नई दिल्ली. पशुपालन में जब मौसम बदलता है तो पशुशाला में कई अहम बदलाव करना होता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिये अनेक तरीकों और टेक्नोलॉजी इस्तेमाल में लाई जाती है. इसमें कई तकनीकी ऐसी हैं जिन्हें बिना किसी खर्चे और आर्थिक सहयोग के पूरा किया जा सकता है. ग्रामीण इलाकों के कम संसाधन वाले पशुपालक किसानों के लिये इस प्रकार की तकनीकी काफी कारगर रहती है. जिसमें पशुओं के आवास में पर्यावरण के अनुकूल बदलाव करना भी अहम है. ऐसा करके सूरज से सीधे आने वाली धूप को रोका जा सकता है.
एक्सपर्ट का कहना है कि इससे पशु आवास के तापमान में काफी कमी की जा सकती है. पानी का छिड़काव करने और पंखे आदि लगाकार तापमान और गर्मी को कम किया जा सकता है. पशुओं का आवास ऐसे स्थान पर बनाना चाहिये, जहां पेड़ों की घनी छांव हो. इसके लिए पशुशाला के आसपास चारो ओर पेड़-पौधे लगाकर भी तापमान और सीधे आने वाली सूरज की धूप को काफी हद तक रोका जा सकता है. इस तरह का पर्यावरणीय संशोधन पशुओं को थर्मल हीट स्ट्रेस से बचाने में बहुत ही कारगर रहता है.
ठंड में जरूर करना चाहिए ये काम
पेड़-पौधों की छांव ट्रॉपिकल और सब-ट्रॉपिकल जलवायु परिस्थितियों में एक बेहतर पसंद है. इस प्रकार से पशु आवास के पास सूर्य से आने वाली किरणों में 30 प्रतिशत से अधिक कमी लायी जा सकती है. इसके लिये नीम, पीपल, जामुन, शीशम, बरगद, करज आदि के वृक्ष लगाये जा सकते हैं. पेड़-पौधे के अभाव में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध बांस आदि का प्रयोग करके कपड़े और टाट के बोरों के जरिए से सूर्य की किरणों को कम किया जा सकता है. इस प्रकार के शेड को आरामदायक मौसम (फरवरी-मार्च और सितंबर- नवबंर) होने पर हटा देना चाहिए और गर्मी के मौसम तथा ज्यादा ठंड में फिर लगा देना चाहिये. पशु आवास इस प्रकार से बनाना चाहिये कि लंबाई हमेशा उत्तर और दक्षिण दिशा में होनी चाहिये, ताकि सूरज की किरण सुबह और शाम पशुशाला में पड़ती रहे जिससे पशुशाला साफ, स्वच्छ और सूखी रहे.
हवादार होनी चाहिए शेड
गर्मियों के दिनों में जब गर्म हवायें चलती हैं तब आवश्यक है कि शेड के अंदर गर्म हवा का आवागमन को रोका जाए और इसके बाद हवा आती-जाती रहे. पशु आवास के अंदर प्रत्येक हिस्से में हवा का आवागमन पर्याप्त मात्रा में होना चाहिये. पशु आवास के अंदर हवा का आवागमन बढ़ाने के लिये दो काम करने चाहिये. एक पशुशाला बनाते समय या बाद में पशुशाला में ऐसे बदलाव करें, जिससे शेड के अंदर हवा सामान्य रूप से बहती रहे. दूसरे बदलाव के तहत पंखे और कूलर लगवाने चाहिये. पशु आवास को उचित तरीके से डिजाइन करना चाहिये जिससे हवा का आवागमन बढ़ने के साथ ही प्राकृतिक रूप से प्रकाश और हवा अंदर आती रहे.
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