नई दिल्ली. भीषण गर्मी ने पूरे जनजीवन को प्रभावित कर दिया है.लोगों से लेकर पशुओं तक परेशान हैं. लोग तो एसी, कूलर, पंखों में खुद को गर्मी से निजात दिला रहे हैं लेकिन पशुओं के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के एटा जिले में जलेसर की कान्हा गोशाला में गोवंश हीटवेव का शिकार हो रहे हैं. जबकि कई की हालता बेहद गंभीर है या फिर कहा जा सकता है कि मरणासन्न हालात में पहुंच गए हैं. शिकायत के बाद पशुपालन विभाग की टीमें देखभाल कर रहीं है. गोशाला में पशुओं के लिए हरा चारा और ठंडे पानी की व्यस्था नहीं है.
मई की तपती दोपहरी में कस्बा जलेसर स्थित कान्हा गोशाला में गोवंशों को पिलाने एवं नहलाने लिए ठंडे पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए लगाए गए पंखा कूलर लगने के बाद से आज तक बंद पड़े है. इतना ही नहीं गोवंशों को बैठने के लिए बनाए गए टीन शेड में लू रोकने के लिए खानापूर्ति करते हुए काली पॉलीथिल के पर्दे लगा दिए हैं, जो हवा में उड़ते रहते हैं. जिनसे लपट रुकना तो दूर काला होने के कारण गोवंशों के लिए और अधिक परेशानी बने हुए हैं.
गोशाला में नहीं हैं गर्मी से बचाव के इंतजाम
तेज धूप और लू के चलते गोवंशों को समय-समय पर ठंडे पानी से नहलाए न जाने के साथ ठंडा पानी न मिलने से अधिकांश गोवंश गर्मी से बेहाल बने है। इसके साथ ही पांच से छह गोवंश मरणसन्न अवस्था में अंतिम सांस ले रहे है। जिनको बचाने के लिए पशुपालन विभाग के चिकित्सक पूरी कोशिश करते हुए इलाज कर रहे है. गर्मी से बचाने के लिए गोवंशों को ठंडा पानी नहीं दिया जा रहा. गोशाला कर्मी भीषण गर्मी से बेहाल गोवंशों को एक बार भी नहीं नहला रहे. गोशाला में पौष्टिक आहार के रूप में देने के लिए हरा चारा नहीं. हीट वेव के चलते कान्हा गोशाला में पांच से छह गाय की हालत खराब है, जिनका इलाज किया जा रहा है.
पालिका का नहीं गोशाला पर ध्यान
बुधवार को मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि जलेसर की कान्हा गोशाला में पशुओं के लिए हरा चारा और ठंडे पानी की उचित व्यवस्था नहीं है. गर्मी से बचाने के लिए गोवंशों को ठंडे पानी से नहलाया भी नहीं जा रहा है. कुछ कूलर पंखा लगे हैं, लेकिन वह बिजली के न आने के कारण बंद पड़े हैं. गोवंशों के बैठने वाले टीनशेड में काली पालीथिन लगा दी गई है, जिससे लू रुक नहीं रही है और काली होने से कारण गर्मी से घुटन हो रही है. नगर पालिका ईओ का गोशाला की ओर ध्यान नहीं है। इस संबंध में पालिका ईओ को कई बार रिमांडर भी भेजे गए हैं. गोशाला में पांच से छह गोवंश मरणासन्न पड़े है, जिनका जलेसर के डिप्टी सीवीओ डॉ. नीरज शुक्ला की देख रेख में इलाज चल रहा है.
तालाबों को भरने के निर्देश
इस बार मई में ही गर्मी ने अपना रूप दिखना शुरू कर दिया था. गांव में पशु पक्षियों के लिए सहारा सिर्फ तालाब है. यह तालाब भी सूखने लगे हैं. ग्रामीण क्षेत्र में कम रकवा वाले तालाबों का पानी सूख गया है. ऐसे में बूंद-बूंद पानी के लिए जानवर परेशान हैं. मई के मध्य में तो आसामान से आग बरस रही है. इसे लेकर यूपी सरकार ने तालाबों को भरने के निर्देश दिए हैं, जिससे एक तो वाटर लेबल ठीक बना रहेगा दूसरा गोवंशों के लिए पानी की कमी नहीं होगी.
छांव में ही रखें गोवंशों को
वैसे तो अप्रैल से ही गर्मी पड़ना शुरू हो गई थी लेकिन मध्य मई के अंतिम दिनो मे आसमान से आग बरसने लगी है. हालात ये हो गए हैं कि सुबह दस बजे के बाद सड़कों पर कर्फ्यू जैसे हालात नजर आते हैं. लोग तो घरों में रुक जाते हैं लेकिन पशु-पक्षी क्या करें. जून की गर्मी आने पर क्या हाल होगा. इनके लिए यूपी सरकार ने गोशाला में ही बने शेड में रहने के निर्देश दिए हैं. सरकार ने गोवंशों को धूप से बचाने के लिए उन्हें छांव में रखने के निर्देश दिए गए हैं. पशु चिकित्सक भी गोआश्रय स्थल जाकर गोवंश की निगरानी कर रहे हैं. निकायों व पंचायतों के अधिकारियों के गोवंश का समय से भूसा व ताजा पानी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है. गर्मी से बचाने के लिए दोपहर के समय गोवंश को शेड्स में रखा जा रहा है.
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