Home पशुपालन FMD: देश के 16 राज्यों में जारी हुआ एफएफडी बीमारी का अलर्ट, यहां पढ़ें कहां-कहां है गायों पर इसका खतरा
पशुपालन

FMD: देश के 16 राज्यों में जारी हुआ एफएफडी बीमारी का अलर्ट, यहां पढ़ें कहां-कहां है गायों पर इसका खतरा

cow and buffalo farming
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. भेड़-बकरी और गाय-भैंस में खुरपका, मुंहपका एफएमडी बीमारी होती है. इसे खत्म करने के लिए करने के लिए देशभर में टीकाकरण अभियान बड़े जोर-शोर से चल रहा है. इसके तहत हर साल करीब 50 करोड़ पशुओं को एफएमडी की वैक्सीन लगाई जाती है. क्योंकि एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि इस बीमारी की वजह से देश का डेयरी प्रोडक्ट और मीट प्रोडक्ट आगे नहीं बढ़ पा रहा है. इस वजह से इस बीमारी को जड़ से खत्म करना बेहद जरूरी है. इस बीमारी का एकमात्र इलाज टीकाकरण ही है. एफएमडी को लेकर पशुपालन को लेकर काम करने वाली निविदा संस्थान की ओर से एडवाइजरी जारी गई है.

संस्था के मुताबिक मई महीने में देश के 55 जिले ऐसे हैं, जहां इसका केस ज्यादा देखने को मिल सकता है. इसलिए जरूरी है कि पशुपालक पहले से सतर्क हो जाएं. ताकि वो अपने मवेशियों को इस खतरनाक बीमारी से बचा सकें. अगर टीका नहीं लगवाया है तो टीका लगवा लें. एफएमडी को लेकर संस्था की ओर से जारी अलर्ट कहा गया है कि है असम में एक, गुजरात के एक, हरियाणा के दो, हिमाचल प्रदेश के दो,कर्नाटक के आठ, केरल के सात, मणिपुर के तीन, मेघालय के 5, उड़ीसा के एक, राजस्थान के एक, त्रिपुरा के चार उत्तर प्रदेश के दो और वेस्ट बंगाल के तीन शहरों में इसका खतरा है. सबसे ज्यादा झारखंड के 15 शहरों में खतरा है.

क्या है इस बीमारी के लक्षण
एनिमल एक्सपर्ट निवेश शर्मा कहते हैं कि एफएमडी पीड़ित पशु जैसे गाय-भैंस, भेड़-बकरी के लक्षण यह है कि उन्हें 104 से 106 एफ तक तेज बुखार होता है. भूख कम हो जाती है. पशु स्वस्थ रहने लगते हैं. मुंह से बहुत सारी लार टपकने लगता है. मुंह में फफोले हो जाते हैं. खासतौर पर जीभ और मसूड़े पर फफोले बहुत ज्यादा हो जाते हैं. पशुओं के पैर में खुर के बीच घाव हो जाता है. जो अलसर होता है. जबकि ग्रामीण पशु का गर्भपात हो जाता है. थन में सूजन और पशुओं में बांझपन की बीमारी हो जाती है.

क्या है बीमारी फैलने का कारण
एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं में दूषित चारा, दूषित पानी से एफएमडी रोग जल्दी फैलता है. बारिश के दौरान खासतौर पशु खुले में चरने के लिए दूसरी चारा पानी खा पी लेते हैं. खुले में कुछ पड़ी सड़ी गली चीज भी खा लेते हैं. इसके चलते फार्म पर आए नए पशुओं को भी ये बीमारी लग जाती है. एफएमडी की बीमारी पीड़ित पशुओं के साथ रहने से भी हो जाती है.

पशुओं की बीमारी से कैसे बचाएं
पशुओं में एफएमडी की रोकथाम करना बहुत आसान है. इसमें कोई पैसा नहीं खर्च होता है. सबसे पहले तो अपने पशु का रजिस्ट्रेशन करें और उसके बाद कान में ईयर टैग डलवाएं. किसी पशु स्वास्थ्यप्ले केंद्र पर साल में दो बार फ्री लगने वाले एफएमडी के तक को लगवाएं. टीके लगवाने के बाद इस बात का खासकर ख्याल रखें कि लगभग 10 से 15 दिन में पशु प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है. इसलिए तब तक पशु का खास ख्याल रखें. बरसात के दौरान पशु को बैठने और खड़े होने की जगह की साफ सफाई रखें.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

live stock animal news, Survey on farmers, farmers' income, farmers' movement, MSP on crops, Chaudhary Charan Singh Agricultural University, HAU, agricultural economist Vinay Mahala, expenditure on farming.
पशुपालन

Animal Husbandry: डेयरी पशुओं की इन चार परेशानियों का घर पर ही करें इलाज, यहां पढ़ें डिटेल

वैकल्पिक दवाओं की जानकारी पशुपालकों के लिए जानना बेहद ही अहम है....