नई दिल्ली. इस मौसम में पशु जल्द बीमार पड़ जाते हैं. अगर ठीक से इनकी देखरेख कर ली जाए तो हम पशुओं को बीमार होने से बचा सकते हैं. पशुपालकों को इस बात पर गौर करना होगा कि मौसम बदलने पर कई तरह के जीवाणु सक्रिय हो जाते हैं और यह परजीवी पशुओं को रोग से संक्रमित कर देते हैं. पशुपालकों को इसके लिए जागरूक रहना चाहिए. कुछ बीमारियां हैं जिनका उपाए घर पर भी कर सकते हैं. आमतौर पर गेहूं की कटाई के बाद नई तूड़ी के इस्तेमाल से पशुओं में पाचन संबंधी समस्या जैसे कब्ज लगना या दस्त लगने की समस्या हो सकती हैं. इससे पशु बीमार हो जाते हैं. ऐसे में पशुओं में वेटरनरी डॉक्टर के पास तक ले जाने की जरूरत पड़ जाती है. कुछ घरेलू उपचार भी हम अपने पशुओं को बीमार होने से काफी हद तक बचा सकते हैं.
पशुओं में पेट के 4 हिस्से होते हैं, जिसमें रूमन, रेटिकुलम, ओमेंसम और अबोमेसम. जुगाली करने वाले पशुओं में आहार का पाचन सूक्ष्म जीवों द्वारा फर्मेटेशन किया जाता हैं. आहार में एकदम बदलाव से सूक्ष्म जीवों का रूमन में संतुलन बिगड़ जाता हैं और पशुओ में पाचन संबंधी समस्या हो जाती है.
नई तूड़ी को एकदम से ना दें: एनीमल एक्सपर्ट कहते हैं कि नई तूड़ी को एकदम से पशु आहार में शामिल ना करें. धीरे-धीरे आठ से 10 दिनों में मात्रा को बढ़ाते हुए शामिल करें. पुरानी तूड़ी को नई तूड़ी आने तक कुछ मात्रा में बचा कर रखें और नई तूड़ी के साथ मिला कर देना चाहिए. शुरुआत में पुरानी तूड़ी की मात्रा अधिक रखें और फिर नई तूड़ी की मात्रा बढ़ाते रहें और पुरानी तूड़ी की मात्रा को कम करते जाएं. नई तूड़ी को पहले छान लें और कुछ घंटे भिगो कर भी रखें, जिससे नई तूड़ी अधिक पचने योग्य बन जाती हैं. पशुपालक पशु को सेंधा नमक, हरड़, हींग आदि पशुचिकित्सक की सलाह से खिला सकते हैं.
कब्ज के लिए कर सकते हैं ये काम: पशुचिकित्सक की सलाह से पशु को कब्ज खोलने के लिए अरंडी का तेल, पैराफीन, अलसी तेल पिला सकते हैं. गरमुंडा के फल और जड़ों का पाउडर बना सकते हैं. इसके लिए रोजाना 20 ग्राम प्रति 100 किलो शरीर के वजन के अनुसार खिलाने से पशु में कब्ज़ की समस्या से आराम मिल सकता हैं.
अफरा होने पर करें ये काम: अफरा हो तो दो सौ ml अरंडी के तेल को गरम पानी के साथ अच्छे से मिला कर पशु हर 4-6 घंटों के अंतराल में पिला सकते हैं. पशुओ में दस्त लगने की स्थिति में नीम, अनार, अमरूद के पत्ते, सूखी अदरख और गुड़ के साथ चिकित्सीय परामर्श से दे सकते हैं. गेंहू कटाई मशीनों द्वारा होने से तूड़ी में सूल, मिट्टी की मात्रा अधिक होती हैं. इसलिए तूड़ी को छानकर ही पशुओं को दें.
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