नई दिल्ली. तालाब में मछलीपालन के साथ बत्तख पालन करके कमाई की जा सकती है. मछली के साथ बत्तख पालन से प्रोटीन उत्पादन के साथ बत्तखों के वेस्ट का भी सही इस्तेमाल होता है. मछली समेत बत्तख पालन से प्रति हेक्टयर प्रतिवर्ष 2500-3000 किलोग्राम मछली, 15 से 18 हजार अंडे और 500-600 किलोग्राम बतख के मांस का उत्पादन किया जा सकता है. इस प्रकार के मछली पालन में न तो जलक्षेत्र में कोई खाद उर्वरक डालने की जरूरत होगी है और न ही मछलियों को पूरक आहार देने की जरूरत होती है. मछली पालन पर लगने वाली लागत 40 से 60 प्रतिशत भी कम हो जाती है.
पाली जाने वाली मछलियां और बतखें एक दूसरे की अनुपूरक होती है. बतखें पोखर के कीड़े-मकोड़े, मेढ़क के बच्चे टेडपोल, घोंघे, जलीय वनस्पति आदि खाती हैं. बतखों को पोखर के रूप में साफ-सुथरा एवं स्वस्थ परिवेश और उत्तम प्राकृतिक भोजन उपलब्ध हो जाता है तो बत्तख के पानी में तैरने से पानी में आक्सीजन की घुलनशीलता बढ़ती है जो मछली के लिए जरूरी है.
तालाब का चयन ऐसे करें
मछली के साथ बत्तख पालन के लिए बारहमासी तालाब चयन किया जाता है, जिसकी गहराई कम से कम 1.5 मीटर से 2 मीटर होना चाहिए. इस प्रकार के तालाब कम से कम 0.5 हेक्टर तक के हो सकते हैं. अधिकतम 2 हेक्टेयर तक के तालाब इस कार्य के लिए उपयुक्त होते हैं. इस दौरान तालाब में पायी जाने वाली जलीय वनस्पति को निकाल देना चाहिए. तालाब में जलीय वनस्पतियां मछलियों के इधर—उधर जाने और जाल चलाने में रुकावट पैदा करती हैं. इसलिए जलीय वनस्पतियां मशीनों से या फिर मजदूरों की सहायत से हटवा देना चाहिए. रासायनिक विधि 2-4 डी, अमोनिया आदि का प्रयोग कर जलीय वनस्पतियों की सफाई की जा सकती है.
ऐसी मछलियों को बाहर निकाल दें
जैविक विधि अंतर्गत ग्रासकार्प जलीय वनस्पतियों को भोजन के रूप में ग्रहण करती हैं. इसलिए ग्रास कार्प के संचयन से जलीय वनस्पति का उन्मूलन हो जाता है. तालाब में बार-बार जाल चलाकर मांसभक्षी तथा अवांछित मछलियों को निकाल देना चाहिए. शत प्रतिशत मछलियों को निकालना संभव नहीं हो, तो महुआ खली 200 से 250 पीपीएम या दो से ढाई हजार किलोग्राम प्रति हेक्टयर या ब्लीचिंग पाउडर 25-30 पीपीएम प्रति हेक्टर की दर से उपयोग करने पर इन मछलियों का खत्म किया जा सकता है. सबसे अच्छा तरीका महुआ खली का प्रयोग है.
मछली बीज के बारे में पढ़ें यहां
प्रति हेक्टर 6 हजार से 8 हजार मिली फिंगरलिंग (अंगुलिकाए) संचय करना चाहिए. सतह का भोजन करने वाली मत्स्य बीज की मात्रा 40 फीसदी (कतला 25 फीसदी सिल्वर कार्प 15 फीसदी) तथा मध्यम सतहों का भोजन करने वाली मत्स्यबीज की मात्रा 30 फीसदी (रोहू 20 परसेंट ग्रास कार्प 10 परसेंट) तथा तलीय का भोजन करने वाली मत्स्य बीज की मत्रा 30 फीसदी (मृगल 20 फीसदी कामन कार्य 10 फीसदी) संचय किया जाना चाहिए.
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