नई दिल्ली. नर पशु के दोनों अण्ड कोषों Sperm cells अथवा मादा के दोनों अंडाशयों को निकालकर उसे नपुंसक बनाने की प्रक्रिया को बधियाकरण कहते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि उन्नत पशु प्रजनन कार्यक्रम की कामयाबी के लिए नर पशुओं का बधियाकरण बहुत ही जरूरी कार्य है. जिसके बिना डेयरी पशुओं की नस्ल में सुधार करना बहुत मुश्किल है. बछड़ों में बधियाकरण की सही उम्र 2 से 8 माह के बीच की होती है. हो सकता है कि आपके जेहन में ये सवाल उठ रहा हो कि बधियाकरण के क्या फायदे हैं और क्यों कराना चाहिए. आइए इस बारे में जानते हैं.
बधियाकरण के फायदों की बात की जाए तो इससे निम्न स्तर के पशु के वंश को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है. जिसके द्वारा असक्षम बच्चा पैदा नहीं होता है. जोकि सफल और फायदा पहुंचाने वाले पशुपालन लिए जरूरी है. बधिया किए गये नर पशु को मादा पशुओं के साथ बिना किसी कठिनाई के रखा जा सकता है. क्योंकि वो मद में आई मादा के ऊपर नहीं चढ़ता है. वहीं बधिया किए गये पशु को आसानी से नियंत्रित भी किया जा सकता है. इसके अलावा बधियाकरण से मांस के लिये प्रयोग होने वाले पशुओं के मांस की गुणवत्ता बढ़ जाती है.
कैसे किया जाए बधियाकरण
एक प्रक्रिया जिसे शल्य कहा जाता है, इसके जरिए अंडकोषों के ऊपर चढ़ी चमड़ी (स्क्रोटम) को काटकर नों अंडकोषों को निकाल दिया जाता है. इस क्रिया में पशु के एक छोटा सा जख्म हो जाता है जिसे एंटीसेप्टिक दवाइयों के इस्तेमाल से कुछ समय के बाद ठीक किया जा सकता है. वहीं बर्डिजो कास्ट्रेटर द्वारा बधियाकरण होता है. यह विधि आज-कल नर गोपशुओं व भैंसों में बधियाकरण के लिये सबसे ज्यादा इस्तेमाल में ली जाती है. इसमें एक विशेष प्रकार का यंत्र जिसे बर्डिजो कास्ट्रेटर कहते हैं प्रयोग किया जाता है. इस विधि में खून बिल्कुल भी नहीं निकलता क्योंकि इसमें चमड़ी को काटा नहीं जाता. इसमें पशु के अंडकोषों से ऊपर की ओर जुड़ी स्पर्मेटिक कोर्ड जोकि चमड़ी के नीचे स्थित होती है, को इस मशीन के द्वारा बाहर से दबा कर कुचल दिया जाता है. जिससे अंडकोषों में खून का दौरा बन्द हो जाता है. नतीजे में वे खुद ही सूख जाते हैं.
बधियाकरण जरूर बरतें ये सवधानियां
बर्डिजो कास्ट्रेटर को दबाते समय स्पर्मेटिक कोड स्लिप नहीं करनी चाहिये.
कास्ट्रेटर में अंडकोष नहीं दबना चाहिये वरना उसमें भारी सूजन आ जाती है. जिससे पशु को तकलीफ होती है.
कास्ट्रेटर में चमड़ी का फोल्ड नहीं आना चाहिए क्योंकि इससे चमड़ी के नीचे घाव होने का
खतरा रहता है.
कास्ट्रेटर को प्रयोग करने से पहले ठीक प्रकार से साफ कर लेना चाहिए.
रबड़ के छल्ले से कैसे होता है बधियाकरण
पश्चिमी देशों में प्रचलित यह विधि बहुत छोटी उम्र के बछड़ों में प्रयोग की जाती है. इसमें रबड़ का एक मजबूत व लचीला छल्ला अंडकोषों के ऊपरी भाग में स्थित स्पर्मेटिक कोर्ड के ऊपर चढ़ा दिया जाता है. जिसके दबाव से अंडकोषों में खून का दौरा बन्द हो जाता है. इससे अंडकोष सूख जाते हैं तथा रबड़ का छल्ला अंडकोषों से निकल कर नीचे गिर जाता है.
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