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Animal Husbandry: भारत में बकरी पालन का है सुनहरा भविष्य, जानिए सीआईआरजी के वैज्ञानिकों से

.Industry- Scientist-Farmer Interface Meeting in CIRG
सीआइआरजी के कार्यक्रम में एमओयू साइन करते अधिकारी

नई दिल्ली. उद्योग-वैज्ञानिक-किसान इंटरफेस मीटिंग का आयोजन पांच मार्च-2024 को आईसीएआर-केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम में किया गया. इसमें उद्योग, प्रगतिशील किसान, नीति निर्माता और देशभर से विशेषज्ञ पैनल सहित करीब 100 से ज्यादा लोगों ने शिरकत की. आईसीएआर-सीआईआरजी के निदेशक डॉक्टर मनीष कुमार चेटली ने भारत में बकरियों के उत्पादन स्थिति पर एक रिपोर्ट पेश की. इसमें भी विशेष रूप से बकरी के दूध और मांस की बढ़ती मांग के बारे में बताया. उन्होंने बाजार और व्यापार के संबंध में बकरी पालन के महत्व जोर दिया. भारत में बकरी पालन के भविष्य के बारे में बताया कि ये लगातार बढ़ता ही जाएगा. डॉक्टर चेटली ने जोर दिया कि किसान-मित्रक भविष्यवाणी तकनीक का बकरी पालकों के बीच प्रसार करना उत्पादकता और आर्थिक स्थिरता में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

मुख्य अतिथि आईसीएआर के सहायक निदेशक डॉक्टर जीके गौर और सम्मान अतिथि के रूप में यूपीएलबीडी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉक्टर नीरज गुप्ता शामिल रहे. डॉक्टर जीके गौर ने कहा कि उत्कृष्ट जीनजूल प्रजातियों के आयात की महत्वता पर जोर दिया ताकि बकरियों में अपेक्षित उत्पादकता के स्तर तक पहुंचा जा सके. डॉक्टर नीरज गुप्ता ने विभिन्न सरकारी योजनाओं को हाइलाइट किया जो पशु पालन विकास के लिए शुरू की गई हैं.

आरबीएस और सीआईआरजी के बीच हुआ समझौता
कार्यक्रम के दौरान आगरा के आरबीएस इंजीनियरिंग और तकनीकी कैंपस तथा मथुरा के आईसीएआर-सीआईआरजी के बीच जैव प्रौद्योगिकी और जीव विज्ञान से संबंधित शोध क्षेत्रों में सहयोग के लिए एक समझौते (MoU) पर साइन किए गए. आगरा के वीडीएमआर एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड और आईसीएआर-सीआईआरजी के बीच बकरी उत्पादों के लिए एक व्यापार की शर्तों पर की समझौता किया गया. सीआईआरजी के निदेशक डॉक्टर मनीष के चेटली और उद्यमियों के बीच बकरी आधारित तकनीक की महत्वता पर जोर दिया. खासकर इसे राष्ट्र के शिक्षित युवाओं के बीच बकरी पालन को लोकप्रिय बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में बताया गया.

चारे की गुणवत्ता और कृत्रित गर्भाधान पर की चर्चा
भारत में बकरी उत्पादन के लिए आने वाली चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया. चर्चा ने संभावित तकनीकी समाधानों और आगे की कार्ययोजना पर भी बातचीत की गई. उच्च गुणवत्ता वाली जीनप्लाज्म की उपलब्धता, ब्रीड डेवलपमेंट के लिए चारा और चारे की गुणवत्ता, बकरी पालन के लिए चराई क्षेत्र, कृत्रिम गर्भाधान में बाधाएं और बकरी उत्पादन की अर्थशास्त्र, जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई. इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उद्योग साथी, किसान उद्यमी, आईसीएआर-सीआईआरजी मखदूम के वैज्ञानिक और देशभर से आए विशेषज्ञ और डीयूवीएसयू, मथुरा के विशेषज्ञ भी शामिल रहे. कार्यक्रम का आयोजन डॉक्टर के. गुरुराज, प्रबंधक संस्थान प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाई, डॉक्टर अशोक कुमार, डॉक्टर तरुण पाल सिंह और डॉक्टर रवि रंजन द्वारा आयोजित किया गया.

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