नई दिल्ली. पंजाब के लुधियाना में पीडीएफ इंटरनेशनल डेयरी एंड एग्रो एक्सपो 2025 का आयोजन किया गया तो एचएफ नस्ल की गाय ने सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन करके रिकॉर्ड बना दिया. सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन करने की वजह से इस गाय ने नंबर वन पोजिशन हासिल की और इस वजह से उसने ईनाम में ट्रैक्टर जीत लिया है. इस एक्सपो में कई किसानों की गायों ने हिस्सा लिया था, सभी को पछाड़ते हुए मोगा जिले के नूरपुर हाकिम गांव के हरप्रीत सिंह की एचएफ गाय ने ईनाम जीता और खुद के फार्म का ही रिकॉर्ड तोड़ दिया.
गौरतलब है कि हर साल फरवरी में पीडीएफए इंटरनेशनल डेयरी एंड एग्री एक्सपो का आयोजन करती है. लुधियाना पंजाब में 8 फरवरी को इसका आयोजन किया गया था. जहां मोगा जिले के नूरपुर हाकिम गांव की गाय ने 5 दिनों तक लगातार 80 लीटर से ज्यादा दूध का उत्पादन किया. जब औसत जोड़ा गया तो उसका दूध उत्पादन प्रतिदिन 81.96 केजी लगभग 82 लीटर आया. बाकी अन्य गाय दूध उत्पादन के मामले में हरप्रीत सिंह की गाय से पीछे रहीं. जिस वजह से हरप्रीत सिंह गाय को विनर घोषित किया गया और इस गाय ने ईनाम में ट्रैक्टर जीत लिया. इस जीत के बाद गाय के मालिक हरप्रीत सिंह को भी सम्मानित किया गया.
खुद के फार्म का तोड़ा रिकॉर्ड
हरप्रीत सिंह ने बताया कि उनका ओंमकार डेयरी के नाम से 27 साल पुराना फॉर्म है. जिसमें 250 से ज्यादा पशु मौजूदा वक्त में हैं. इन पशुओं में 150 मिलकिंग में हैं. बाकी ड्राई और बछड़े-बछिड़यां हैं. उन्होंने बताया कि पहला ईनाम जीतने वाली उनकी एचएफ गाय 14वीं जनरेशन की है. इसने इस बार पूरे भारत में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने का रिकार्ड बनाया है. पिछली बार भी उन्हीं की डेयरी फार्म की गाय ने 75 लीटर दूध देने का रिकॉर्ड बनाया था. हरप्रीत ने कहा कि इस बार तकरीबन 82 लीटर दूध देने वाली उनकी गाय ने खुद के फॉर्म का ही रिकॉर्ड तोड़ा है और अब तक सबसे ज्यादा दूध देने का रिकॉर्ड बना दिया है.
क्या खाती है उनकी ये गाय
ज्यादा दूध उत्पादन करने के बारे में जब हरप्रीत से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमेशा ही इंपॉर्टेंट सीमेन से ब्रीडिंग करते हैं. ताकि ज्यादा दूध उत्पादन देने वाले पशु उन्हें मिल सकें. 82 लीटर दूध देने वाली एचएफ गाय की खुराक के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि हर दिन 70 किलो की खुराक खाती है. हरे चारे की जगह वो अपने पशुओं को साइलेज खिलाते हैं. जब हरा चारा उपलब्ध होता है तब भी वह साइलेज का ही इस्तेमाल करते हैं. साइलेज बनाने के लिए वह मक्के का इस्तेमाल करते हैं. मक्के दाने से अलग किए बिना वो साइलेज बनाते हैं और साल भर पशु को खिलाते हैं. उन्होंने कहा कि साइलेज इसलिए खिलाते हैं कि क्योंकि इसे पशु को साल भर उपलब्ध करा पाते हैं. जबकि हरा चारा हर समय उपलब्ध नहीं रहता है.
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बांधकर नहीं रखा जाता है पशु
हनप्रीत ने बताया कि पशु को साइलेज से भरपूर मात्रा में न्यूट्रिशन मिलता है. पशु के लिए टीएमआर मशीन में सारी चीजों को डालकर पीस दिया जाता है और फिर इसे उनके आगे रख दिया जाता है. जिससे पशु खा लेते हैं. उन्होंने बताया कि उनके फार्म में कोई भी पशु को बांधकर नहीं रखा जाता, उन्हें खुला हुआ छोड़ दिया जाता है. पशु जब चाहते हैं, जितना चाहते खाते रहते हैं. जब दिल चाहता है पानी पीते हैं. इस तरह से पशु खुद को आजाद महसूस करते हैं और ज्यादा दूध का उत्पादन करते हैं. इस वक्त उनके फार्म में कुल 3500 लीटर दूध का उत्पादन किया जा रहा है. जिसे वेरका लुधियाना कोऑपरेटिव प्लांट को बेचा जाता है और इससे उन्हें अच्छी खासी कमाई होती है.
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