Home पशुपालन Animal Husbandry: बरसात में पशुओं को हरे चारे के साथ खिलाएं 40 फीसदी सूखा चारा, बीमारियों से बचेंगे
पशुपालन

Animal Husbandry: बरसात में पशुओं को हरे चारे के साथ खिलाएं 40 फीसदी सूखा चारा, बीमारियों से बचेंगे

animal pregnancy
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. बारिश के मौसम में पशुओं में जहां वातावरण का दबाव रहता है वहीं, चारे व देखभाल की कमी से भी पशु में अनेक बीमारी होने की आशंका बनी रहती है. इस मौसम में मच्छर-मक्खी जहां बीमारी का कारण बनते हैं वहीं, दूध क्षमता में भी कमी आती है. इस दौरान पशुओं में परजीवियों के पनपने की समस्या भी बनी रहती है. बारिश के मौसम में पशु को खुले में नहीं छोड़ना चाहिए. हरे चारे के साथ-साथ 40 प्रतिशत सूखा चारा भी देना चाहिए. पशु के दाने में 50-50 ग्राम खनिज मिश्रण अवश्य डालें. अगर गेहूं का दलिया खिलाते हैं तो उसमें मीठा सोडा व गुड़ अवश्य डालें, बिनौले को रात को भिगोकर रखें और सुबह ताजा पानी में उसे पकाएं.

बरसात से पहले ही डेयरी फार्मर को पशुओं की देखभाल बढ़ा देनी चाहिए, जिससे आर्थिक नुकसान उठाने से पहले ही संभल लिया जाए. अगर किसान बारिश को लेकर पहले से ही अपने बाड़े में ठीक से इंतजाम कर लेंगे तो पशुओं को बीमार होने से बचाया जा सकता है. नीचे दिए जा रहे बिंदुओं को गौर से पढ़ें और अपने पशुपालन में इन्हें आजमाएं तो पशुओं को बीमार होने से बचाया जा सकता हीै.

बारिश में हो जाती हैं बहुत बीमारी
विभानी के पशु चिकित्सक डॉ. विजय सनसनवाल ने बताया कि पशुओं में चीचड़, जूं व पेट के कीड़ों की समस्या बन जाती है, जो खून चूसने का कार्य करते हैं और पशु को कमजोर बना देते हैं. पशुओं में मुंहखुर, निमोनिया, जुकाम व कई तरह की फफूंदजनक बीमारियां हो जाती हैं. बीमारियों की वजह से पशु को बुखार हो जाता है. पशु चरना बंद कर देता है, उसका दूध घट जाता है और कई बीमारियों में पशु के सांस लेने में भी दिक्कत आती है. पशु को चलने-फिरने में भी दिक्कत आती है. पशु को दस्त लग जाते हैं. बारिश के मौसम में पशु के बैठने के स्थान को अच्छी तरह सुबह का बचा हुआ चारा शाम को नहीं खिलाएं.

दूध निकालने के 40 मिनट बाद तक पशु को बैठने न दें
डॉ. विजय सनसनवाल ने बताया कि पशु के बांधने का स्थान ऊंचा होना चाहिए. पशु के नीचे कीचड़ इत्यादि नहीं होना चाहिए. पशु को खुले व हवादार स्थान पर रखना चाहिए. पशु को कृमि रहित करने की दवाई अवश्य दें. दूध देने वाले पशुओं के थन दूध निकालने के बाद लाल दवा के पानी से धोएं फिर तौलिए से उन्हें साफ कर दें. डॉ. विजय ने बताया कि दूध निकालने के 40 मिनट बाद तक पशु को बैठने न दें. पशुपालन विभाग द्वारा मुंहखुर, गलघोंटू आदि बीमारियों का जो टीकाकरण किया जाता है वह अवश्यक करवाएं. अगर पशु के पैरों में घाव बन जाएं तो उसे लाल दवाई के पानी से धोते रहें. अगर मुंह में छाले हैं तो घी में हल्दी मिलाकर लगाते रहें और नरम चारा खिलाएं.

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

तोतापरी की बकरी के पालन में बहुत ही कम लागत आती है. तोतापुरी या तोतापरी बकरी कम लागत में पालकर मोटी कमाई की जा सकती है.
पशुपालन

Goat Farming: कितने वक्त के लिए हीट में रहती है बकरी, क्या है इसकी पहचान, जानें यहां

हीट में आई बकरियों की मदकाल (गर्मी) में आने के 10-12 घण्टे...

camel farming
पशुपालन

Animal Husbandry: ऊंट पालन को फायदेमंद बनाएगी सरकार, दूसरे राज्यों में ले जाना होगा आसान

पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि अन्य राज्यों में ऊंट ले...

गोवंश के लिए योगी सरकार ने समाज को भी इस अभियान का हिस्सा बनाते हुए कई प्रोत्साहन योजनाएं चला रखी हैं.
पशुपालन

Dairy: दुधारू पशुओं की सेहत से लार का क्या जुड़ाव है, जानें यहां

आपको बता दें कि कई बार एलर्जी और जहरीला पदार्थ खाने से...

अच्छी फसल और अच्छी नस्ल दोनों पशुपालन में मायने रखती हैं. ठीक उसी प्रकार बकरी पालन में भी ये नियम मायने रखता है.
पशुपालन

Goat: मीट और दूध उत्पादन के लिए पालें किस नस्ल की बकरी, जानें यहां

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की मानें तो बकरी पालन में...