नई दिल्ली. गाड़ियां लुहार कहिए या फिर घुमंतू जाति के लोग. ये सभी अपनी अजीविका को चलाने के लिए अपने काम के साथ पशुपालन को भी करते हैं. वे एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में प्रवास करते हैं. कब ये किस शहर में चले जाएं, पता नहीं होता. यही वजह है कि ये मुख्यधारा से पूरी तरह से कटे होते हैं, इन न तो किसी सरकारी योजना की जानकारी होती. इन्हें तो ये भी नहीं पता होता कि अपने जानवर को कब टीका लगवाना है. कब टीकाकरण कार्यक्रम होते हैं. लगातार आ रही इन लोगों की समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने घुमंतू जातियों के पशुपालकों के भी किसान क्रेडिट कार्ड बनाने का फैसला किया है. इनके केसीसी बनने के बाद इन लोग भी पशुपालन से जुड़ी हर योजना का लाभ उठा सकेंगे. अब केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने इस जाति के पशुओं के आंकड़े जुटाना शुरू कर दिए हैं.
सरकार की इलाज और चारा मिलेगा फ्री
केंद्र सरकार घुमंतू जाति को भी समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए योजना बना रही है. जब ये मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे तो इन्हें सरकार की योजनाओं का भी लाभ मिल सके.इसी के चलते डेयरी और पशुपालन मंत्रालय घुमंतू जाति के पशुओं की जानकारी जुटा रहा है. करीब 12 राज्यों से घुमंतू जाति के बारे में जानकारी मांगी गई है. मंत्रालय ने करीब छह बिंदुओं पर जानकारी मांगी है. इस जाति को उन योजनाओं का लाभ देना है, जो गोशाला,डेयरी और छुट्टा घूम रहे पशुओं को दी जा रही हैं. अगर इन जातियों का डाटा सरकार के पास आ जाता है तो घुमंतू जाति के भी पशुओं को चारा मिल सकेगा, खुरपका-मुंहपका जैसे रोगों का इलाज सरकारी पशु चिकित्सा अस्पताल में निशुल्क हो सकेगा.
किसान क्रेडिट कार्ड बनने पर मिलेंगी सुविधाएं
घुमंतू जातियों के पशुपालकों के भी किसान क्रेडिट कार्ड बनाने का फैसला किया है. इनके केसीसी बनने के बाद इन लोग भी पशुपालन से जुड़ी हर योजना का लाभ उठा सकेंगे. इस जाति के लोगों को भेड़-बकरी, गाय-भैंस आदि पशुओं के लिए किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ दिया जाएगा. इसके लिए सरकार ने घुमंतू जाति प्रकोष्ठ का गठन किया है. इस योजना को लेकर मंत्रालय घुमंतू समुदाय के साथ सितम्बर 2022 में आनलाइन और जनवरी 2023 में फिजिकल मीटिंग भी कर चुका है.
केंद्रीय मंत्रालय ने इन 12 राज्यों से मांगी है घुमंतू जाति की जानकारी
डेयरी और पशुपालन मंत्रालय की ओर से घुमंतू जाति को मुख्यधारा में जोड़ने की प्रक्रिया और भी तेज कर दिया है. मंत्रालय की ओर से देश के करीब राज्यों को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है. मंत्रालय ने राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, ओड़िशा, आंध्रा प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश से जानकारी मांगी है. हालांकि अभी मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि अभी सिर्फ उत्तराखंड, लद्दाख, राजस्थान, हिमाचल, कर्नाटक, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर राज्यो ने खानाबदोश समुदाय के बारे में जानकारी दी है, बाकी के राज्यों से अभी आना बाकी है.
इन बिंदुओं पर मांगी है जानकारी
डेयरी और पशुपालन मंत्रालय ने देश के 12 राज्यों से करीब छह प्वाइंट पर जानकारी मांगी है, जिससे इस घुमंतू जाति को योजनाओं का लाभ दिया जा सके. मांगी जानकारी में नीचे दिए गए सभी प्वाइंट पर प्रदेशों को जानकारी देनी होगी.
1-घुमंतू जाति की आबादी के बारे में जानकारी.
2-घुमंतू जाति की जनसंख्या कितनी है.
3-उनके पास कौन-कौन से पशु हैं.
4- पशुओं की संख्या कितनी है.
5-वर्तमान में कहां रह रहे हैं, उस रोड का नाम क्या है.
6-अनुमानित उत्पादन, बिक्री का तरीका क्रूा है.
7—क्या किसी योजना का लाभ उन्हें मिल रहा है.
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