नई दिल्ली. पशुपालकों की बल्ले बल्ले होने वाली है. दरअसल, सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसका सीधा फायदा पशुपालकों को होगा. बताते चलें कि सरकार ने ये फैसला डेयरी और मीट एक्सपोर्ट को लेकर लिया है. जिसके बाद डेयरी उत्पादन और मीट उत्पादन बढ़ेगा और इसकी खपत भी बढ़ेगी. सरकार की ओर से लिए गये फैसले के मुताबिक डेयरी और मीट एक्सपोर्ट अब पहले से ज्यादा रफ्तार पकड़ लेगा. क्योंकि पशुओं की बीमारी खुरपका-मुंहपका एफएमडी को लेकर सरकार ने एक योजना बनाई है. जिसे सरकार पहले ही पोल्ट्री सेक्टर में आजमा चुकी है. जिसका फायदा इस सेक्टर को मिला था. यही वजह है कि अब डेयरी और मीट एक्सपोर्ट में भी इसे लागू करने का मन सरकार ने बना लिया है.
केंद्रीय डायरी और पशुपालन मंत्रालय की ओर से आयोजित एक बैठक में इस मसले पर चर्चा हुई है. मंत्रालय की सचिव अलका उपाध्याय ने बताया है कि एफएमडी डिजीज फ्री कंपार्टमेंट जोन बनाकर डेयरी एक्सपोर्ट और मीट एक्सपोर्ट को बढ़ाया जाएगा. देश के नौ राज्यों के साथ मिलकर इस इश्यू पर काम किया जा रहा है. कुछ पॉइंट तैयार किए गए हैं. जिनका पालन कराया जाएगा. जिससे एफएमडी पर कंट्रोल किया जा सकेगा. वहीं एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि सरकार के इस कदम से डेयरी और मीट एक्सपोर्ट और ज्यादा बढ़ेगा. क्योंकि एफएमडी के चलते ही कई दूसरे देश भारत से प्रोडक्ट नहीं खरीदते हैं.
पशुपालकों को देना होगा हलफनामा
मंत्रालय में जॉइंट सेक्रेटरी सरिता चौहान का कहना है कि देश को पशुओं की बीमारी खुरपका और मुंहपका एफएमडी फ्री बनाने के लिए 3 प्वाइंट पर काम करना बेहद ही अहम है. पशुओं को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर निगरानी, बीमारी और बायो सिक्योरिटी बेहद ही जरूरी है. तभी एफएमडी को कंट्रोल किया जा सकता है. एफएमडी डिजीज फ्री कंपार्टमेंट जोन बनाने पर काम होना है. जोन के लिए पशु पालक अपना हलफनामा देंगे कि उनके पशुओं में एफएमडी बीमारी है या नहीं.
डेयरी मीट एकसपोर्ट ज्यादा बढ़ेगा
इसको लेकर मंत्रालय भी काम करेगा और फिर उसे वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन हो को भेजा जाएगा. डब्ल्यूएचओ अपने स्तर से इसकी जांच करेगा. उसके बाद अपनी मोहर लगाएगा. इसके बाद एफएमडी डिजीज फ्री कंपार्टमेंट जोन में आने वाले राज्य या फिर शहर और ब्लॉक के पशुपालक अपना दूध और मीट प्रोडक्ट दे सकेंगे. जो एक्सपोर्ट के लिए बिल्कुल सही रहेगा. एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसा करने से डेयरी प्रोडक्ट और मीट की उत्पादन ही पड़ेगा और पशुपालकों को इसका फायदा भी होगा.
इन 9 राज्यों को चुना गया है
एनिमल हसबेंडरी के निदेशक आरपी सिंह कहते हैं कि देश के अलग-अलग राज्यों में पोल्ट्री के 26 डिजीज फ्री कंपार्टमेंट जोन बनाए गए थे. इन्हें मान्यता मिली है. इसका मतलब यह है कि 26 इलाकों में पोल्ट्री प्रोडक्ट में बीमारियां नहीं हैं. जिसके चलते अंडों का एक्सपोर्ट हो पा रहा है. अच्छी बात यह है कि ऐसा होने के बाद एक्सपोर्ट में तेजी आई है. अब एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर अभिजीत मित्रा कहते हैं कि एफएमडी डिजीज फ्री कंपार्टमेंट जोन बनाने के लिए देश के नौ राज्य आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तराखंड को चुना गया है.
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