नई दिल्ली. अप्रैल की शुरूआत में ही गर्मी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. गर्मी को देखते हुए लोग बेवजह घरों से बाहर जाने से कतरा रहे हैं. ऐसे में इस तपिश का असर मवेशियों पर भी पड़ रहा है. अब तो हालात ये हो जाती है जैसे ही सुबह के नौ बजे बजते हैं वैसे ही इतनी तेज दूध हो जाती है हाल बेहाल हो जाता है. गर्मी से बचने के लिए लोग तो कूलर-पंखे और एसी चलाकर गर्मी को शांत कर लेता है लेकिन पशु क्या करें. इन्हें गर्मी से कैसे बचाएं. आपको बता दें कि जब जैसे-जैसे गर्मी का पारा चढ़ता है वैसे-वैसे दुधारू पशुओं का दूध कम हो जाता है. ऐसी स्थिति में कैसे पशुओं को गर्मी से बचाएं, इस बारे में नीचे दी जा रही जानकारी को जरूर पढ़ें.
भीषण गर्मी से ने लोगों का हाल बेहाल कर दिया है. अभी से इतनी गर्मी पड़ना शुरू हो गई है कि लोग एसी-कूलर के सामने से उठना नहीं चाहते. ऐसे में पशुओं को भी गर्मी सताने लगी है. हालात ये हो गए हैं कि हीट वेब के चलते पशु ठीक से चारा भी नहीं खा पा रहे हैं, जिसका असर दूध उत्पादन पर पड़ रहा है. दूध कम होने से पशुपालकों को आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है.
अचानक हो रही दो-तीन लीटर दूध कम
गर्मी से पशुओं को कैसे बचाएं इस बारे में बिहार में पटना स्थित पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशु वैज्ञानिक डॉक्टर दुष्यंत यादव बताते हैं कि काफी समय बाद अप्रैल में इस तरह का तेज धूप के साथ लू देखने को मिल रही है, ऐसी स्थिति में विशेष रूप से दूध देने वाले पशुओं पर इसका प्रभाव पड़ रहा है. हालात ये हो गए हैं कि पशुओं ने औसत से दो-तीन लीटर तक दूध कम हो रहा है. ऐसे में पशुपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
ऐसे रखें अपने पशुओं का ध्यान
जैसे-जैसे गर्मी का पारा चढ़ता है वैसे-वैसे दुधारू पशुओं के सामने दिक्कतें खड़ी हो रही हैं. हालात ये हो गए हैं कि हीट वेब के चलते पशु ठीक से चारा भी नहीं खा पा रहे हैं, जिसका असर दूध उत्पादन पर पड़ रहा है. दूध कम होने से पशुपालकों को आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है. इस बारे में पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशु वैज्ञानिक डॉक्टर दुष्यंत यादव ने बताया कि अप्रैल के महीने में करीब दस साल बाद लू जैसी स्थिति देखने को मिल रही है. इस भीषण गर्मी का असर, दूध देने वाले पशुओं पर पड़ रहा है. पशुओं ने दो-तीन लीटर दूध कम देना शुरू कर दिया है. इसे लेकर किसानों के फोन भी आने लगे हैं. इसिलए इस भीषण गर्मीमें पशुपालक अपने पशुओं को दोपहर के वक्त में खुले में न बांधे. पशुओं को ज्यादा से ज्यादा हरा चारा दें. हरे चारे की कटाई भी सुबह के वक्त ही करें. इसे काटने से पहले पानी का छिड़काव कर दें. क्योंकि अधिक धूप होने पर टॉक्सिन बन जाते हैं. इसके लिए खेत में नमी बनाए रखना जरुरी है. धूप में पशुओं को भोजन बिल्कुल नहीं देना चाहिए. पशुओं को हमेशा ताजा पानी ही पिलाएं। जिस स्थान पर पशु निवास कर रहे हैं वहां धूप या गर्मी का असर ज्यादा न हो. अधिक गर्मी की वजह से पशुओं के बीमार होने आशंका बढ़ जाती है.
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