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Animal husbandry: AI और सेक्स सॉर्टेड सीमन समेत इन 8 कामों से आसान हो गया पशुपालन, बढ़ा दूध

कंकरेज नस्ल के मवेशी तथा जाफराबादी, नीली रावी, पंढरपुरी और बन्नी नस्ल की भैंसों को शामिल किया गया है. इसमें रोग मुक्त हाई जेनेटिक वाले सांडों को पंजाब सहित देश भर के वीर्य केंद्रों को उपलब्ध कराया जाता है.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. देश में कृत्रिम गर्भाधान की दर 32 से 35 प्रतिशत के बीच है. देशी नस्लों सहित गोजातीय पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की सक्सेस रेट बढ़ाने के लएि पशुपालन और डेयरी विभाग ने कई कदम उठाए हैं. इसमें साइंटिफिक, टेक्नीकल प्रोग्रेस मुख्य है.
देशी नस्लों को अंधाधुंध प्रजनन से बचाने के लिए देश में सभी आयातित जर्मप्लाज्म की नस्ल शुद्धता टेस्टिंग की जाती है. जर्मप्लाज्म के इंपोर्ट को रेगुलेट करने और देश में आनुवंशिक रोगों की एंट्री को रोकने के लिए विभाग ने गोजातीय जर्मप्लाज्म के इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के लिए आदेश दिए हैं. यह जानकारी मंत्रालय द्वारा दी गई.

राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम इस कड़ी में शामिल है. इसका मुख्य उद्देश्य कृत्रिम गर्भाधान कवरेज को बढ़ाना और देशी नस्लों सहित उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों के स्पर्म के साथ किसानों तक बेहतर कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं (एआई) प्रदान करना है. संतान परीक्षण और वंशावली चयन कार्यक्रम से देशी नस्लों के सांडों सहित हाई जेनेटिक वाले सांडों को पैदा करना है. गिर, साहीवाल नस्ल के मवेशियों और मुर्रा, मेहसाणा नस्ल की भैंसों के लिए संतान टेस्टिंग लागू किया जाता है. वंशावली चयन कार्यक्रम के अंतर्गत राठी, थारपारकर, हरियाना, कंकरेज नस्ल के मवेशी तथा जाफराबादी, नीली रावी, पंढरपुरी और बन्नी नस्ल की भैंसों को शामिल किया गया है. इसमें रोग मुक्त हाई जेनेटिक वाले सांडों को पंजाब सहित देश भर के वीर्य केंद्रों को उपलब्ध कराया जाता है.

वीर्य केंद्रों को मजबूत बनाना वीर्य उत्पादन में गुणात्मक और मात्रात्मक सुधार करने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत वीर्य केंद्रों को मजबूत बनाना है. पशुपालन और डेयरी विभाग ने वीर्य पैदा के लिए न्यूनतम मानक प्रोटोकॉल तैयार किया है और पंजाब सहित देश भर के वीर्य केंद्रों को आंकना और ग्रेडिंग के लिए केंद्रीय निगरानी इकाई (सीएमयू) का गठन किया है.

ग्रामीण भारत में बहुउद्देश्यीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (मैत्री) किसानों के दरवाजे पर अच्छी कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं देने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है. इसके अलावा, पंजाब सहित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों और पेशेवरों की ट्रेनिंग के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाती है.

सेक्स सॉर्टेड सीमन: विभाग ने गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में स्थित 5 सरकारी वीर्य केंद्रों पर सेक्स सॉर्टेड सीमन उत्पादन सुविधाएं स्थापित की हैं. 3 निजी वीर्य केंद्र भी सेक्स सॉर्टेड सीमन खुराक का उत्पादन कर रहे हैं. अब तक उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले बैलों से 1.17 करोड़ सेक्स सॉर्टेड सीमन खुराक का उत्पादन किया गया है, जिसमें देशी नस्लों के बैल भी शामिल हैं और कृत्रिम गर्भाधान के लिए उपलब्ध कराए गए हैं.

सेक्स सॉर्टेड सीमन का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का उद्देश्य 90% तक सटीकता के साथ मादा बछड़ों का उत्पादन करना है, जिससे नस्ल सुधार और किसानों की आय में वृद्धि हो। कार्यक्रम पंजाब सहित सभी राज्यों में लागू किया गया है। सरकार ने किसानों को उचित दरों पर सेक्स सॉर्टेड सीमन उपलब्ध कराने के लिए स्वदेशी रूप से विकसित सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक शुरू की है।

इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक का कार्यान्वयन: देशी नस्लों के उत्कृष्ट पशुओं को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने 22 आईवीएफ प्रयोगशालाएं स्थापित की हैं. एक ही पीढ़ी में गोजातीय आबादी के आनुवंशिक में इस तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका है. पटियाला और लुधियाना में आईवीएफ लैब की स्थापना के लिए पंजाब को धनराशि जारी की गई है. दोनों प्रयोगशालाएं चालू हैं. इसके अलावा, किसानों को उचित दरों पर टेक्नोलॉजी देने के लिए सरकार ने स्वदेशी आईवीएफ मीडिया लांच किया है.

जीनोमिक चयन: उच्च आनुवंशिक योग्यता (एचजीएम) पशुओं को सलेक्ट करने और मवेशियों और भैंसों के आनुवंशिक सुधार में तेजी लाने के लिए विभाग ने जीनोमिक चिप्स विकसित किए हैं. देशी मवेशियों के लिए गौ चिप और भैंसों के लिए महिष चिप. विशेष रूप से देश में देशी नस्लों के उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले पशुओं के जीनोमिक चयन को आरंभ करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

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