नई दिल्ली. तापमान बढ़ता जा रहा है. मौसम विभाग ने हीटवेव का अलर्ट घोषित किया है. इस गर्म मौसम में पशुओं को कई तरह की दिक्कतें होना शुरू हो जाती हैं. पशु हांफते हैं उन्हें पसीना बहुत आता है. कुछ ऐसी नस्लों के पशु भी होते हैं जो 25 डिग्री के तापमान के अधिक होने पर परेशान होने लगते हैं. भैंस के लिए गर्मी का मौसम बेहद कठिन होता है. काले रंग की होने के कारण भैंस पर सूरज की सीधी किरणों का बहुत असर पड़ता है. इस मौसम में गाय और भैंस से दूध का उत्पादन घट जाता है. इन परेशानियों से कैसे निपटा जाए, आइये इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं.
किसी भी डेयरी बिजनेस में दूध कम होने का मतलब है कि पशुपालक को नुकसान होना. कोई भी पशुपालक नहीं चाहता है कि उसका पशु दूध कम दे या फिर दूध कम हो जाए. अधिकतर पशुपालक इस मौसम में अपने पशुओं को बचाने के लिए प्रबंध तो करते हैं, लेकिन कई बार जानकारी के अभाव में ये प्रबंध कम पड़ जाते हैं. आइये जानते हैं कि क्या क्या इंतजाम कर सकते हैं. जिनसे गर्मी के मौसम में पशुओं से दूध उत्पादन भी कम ना हो और पशु भी सेहतमंद बने रहें.
छायादार शेड का करें बंदोबस्त: सबसे पहले ये देखें कि पशुओं को छाया में रखें. छाया की सबसे अच्छी जगह पेड़ हैं. यदि छायादार पेड़ उपलब्ध नहीं हैं, तो कम से कम 9 फीट ऊंची छप्पर वाली छत का उपयोग कर सकते हैं. फूस की दीवार या गीले टाट/बोरियों का उपयोग करके गर्म हवा से बचाव के लिए बैरियर बनाएं. यदि व्यक्तिगत किसानों के पास सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, तो गांव में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग समुदाय द्वारा किया जाना चाहिए. धान के पुआल आदि से छत को ढंक दें. छत को सफेद रंग से रंग दें. या झूठी छत का इन्सुलेशन प्रदान करना ठंडा वातावरण प्रदान करने में मदद करेगा.
गर्म मौसम में पानी का करें छिड़काव: गर्म मौसम में पशुओं को स्वस्थ्य रखने के लिए कम से कम चार से पांच बार पानी से नहलाएं. यदि नहलाने की व्यवस्था नहीं है तो तीन से चार बार पानी का छिड़काव जरूर करें. शेड में कूलर या पंखे का बंदोबस्त करें. शेड में वेंटिलेशन की सुविधा के लिए हैवी ड्यूटी पंखा सबसे अच्छा विकल्प है. पशुओं को ठंडा रखना बेहद जरूरी होता है. काले रंग की होने के कारण भैंस को धूप की किरणों से बचाना जरूरी होता है. यदि गांव में तालाब है तो भैंस को तालाब में छोड़ देना चाहिए.
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