नई दिल्ली. मुर्गी पालन भी एक बेहतरीन काम है. अगर इसे अच्छी तरह से किया जाए तो अच्छा मुनाफा होता है. एक आंकड़े के मुताबिक अगर छोटे स्तर पर 1500 मुर्गियों से लेयर फार्मिंग शुरू की जाए तो 50 हजार से एक लाख रुपए प्रति महीना कमाया जा सकता है. वहीं ब्रॉयलर चिकन को पालकर भी आप अच्छी खासी इनकम जनरेट कर सकते हैं. हालांकि ये तब संभव होगा जब उत्पादन अच्छा मिलेगा. मान लीजिए कि अपने अंडों के उत्पादन के लिए लेयर मुर्गियों को पाला है तो मुर्गियों से ज्यादा अंडे लेने होंगे, तब फायदा मिलेगा. इसी तरीके से ब्रॉयलर मुर्गों का तेजी से बढ़ेगा तब उनसे फायदा उठा पाएंगे, नहीं तो नुकसान हो सकता है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि पोल्ट्री फार्मिंग के काम में सबसे अहम यह है कि मुर्गियां हेल्दी हैं या बीमार हैं, इसकी पहचान करने आ जाए. क्योंकि कहीं ना कहीं फायदा नुकसान इसी चीज पर टिका होता है. अगर मुर्गियां बीमार हैं और आपको इसकी पहचान नहीं है तो मुर्गियों में मृत्यु दर भी देखी जा सकती है और आपको पोल्ट्री फार्मिंग के काम में बड़ा नुकसान हो सकता है. जबकि मुर्गियां स्वस्थ हैं तो आपको फायदा होगा. आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि स्वस्थ और अस्वस्थ मुर्गियों की पहचान क्या है.
स्वस्थ मुर्गियों की पहचान
सामान्य वजन, फुर्तीलापन, हाथ से पकड़ने पर संघर्ष करना तथा उठाते समय टांगों में सुर्कलेशन की ताकत का अहसास होना.
चेहरा भरा हुआ, नासिका साफ व म्यूकस रहित, आंखों में चमक और अधिक रोशनी होने पर तुरंत ही आंखों का बंद होना.
कलंगी व गलकम्बल साफ, चमकदार और डीप लाल रंग की होती है.
पंख साफ-सुथरे एवं व्यवस्थित, चमड़ी चमकदार एवं पिगमेंट वाली होती है.
टांगे समान, चमकदार, साफ व भरी हुई होती है.
मुर्गियां बराबर दाना खाती हैं, पानी पीती हैं और क्रॉप भरी हुई होती है.
बींट-सफेद रंग लिये हुए मटमैले भूरे रंग की बंधी हुई होती है.
अस्वस्थ मुर्गियों के लक्षण
वजन में कमी, सुस्ती और उदासी, उठाते समय संघर्ष न करना, सांस लेते समय व्याकुलता तथा शारीरिक तापमान कम या अधिक होना.
पेट फूला हुआ या पानी से भरा हुआ, नासिका में म्युकस, नेत्र सुस्त व सूजे हुए होना.
कलंगी सिकुड़ी या मुरझाई हुई पीले या नीले रंग की एवं गलकम्बल में सूजन का होना.
पंख झुके हुए मैले से रंग के तथा चर्म में सूजन-सी दिखाई देना.
टांगों में सूजन का मिलना तथा लंगड़ा कर चलना.
आहार उपयोग कम या बन्द तथा अधिक प्यास लगना.
हरे, पीले, सफेद रंग की बींट, दस्त के रूप में पतली बीट होना.
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