आगरा. उत्तर प्रदेश के आगरा में कीठम झील में बड़ी संख्या में मछलियां पाई जाती हैं. लेकिन कुछ दिन पहले अचानक मछलियां मरना शुरू हो गईं. इसकी जानकारी जब वन विभाग को हुई तो अधिकारियों ने सिंचाई और प्रदूषण नियंत्रण विभाग को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया. वन विभाग के अधिकारी मछलियों के मरने का कारण प्रदूषण को मान रहे हैं.
18 फुट पानी का स्तर निर्धारित
आगरा में वेटलैंड (आर्द्रभूमि क्षेत्र) सूर सरोवर पक्षी अभ्यारण्य कीठम झील को भी माना जाता है. कीठम में आगरा नहर और लोअर कैनाल की तरफ सिंचाई विभाग ने सेल्यूस गेट लगा रखे हैं. इन गेटों का प्रयोग कीठम झील में पानी का स्तर स्थिर रखने के लिए किया जाता है. कीठम में पक्षियों की रिहाइश के लिए 18 फुट पानी का स्तर निर्धारित है. इससे अधिक पानी होने पर ये टापू डूब जाते हैं. बीते दिनों नहर की ओर वाले गेट टूट गए, पानी का स्तर बरकरार रखने के लिए सिंचाई विभाग ने रेत के बोरे डालकर टेंपरेरी व्यवस्था कर दी थी. जिसके चलते लगातार प्रदूषित जल कीठम झील में आ रहा है.
यमुना के दूषित पानी से मरीं मछलियां
यही कारण है कि तीन फरवरी 2024 यानी शुक्रवार को झील में हजारों मछलियों के मरने की खबर सामने आई. इस सूचना के बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया. वन विभाग ने सिंचाई विभाग और प्रदूषण नियंत्रण विभाग को पत्र लिखकर मछलियों के मरने का कारण पूछा है. बता दें कि यमुना का प्रदूषित पानी आने से झील के पानी में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है, जिससे सैकड़ों मछलियां मर गईं. मछलियों के मरने के बाद विभागीय वार्डन और रेंजर लगातार नजर बनाए हैं.
एक दूसरे विभाग ने पत्र लिखकर की खानापूर्ति
इस बारे में उप वन संरक्षण राष्ट्रीय चंबल सेंक्चुअरी प्रोजेक्ट आरुषि मिश्रा ने बताया कि वन विभाग को फिर से लिखित और मौखिक दोनों रूप से सूचित किया जा चुका है. प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय को भी इसकी सूचना दे दी गई है. विभाग अपने स्तर से भी प्रयास कर रहा है.
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