गलती हो सकती है. क्योंकि लगभग 10 महीने बाद रंग पूरी तरह से स्पष्ट होता है. विभागीय कार्य प्रजनन केन्द्र दियोली (पाघस), बिलासपुर में इस मछली का सफलतापूर्वक प्रजनन कराया जा चुका है. निजी क्षेत्र में भी स्वरोजगार के लिए एक्वेरियम में मछली पालन व्यवसाय के रूप में एक बेहतर विकल्प है.
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