नई दिल्ली. डेयरी क्षेत्र कृषि इकोनॉमी में 5 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है. पशुधन से प्रोडेक्शन के रेट में दूध और दूध उत्पादों का बड़ा हिस्सा होता है. दूध उत्पादन का मूल्य 2022-23 में खाद्यान्न उत्पादन के कुल मूल्य को पार करते हुए 11.16 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) के पास डेयरी किसानों के लिए सब्सिडी शुरू करने की कोई योजना नहीं है, क्योंकि डीएएचडी देश में दूध की खरीद और बिक्री की कीमतों को रेगुलेट नहीं करता है. कीमतें सहकारी और निजी डेयरियों द्वारा उनके उत्पादन की लागत और बाजार के आधार पर तय की जाती हैं. डेयरी सहकारी क्षेत्र में उपभोक्ता के लगभग 70 से 80 प्रतिशत रुपये का भुगतान दूध उत्पादक किसानों को किया जाता है.
दूध प्रोडेक्शन और दूध प्रोसेसिंग के लिए किए गए कंपलीमेंटरी और सप्लीमेंटरी करने के लिए डीएएचडी देश भर में कई स्कीम को लागू किया है. जिनमें राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम, पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ), राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम), राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम), पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) शामिल हैं. आइये इनके बारे में जानते हैं कि ये कैसे काम करती हैं.
I. राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी)
डेयरी गतिविधियों में संलग्न डेयरी सहकारी समितियों एवं किसान उत्पादक संगठनों को सहायता प्रदान करना (एसडीसीएफपीओ)
पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ)
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम)
राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम)
पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी)
ये योजनाएं दूध देने वाले पशुओं की दूध उत्पादकता में सुधार, डेयरी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, चारा और चारे की उपलब्धता बढ़ाने और पशु स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में मदद कर रही हैं. ये दूध उत्पादन की लागत को कम करने, संगठित बाजार उपलब्ध कराने और उपज के लाभकारी मूल्य के साथ डेयरी फार्मिंग से आय बढ़ाने में भी मदद करते हैं.
एनपीडीडी के तहत 23,516 डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना किया गया है. इसके अलावा डीएएचडी और सहकारिता मंत्रालय संयुक्त रूप से सहकारी डेयरी मॉडल के विस्तार के लिए श्वेत क्रांति 2.0 को लागू कर रहे हैं, जिसका लक्ष्य एनपीडीडी योजना के माध्यम से पांच वर्षों में देश भर में 75000 नई डेयरी सहकारी समितियां बनाना है.
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