नई दिल्ली. भेड़-बकरियों में होने वाली गंभीर बीमारी फुटरोट हिमाचल प्रदेश में फैल गई है. इस राज्य में अब तक बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हो गई है. इस बीमारी की वजह से पशुपालकों में डर का माहौल है. वहीं दिक्कत ये भी है कि समस्या का समाधान भी नहीं हो पा रहा है. जबकि दूसरी ओर हिमाचल का पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है. इसको देखते हुए राज्य में अलर्ट घोषित कर दिया गया है. सभी सरकारी पशु चिकित्सा अस्पतालों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है.
हिमाचल की बात करें तो राज्य में फुटरोट बीमारी से गद्दी चरवाहों की भेड़-बकरियों की मौत हो रही है. चरवाहों ने बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत की बात कही है. जबकि इससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. ये बीमारी पिछले कई वर्षों से गद्दी चरवाहों के पशुओं को प्रभावित कर रही है. हैरानी की बात ये है कि सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के वैज्ञानिकों द्वारा इस बीमारी के लिए टीका विकसित करने के प्रस्ताव को पिछले चार वर्षों से मंजूरी नहीं मिली है.
क्यों होती है ये बीमारी
कांगड़ा जिले के झंझारदा नछेर गांव के चरवाहे भादर सिंह ने बताया कि इस वर्ष उनकी बड़ी संख्या में भेड़ें फुटरोट बीमारी के कारण मर गईं हैं. उन्होंने कहा कि पशु चिकित्सक पशुओं को नहीं बचा सके. भादर की तरह, राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई अन्य चरवाहों ने भी इस बीमारी के कारण अपनी भेड़ें खो दी हैं. पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर सुभाष वर्मा का कहना है कि हिमाचल में इस बीमारी के प्रकोप का अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह बीमारी भेड़ और बकरियों में बैक्टीरिया के मिश्रण के कारण होती है. इस बीमारी से पीड़ित जानवरों के खुर खराब हो जाते हैं और वे चलने में असमर्थ हो जाते हैं. इसलिए, चरवाहों के पास ऐसे जानवरों को बेचने या उन्हें मारने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है.
कोई उपचार नहीं है
गौरतलब है कि पहले यह बीमारी जम्मू-कश्मीर में मवेशियों को होती थी. हालांकि, अब यह हिमाचल और देश के अन्य हिस्सों में फैल गई है. उन्होंने कहा कि राजस्थान और कई दक्षिणी राज्यों में भी इस बीमारी के फैलने की खबरें हैं. प्रोफेसर वर्मा ने कहा कि वर्तमान में इस बीमारी का कोई मानकीकृत उपचार नहीं है. उन्होंने कहा, हमने पिछले चार वर्षों में कई बार राज्य सरकार को इस बीमारी के लिए वैक्सीन विकसित करने का प्रस्ताव भेजा है. हालांकि, 70 लाख रुपये के प्रस्ताव को अभी मंजूरी मिलनी बाकी है. उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया के स्ट्रेन की पहचान करने के लिए एक शोध प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है.
पशुपालकों की मदद का किया ऐलान
पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय, जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय और केरल के वैज्ञानिक इस बीमारी पर शोध करेंगे, लेकिन इस परियोजना के लिए कोई धनराशि नहीं मिली है. घुमतु पशु सभा के अध्यक्ष अक्षय जसरोटिया ने कहा कि इस बीमारी से राज्य में गद्दी चरवाहों को भारी नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बीमारी के लिए एंटीबायोटिक या वैक्सीन उपलब्ध कराकर गद्दी चरवाहों की मदद के लिए कदम उठाने चाहिए. कृषि और पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने उन्हें बीमारी के प्रकोप के बारे में सूचित नहीं किया है. उन्होंने कहा, “मैं उनके साथ इस मामले पर चर्चा करुंगा और चरवाहों की मदद करने की कोशिश करुंगा, जो फुटरोट रोग के कारण अपनी भेड़ और बकरियां खो रहे हैं.”
हरियाणा में जारी हुआ अलर्ट
हिमाचल में इस बीमारी के फैलने के कारण पड़ोसी राज्य हरियाणा के पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है और राज्य में फुटरोट बीमारी के किसी भी संभावित प्रकोप को रोकने के लिए पूरी तरह से तैयार होने की बात कही है. विभाग ने विशेष रूप से हिमाचल की सीमा से लगे क्षेत्रों में अधिक सावधानी बरतने के निर्देश जारी किए हैं. विभाग की ओर से उप निदेशकों को सभी सरकारी पशु चिकित्सा अस्पतालों में पोटेशियम परमैंगनेट, हाइड्रोजन पेरोक्साइड और पोविडोन आयोडीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं.
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