नई दिल्ली. देश में पोल्ट्री सेक्टर 8 फीसदी की औसत वार्षिक दर से बढ़ रहा है. हालांकि तेजी से विस्तारित हो रहे इस सेक्टर के सामने कई चुनौतियां भी हैं, जो सेक्टर को बढ़ने में रुकावट का काम कर रही हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि पोल्ट्री सेक्टर तब और तेजी के साथ बढ़ेगा जब मॉर्डनाइजेशन एडवांस्ड प्रोडक्शन के जरिए पोल्ट्री प्रोडक्ट का उत्पादन किया जाए. साथ ही इस ग्रोथ रेट को आगे ले जाने में कंज्यूमर डिमांड में बदलाव, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल, सरकारी नीतियां और जरूरी फीड उपलब्धता भी शामिल है. ये सारी चीज जब पोल्ट्री के हक में जाएंगी तो सेक्टर तेजी से ग्रोथ करेगा.
पोल्ट्री सेक्टर के एक्सपर्ट रिकि थापर का कहना है कि पोल्ट्री सेक्टर में ग्रोथ बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी कोल्ड चेन और हाई कैपेसिटी पोल्ट्री प्रोसेसिंग प्लांट में इन्वेस्टमेंट करना है. अगर इसमें इन्वेस्टमेंट कर दिया गया तो सेक्टर को इससे फायदा होगा. इन्वेस्टमेंट करने का फायदा यह होगा कि हमारे प्लांट्स भी इंटरनेशनल स्टैंडर्ड पर खरे उतर सकेंगे. इससे लाइव बर्ड सेल, और चिल्ड फ्रोजन पोल्ट्री प्रोडक्ट जैसी चीजों में सुधार होगा. वहीं मक्का और सोयाबीन का सही दाम पर इंडस्ट्री को मिलेगा तो यह सेक्टर बहुत आगे निकल जाएगा.
क्यों मांगी जा रही है जीएम मक्का इंपोर्ट करने की इजाजत
गौरतलब है कि पोल्ट्री सेक्टर की अहम चुनौती में से एक मक्का की कमी है. दरअसल, भारत में सरकार ने मक्का को एथेनॉल प्रोडक्शन के लिए इस्तेमाल करने की इजाजत दी है. इसके चलते पोल्ट्री फीड की कमी हो रही है. जबकि पोल्ट्री फीड में 70 फीसदी तक मक्का का इस्तेमाल होता है. पहले एथेनॉल का प्रोडक्शन चावल और गन्ने से किया जाता था लेकिन अब मक्का का इस्तेमाल होने से पोल्ट्री सेक्टर पर इसका असर पड़ा है. रिकी थापर का कहना है कि अगर सरकार जीएम मक्का इंपोर्ट करने की इजाजत दे दे तो घरेलू उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.
इस वजह से बढ़ रही पोल्ट्री फीड की डिमांड
एक्सपर्ट का मानना है की बढ़ती हेल्थ अवेयरनेस की वजह से चिकन मीट और अंडों की डिमांड बढ़ी है. इन्हें रेड मीट की तुलना में हैल्दी ऑप्शन माना जाता है. जबकि पोल्ट्री प्रोडक्ट्स अन्य प्रोडक्ट की तुलना में सस्ता भी है. जिससे एक बड़ी आबादी इसका सेवन कर रही है. कोरोना महामारी के बाद से प्रोटीन रिच फूड की डिमांड में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई है. जिसमें पोल्ट्री प्रोडक्ट कंजप्शन को और ज्यादा बढ़ावा मिला है. पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के जॉइंट सेक्रेटरी रिकी थापर का कहना है कि भारत को सोयाबीन मील और जीएम मक्का को इंपोर्ट करने की जरूरत है. ताकि पोल्ट्री सेक्टर की ग्रोथ बनी रहे और प्रोडक्ट भी उपलब्ध होता रहे. वहीं फीड कास्ट को कम करना भी बड़ी प्राथमिकता में से एक है.
Leave a comment