नई दिल्ली. देश में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार लगातार तकनीकी पर काम कर रही है. लेकिन सरकार के सामने एक चिंता पशुओं की लगातार कम हो रही संख्या की भी है. जब पशु खासकर गाय और भैंसों की संख्या कम हो जाएगी तो दूध का उत्पादन भी कम होगा. ऐसे में सरकार को दोनों मोर्चों पर लगातार काम करना पड़ रहा है.इसमें काफी हद तक कामयाबी मिलती भी नजर आ रही है. गाय-भैंस की संख्या को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2019-20 में सेक्स सॉर्टड सीमेन तकनीक की शुरुआत की थी. इस तकनीकी का मकसद गाय-भैंस का जो भी प्रसव हो उसमें बछिया पैदा करना था. इस तकनीकी के बाद से 90 फीसदी परिणाम भी सकारात्मक आ रहे है. गौरतलब है कि जब गाय-भैंसों की संख्या बढ़ेगी तो दूध उत्पादन भी बढ़ेगा. बता दें कि साल 2022-23 में 231 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ था. यही कारण है कि हिंदुस्तान दुनिया में कुल दुग्ध उत्पादन में पहले नंबर पर है. एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि देश में सभी तरह के पशुओं की संख्या ज्यादा है.
दूसरी लैब भोपाल में खोली गई
लगातार कम हो रही पशुओं की संख्या को बढ़ाने के लिए सरकार जोर दे रही है. इसके लिए देश के वैज्ञानिकों ने सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक को विकसित किया है. इस तकनीकी से लगातार कम हो रही गाय-भैंस और दूसरे पशुओं की नस्लों को भी बढ़ाया जा सकेगा. इसके लिए सरकार ने वर्ष 2019 में उत्तराखंड के ऋषिकेश में एक सेक्स सॉर्टेड सीमेन लैब की स्थापना की गई. इस लैब में गायों की नस्ल में होल्सटीन, जर्सी, साहीवाल, रेड सिंधी, गिर, क्रॉस बेड और भैंसों में मुर्रा और मेहसाना नस्ल के सीमेन पर तेजी से काम किया जा रहा है. उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थापित की गई सेक्स सॉर्टेड सीमेन लैब से आए बेहतर परिणाम के बाद सरकार ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी 2021 में आधुनिक सुविधाओं से लैस एक और लैब की शुरुआत कर दी है.
सेक्स सॉर्टेड सीमेन से पैदा हुईं 72 लाख बछिया
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इस तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत ये अभियान चलाया जा रहा है. भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2019-20 से अब तक सेक्स सॉर्टेड सीमेन की करीब 89 लाख डोज तैयार भी की जा चुकी हैं. पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का दावा है कि सेक्स सॉर्टेड सीमेन की डोज की 90 फीसदी तक सफल होती है. मंत्रालय के अधिकारियों की मानें तो सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक से चार साल में अब तक करीब 72 लाख बछिया पैदा हो चुकी हैं. ये बहुत ज्यादा महंगी भी नहीं है. इसकी एक डोज की कीमत 1200 से 1400 रुपये है. साथ ही सरकार इस डोज पर 50 फीसदी तक की सब्सिडी भी देती है. अगर डोज पर सब्सिडी नहीं देता तो गर्भधारण सुनिचिश्त होने पर 750 रुपये दिए जाते हैं.
जानिए एआई तकनीक से आए परिणाम
देश के डेयरी और पशुपालन मंत्रालय ने वर्ष 2019-20 ने आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन यानी (एआई) अभियान की शुरूआत की थी. इस एआई तकनीक से पशुओं को कृत्रिम रूप से गाभिन किया जाता है. इस अभियान का उद्देश्य अपने यहां की देसी नस्ल के पशुओं में सुधार करने के अलावा दूध उत्पादन को बढ़ावा देना है. इस तकनीकी की सफलता कही बात करें तो तीन साल में इस अभियान के तहत करीब चार करोड़ पशुओं को एआई तकनीक से गाभिन किया जा चुका है.जबकि जुलाई 2023 तक यह आंकड़ा पांच करोड़ के करीब पहुंच चुका है. अभियान से आ रहे बेहतर परिणाम को देखते हुए डेयरी और पशुपालन मंत्रालय ने इसे तीन साल के लिए और बढ़ा दिया है. अब यह अभियान 2025-26 तक चलाया जाएगा.
आंकड़े देते हैं सफलता की गवाही
भारत सरकार के डेयरी और पशुपालन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों पर गौर करें तो आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन यानी एआईएआई तकनीक से गाभिन होने वाले पशुओं का आंकड़ा हर साल बढ़ता ही जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019-20 में 76.68 लाख पशुओं को एआई तकनीक से गाभिन किया गया था. 2020-21 में एक करोड़, 25 लाख जबकि 2021-22 में एक करोड़ 80 लाख पशुओं को गाभिन किया जा चुका है. सरकार की ओर से इस अभियान का दूसरा चरण 2022—23 की शुरूआत हो चुकी है जो 2025-26 तक चलेगा.
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