नई दिल्ली. ये बात फैक्ट है कि पशु के चारे के चारे तौर पर अगर रिजका फसल की बुआई की जाए तो फिर चारे की टेंशन कम हो जाएगी. एक्सपर्ट का कहना है कि रिजका ऐसी चारा फसल है कि जो सालभर पशुओं को दी जा सकती है. रिजका की खासियत ये भी है कि इससे आप हरा और सूखा दोनों किस्म का चारा ले सकते हैं. इसकी क्वालिटी इतनी बेहतरीन है कि इससे पशुओं का दूध उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है. हालांकि रिजका फसल की जब बुआई कर ली जाती है तो फिर इसमें कई तरह के रोग लगते हैं जो चारे की फसल को बर्बाद कर सकते हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर रिजका की फसल को बीमारियों से न बचाया जाए तो फसल को खराब कर सकते हैं. ऐसे में किसानों की मेहनत बर्बाद हो जाती है. इसलिए इस फसल को बीमारी से बचाना होता है. आमतौर पर रिजका को फसल को खरपतवार से बचाना होता है. नुकसानदेह कीटों से पत्तों को बचाना होता है. अगर ठंड की बात की जाए तो इस मौसम में भी रिजका की फसल को खतरा रहता है. इस आर्टिकल में हम आपको रिजका फसल के को नुकसान पहुंचाने वाले कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं.
खरपतवार नियंत्रण
रिजका की बुआई के 20-25 दिनों पर एक निराई-गुड़ाई कर दें. या पेडिमेंथालिन 2 किलोग्राम प्रत्ति हेक्टर बीज विकास से पहले या फ्लूक्लोरोलिन एक किलोग्राम मात्रा प्रति 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.
फसल सुरक्षा का तरीका
रिजका में नुकसान पहुंचाने वाले कीटों में रिजका इल्ली (लुसर्न कैटरपिलर), चना इल्ली (ग्रैम कैटरपिलर), सेमीलूपर व रिजका घुन आदि हैं. चना इल्ली मिट्टी के अन्दर रहती है, इसलिए दो पंक्तियों के बीच मिट्टी की गुड़ाई करने से इसका खतरा कम किया जा सकता है. ये 2 लीटर क्लोरोपायरीफॉस को 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टर की दर से खेत में छिड़काव करना चाहिए.
रोग एवं रोकथाम
डाउनी आसिता, सर्दी के मौसम में इस रोग का प्रकोप अधिक होता है. इसके नियंत्रण के लिए 12.5 किलोग्राम सल्फर पाउडर (90 प्रतिशत) प्रति हैक्टर का उपयोग कर सकते हैं.
पत्तों पर धब्बे
इस रोग में पत्तों पर छोटे भूरे रंग के धब्बे और बीच में काले और भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं. इसके नियंत्रण के लिए मैन्कोजेब (डाइथेन एम 45) 25 ग्राम को 10 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें.
हानिकारक कीट और रोकथाम
चेपा यह लूसर्न की फसल का गंभीर कोट है. इसके नियंत्रण के लिए नीम तेल 30 मिली लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 5 मि.ली. प्रति 15 लीटर पानी में लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें. वहीं सुंडी, तेला और कौट का हमला दिखे, तो कोराजिन 10 मि.ली. प्रति 15 लीटर पानी की दर से डालना चाहिए.
फसल की कटाई
रिजका की पहली कटाई बुआई के लगभग 55 से 60 दिनों के बाद की जाती है. इसके बाद 25 या 30 दिनों के अंतराल पर चारे की कटाई करनी चाहिए.
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