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Feed: मिलावटी आहार न बिगाड़ दे पशुओं की सेहत, ऐसे बचाएं बांझपन का शिकार होने से

दुधारू गाय व भैंस के ब्याने व उसके बाद सतर्क रहने की आवश्यकता है.
साहीवाल गाय की प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. पशुओं को अच्छा व पोष्टिक आहार देना बहुत जरूरी होता है. अगर उन्हें समय पर अच्छा भोजन नहीं दिया तो पशु दूध देना तो कम कर ही देंगे, वे कमजोर भी हो जाएंगे. अगर खराब भोजन के उन्हें खिला दिया तो वे बीमार हो जाएंगे. आज मार्केट में कई तरह के मिलावटी पशु आहार बाजार में धड़ल्ले से मिल रहे हैं. ये मिलावटी पशु आहार इतने खतरनाक है कि पशु बांझपन तक का शिकार हो रहे हैं. कुछ व्यापारी मोटे मुनाफे के लिए मिलावट कर रहे हैं तो पशुपालक ज्यादा दूध दोहने और सस्ते के चक्कर में मिलावट आहार अपने पशुओं को दे रहे हैं, जिससे पशुपालकों को बड़ा नुकसान तक झेलना पड़ रहा है. बेहतर होगा कि किसान या पशुपालक अच्छे ब्रांड का पशु आहार ही खरीदें.

पशु चिकित्सकों की मानें तो एक पशु की ब्यात 12 से 15 बार की होती है, लेकिन पशुपालक पशु को केवल मुनाफे की तरफ देखकर अधिक से अधिक दूध की मात्रा लेने के चक्कर में मिलावटी और नुकसानदायक फीड के दे रहे हैं. कुछ समय बाद पशु भी इस फीड को खाने लगता है व धीरे-धीरे इसके बगैर चारा नहीं खाता. बिना गुणवत्ता के फीड को खाने से उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. बाजारु फीड में बगैर मानक के अनुसार ये फीड बनाई जा रही है जो आने वाले समय में अधिकतर पशुओं को बांझपन का शिकार बना देता है.

ज्यादा दूध उत्पादन के चक्कर में कर रहे नुकसान
पशु पालक या किसान पशु को भरपूर मात्रा में न तो कैल्शियम न प्रोटीन देते हैं. सिर्फ दूध देने के दौरान ही उस पर मार्केट में बिकने वाले फीड को अपना सहारा बनते हैं. जबकि फीड के बेचने वाले दावा करते हैं कि हमारी फीड खिलाने से एक पशु का तीन से चार लीटर दूध अधिक बढ़ जाएगा. मगर धीरे-धीरे पशु इन फीड का आदी हो जाता है और ​बगैर इस फीड के वो चारा तक नहीं खाता. बाजार में मिलने वाले फीड की वजह से पशु को कई बार भरपूर मात्रा में विटामिन-कैल्शियम प्राप्त नहीं हो पाती.

रसायनिक पदार्थों की वजह से बढ़ रही परेशानी
पशुपालक भी केवल दूध तक की सीमित रहता है. जब कुछ दिनों बाद उस पशु में दूध धीरे-धीरे कम हो जाता है तो वो अपने इस पशु को किसी दूसरे को बेच देकर उसकी परेशानी बढ़ा देता है. पशुपालक व डेयरी संचालक चेतन स्वरूप ने बताया कि आजकल खान—पान की वजह से पशुओं में स्वास्थ्य को लेकर कई तरह की परेशानियां आ रही हैं. खान-पान में रासायनिक व यूरिया के उपयोग की वजह से व बजार में बगैर गुणवत्ता के फीड के आने से पशुओं में बांझपन की शिकायत देखने को मिलती है.

विशेषज्ञों की सलाह मानेंगे तो नहीं होंगे पशु बीमार
पशु चकित्सक डॉक्टर राजेंद्र पाराशर कहते हैं कि हर रोज घर में बनी हुई घरेलू दलिया व बाजरे का हरा चारा, नेपियर घास, सूखा चारा तूड़ा व खनिज मिश्रण प्रत्येक दिन 50 ग्राम की मात्रा में पशु को दें. गर्मी नाशक पेट के कीड़े मारने की दवाई समय-समय पर पशु को देनी चाहिए. डेयरी पशु का आहार ऊर्जा, प्रोटीन, खनिज और विटामिन की दृष्टि से उचित रूप से संतुलित होना चाहिए. उचित विकास और उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए, किसान अनाज को ऊर्जा स्स्रोत, विभिन्न प्रकार के खल न जैसे बिनौला, सरसों एवं मूंगफली खल को प्रोटीन के रूप में और खनिज मिश्रण को खनिजों के स्रोत के रूप में उपयोग कर सकते हैं.

ऐसे दें पशु को आहार
दुधारू पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में हरा चारा, प्रति किलोग्राम दूध उत्पादन पर 400-500 ग्राम सांद्र मिश्रण और प्रति पशु प्रति दिन 50-70 ग्राम खनिज मिश्रण एवं 20-30 ग्राम साधारण नमक उपलब्ध करवाना चाहिए. गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए फीड और फीड सामग्री के नियमित परीक्षण भी कराना चाहिए. आज के दौर में किसान जरूरत से ज्यादा यूरिया और कीटनाशक का प्रयोग खेती में करते हैं, जो पशुओं में चारे के माध्यम से चला जाता है. यही पशुओं के लिए सबसे बड़ी बीमारी का कारण बनता है. इससे सबसे ज्यादा पशु बांझपन का शिकार हो जाता है. विशेष रूप से जरूरत से अधिक यूरिया जो डेयरी पशुओं में प्रजनन संबंधी समस्याओं का प्रमुख कारण बन सकती है.

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