नई दिल्ली. पशुपालन में पशुओं को संतुलित राशन दिए जाने की जरूरत होती है. पशुओं को दिए जाने वाले आहार से ही उन्हें दूध उत्पादन करने में मदद मिलती है. जबकि दिनभर में जो भी खुराक पशु खाते हैं, इससे वो खुद को हैल्दी रख पाते हैं. अगर पशु हैल्दी रहते हैं तो उनको बीमारियों का भी खतरा नहीं रहता है और दूध उत्पादन भी कम नहीं होता है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि कई बार गाय को या भैंस को जब चारा खिलाया जाता है तो इसको तैयार करने में थोड़े बहुत चारे की बर्बादी होती है. इसलिए जरूरी है कि पशुओं को उसके अतिरिक्त आहार दिया जाए, जिससे बर्बाद हुए चारे की भरपाई की जा सके. ताकि पशु को उनके शरीर की जरूरत के मुताबिक आहार मिल जाए.
पशुओं को दिये जाने वाला राशन संतुलित होना चाहिए. अच्छी तरह से संतुलित आहार खिलाने से पशुओं की जरूरत के हिसाब से उसे सारे पोषक तत्व मिल जाते हैं. जबकि इस तरह का आहार देने से इसकी लागत भी काम आती है. अगर लागत कम आएगी तो इसका मतलब ये है कि डेयरी के काम में ज्यादा फायदा होगा. बता दें कि पशुपालन में फीड पर करीब 70 फीसदी तक का खर्च आता है.
यहां पढ़ें क्या-क्या करना है
- पशु आहार स्वादिष्ट होना चाहिए. अगर आहार खाने में टेस्टी है तो इससे पशु उसे चाव से खाते हैं. जबकि स्वाद नहीं है तो नमक और गुड़ मिलाकर इसका स्वाद बढ़ाया जा सकता है.
- राशन में ज्यादा पचने वाला फीड मिलाना चाहिए. ताकि आहार में मौजूद पोषक तत्वों को पशुओं की आंतों को आसानी से पचाने में मदद मिल सके.
- पशुओं को दिए जाने वाली खुराक में पर्याप्त मात्रा में खनिज पदार्थ होने चाहिए. गाय द्वारा उत्पादित प्रति एक लीटर दूध में जीरो 0.7 परसेंट से थोड़ा अधिक खनिज पदार्थ होता है. इसलिए भरपूर मात्रा में उन्हें मिनरल मिक्सचर्स आहार में मिलाकर देना जरूरी होता है.
- जानवरों केे आहार देने में समय का ख्याल रखना चाहिए. अगर ऐसा न किया जाए तो उत्पादक क्षमता कम हो जाएगी. आहार खिलाने का समय निश्चित होना चाहिए. ताकि जानवरों को आहार के लिए ज्यादा इंतजार न करना पड़े. कई बार एक बाड़े में ज्यादा पशु होने से सबसे बाद में जिस पशु को आहार दिया जाता है, उसे देर से आहार मिलता है.
- पशु के खाने में सभी बदलाव धीरे-धीरे करने चाहिए. अचानक से किया गया बदलाव नुकसान पहुंचा सकता है. वहीं पाचन समस्याओं के कारण अक्सर कब्ज की समस्या पशुओं में होती है. इसलिए ऐसा आहार देना चाहिए, जिससे पशु आसानी से पचा सकें.
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