नई दिल्ली. आजकल देश में बड़े पैमाने पर बकरी पालन किया जा रहा है. बकरी पालन से लोग जुड़कर लाखों रुपये कमा रहे हैं. आज कई ऐसे किसान भी हैं, जिनकी शेड में सैकड़ों की संख्या में बकरे-बकरी हैं और उनकी कमाई करोड़ों में भी होती है. बकरी पालन खास तौर पर लघु और सीमांत किसानों के लिए एक बेहतरीन व्यवसाय का जरिया बनकर उभरा है. क्योंकि बकरी पालन को कम लागत में भी किया जा सकता है. इस वजह से ग्रामीण अंचलों में खास तौर पर लघु और सीमांत किसान कम लागत में 5 से 10 बकरी बकरों को पालकर अपनी आमदनी का एक और जरिया बना रहे हैं. बकरी की कुछ नस्ल ऐसी हैं, जिन्हें पालकर मोटी कमाई कर सकते हैं. आपको बता दें कि तोतापरी बकरी के पालन में बहुत ही कम लागत आती है. ये नस्ल दूध के साथ मीट के लिए बेहद फेमस है.
बता दें कि देश में बकरी की 37 नस्ल होती हैं, जिनमें से तोतापरी की बकरी के पालन में बहुत ही कम लागत आती है. तोतापुरी या तोतापरी बकरी कम लागत में पालकर मोटी कमाई की जा सकती है. ये बकरी कम चारा खाती है और प्रतिदिन दो से तीन लीटर दूध देती है. एक तोतापरी बकरी की कीमत 13-20 हजार रुपये तक हो सकती है.
बच्चों के लिए जानी जाती है ये बकरीः इस नस्ल की बकरी 150-155 दिन में बच्चे दे देती है. एक बार में दो-तीन बच्चे एक साथ देती है. तोतापरी नस्ल की बकरी राजस्थान में पाई जाती है. इस बकरियों को दूध और मांस दोनों के लिए पाला जाता है. तोतापरी बकरी अन्य बककियों की अपेक्षा काफी लंबी और मजबूत होती है, जो छोटे-मोटे पेड़ों तक पर चढ़ जाती है.
मांस और दूध दोनों के लिए अच्छीः तोतापरी नस्ल की बकरे या बकरी का मांस बहुत ज्यादा स्वादिष्ट माना जाता है. इसके साथ ही लाभदायक होता है. बकरी पालन करने के लिए इस व्यवसाय को समझना बहुत ज्यादा जरूरी होता है. इस नस्ल की बकरियां आकार में लंबी तो होती हैं लेकिन बहुत ज्यादा मोटी नहीं होतीं. इनके शरीर का रंग सफेद, लाल और काले-सफेद धब्बे होते हैं. सींग पीछे की तरफ होते हैं. नाक तोते की तहर से होती है और कान गर्दन से बहुत नीचे होते हैं. देखने को बेहद खूबसूरत होती है तोतापरी बकरी. एक बकरे का वजन करीब 40 से 70 किलो के बीच में होता है, वही एक बकरी 35 से 55 किलो के बीच में होती है. तोतापुरी नस्ल की बकरी 12 से 15 महीने की उम्र में बच्चा पैदा करना शुरू कर देती हैं. औसत स्तनपान अवधि 175 दिन है.
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