नई दिल्ली. भारतीय ईईजेड में खासतौर से अंडमान और निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह के आसपास उच्च मूल्य वाली टूना और टूना जैसी प्रजातियों को निकालने के लिए बहुत गुंजाइश और क्षमता प्रदान करता है. सरकार क्षमता विकास के साथ गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को बढ़ावा देगी और संसाधन-विशिष्ट मछली पकड़ने वाले जहाजों के हासिल करने का समर्थन करेगी. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मत्स्य पालन के विकास का लक्ष्य 6.60 लाख वर्ग किलोमीटर (भारतीय ईईजेड का एक तिहाई) के ईईजेड क्षेत्र से मछली निकाली जाएगी. जिसमें 1.48 लाख टन की समुद्री मत्स्य पालन क्षमता है. इस उद्देश्य के लिए, टूना क्लस्टर का विकास किया जाएगा. टूना मछली पकड़ने वाले जहाजों में ऑन-बोर्ड प्रसंस्करण और फ्रीजिंग सुविधाओं की स्थापना, गहरे समुद्र में टूना मछली पकड़ने वाले जहाजों के लिए लाइसेंसिंग और अंडमान और निकोबार प्रशासन द्वारा एकल खिड़की मंजूरी, समुद्री पिंजरे की खेती, समुद्री शैवाल, सजावटी और मोती की खेती में अवसरों का दोहन जैसी गतिविधियां शुरू की गई हैं.
लक्षद्वीप द्वीपसमूह में मत्स्य पालन के विकास का लक्ष्य 4 लाख वर्ग किलोमीटर (भारतीय ईईजेड का 17%) के अपने ईईजेड क्षेत्र और 4200 वर्ग मीटर के लैगून क्षेत्र का दोहन करना होगा, जिसमें 1 लाख टन की क्षमता है, जिसमें टूना मत्स्य पालन के लिए 4,200 टन की क्षमता शामिल है. इस उद्देश्य के लिए, समुद्री शैवाल क्लस्टर के विकास को अधिसूचित किया गया है और लक्षद्वीप प्रशासन द्वारा एंड-टू-एंड मूल्य श्रृंखला के साथ द्वीप-वार क्षेत्र आवंटन और पट्टे की नीति, महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) का गठन और निजी उद्यमियों और लक्षद्वीप प्रशासन के सहयोग से आईसीएआर संस्थान के माध्यम से क्षमता निर्माण, टूना मछली पकड़ने और सजावटी मछली पालन में अवसरों का दोहन जैसी गतिविधियाँ शुरू की गई हैं.
2.5 लाख टन का रखा गया है टारगेट
बजट घोषणा में अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीपसमूह में अप्रयुक्त मत्स्य पालन क्षमता के लगभग 2.5 लाख टन का लक्ष्य रखा गया है. फ्रोजन फिश पेस्ट (सुरीमी) पर मूल सीमा शुल्क 30% से घटाकर 5 फीसदी किया गया है. फिश हाइड्रोलाइज़ेट पर 15 परसेंट से घटाकर 5 परसेंट किया गया है. वर्ष 2025-2026 के लिए आज लोकसभा में पेश किए गए केंद्रीय बजट में मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए अब तक का सबसे अधिक कुल वार्षिक बजटीय समर्थन 2,703.67 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है. वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए यह समग्र आवंटन पिछले वर्ष 2024-25 के दौरान किए गए 2,616.44 करोड़ रुपये (बीई) के आवंटन की तुलना में 3.3% बढ़ा है. इसमें 2024-25 के लिए 2,616.44 करोड़ रुपये का आवंटन शामिल है.
PMMSY के तहत 2465 करोड़ रुपए दिया
साल 2025-26 के दौरान प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए 2,465 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जो वर्ष 2024-25 (2,352 करोड़ रुपये) के दौरान इस योजना के लिए किए गए आवंटन की तुलना में 4.8% अधिक है. बजट 2025-26 में विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और उच्च समुद्र से मत्स्य पालन के सतत दोहन के लिए एक ढांचे को सक्षम करने पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर विशेष ध्यान दिया गया है। चूंकि भारत में 20 लाख वर्ग किलोमीटर का ईईजेड और 8,118 किलोमीटर लंबी तटरेखा है, जिसकी अनुमानित समुद्री क्षमता 53 लाख टन (2018) है और 50 लाख लोग अपनी आजीविका के लिए समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र पर निर्भर हैं.
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