नई दिल्ली. अगर आप भी उन्हीं लोगों में से हैं जो ये सोचते हैं कि मछली पालन करना बेहद ही आसान है. बस मछलियों को लाकर तालाब में डाल दिया और चारा डाल दिया इससे मछलियां बड़ी हो जाएंगी. अगर आप से सोचत हैं आप गलत है. क्योंकि सच्चाई इससे अलग है. आप इस सोच के साथ मछली पालन करते हैं तो इससे आपको नुकसान हो सकता है. मछली पालन करना सामान्य काम नहीं बल्कि इसके लिए मुकम्मल ट्रेनिंग की जरूरत है. सीरियस होकर इसकी ट्रेनिंग लेंगे तो इससे आपको फायदा होगा. इससे मछलियों की ग्रोथ भी मिलेगी और आपको मुनाफा भी मिलेगा.
फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि उन मछली पलकों को ज्यादा फायदा होता है जो मछली पालने से पहले पानी और मिट्टी की गुणवत्ता की जांच करा लेते हैं. क्योंकि तालाब की मिट्टी और पानी मछली पालन की बुनियाद है. अगर यह दोनों सही हैं तो मछलियां हेल्दी रहेंगी और उनकी तेजी के साथ ग्रोथ होगी. बता दें कि पानी का सही पीएच और मिट्टी की उर्वरता मछलियों की सेहत पर बड़ा असर डालती हैं और यह जानना बेहद ही जरूरी है.
कितना होना चाहिए पीएच, जानें यहां
फिश एक्सपर्ट का कहना है कि तालाब का पानी मछलियों के लिए सिर्फ रहने की जगह नहीं बल्कि उनके ग्रोथ का आधार भी है. यदि पानी को सही तरीके से नहीं संभाला तो मछलियों की ग्रोथ रुक जाएगी. उनमें बीमारियां बढ़ जाएंगी और आपकी मेहनत की कमाई मिट्टी में मिल सकती है. पानी को सही रखना मछली पालन की सबसे अहम चीजों में से एक है. इसका मतलब है कि पानी को मछलियों के लिए उपयुक्त बनाया जाए. पानी का रंग हल्का हरा होना चाहिए. क्योंकि इससे ये संकेत मिलता है कि पानी नेचुरल प्लैंकटन है जो मछलियों के लिए नेचुरल फीड का काम करता है. पानी का पीएच लेवल 6.5 से 8 तक अच्छा माना जाता है.
ऐसे में उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान
एक्सपर्ट कहते हैं कि सुनने में ये भले छोटा सा पॉइंट लगे लेकिन इसका असर बहुत होता है. अगर पीएच लेवल सही नहीं है तो मछलियों के लिए पानी जहरीला भी बन सकता है. नतीजा ये होगा कि मछलियां बीमार पड़ने लगेंगी और उनका वजन नहीं बढ़ेगा. इससे आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए पानी के पीएच लेवल नियमित रूप से जांचते रहना चाहिए. अगर पीएच लेवल बढ़ा हुआ है तो तालाब के अंदर सही मात्रा में चूने का छिड़काव करना चाहिए. यदि पीएच लेवल कम है तो तालाब के पानी को मेंटेन करने के लिए नेचुरल तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए.
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