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Animal Husbandry: कैसे करें दुधारू बछिया की पहचान ? जानें यहां टिप्स

पशुपालक को सदैव उत्तम और शुद्ध नस्ल के पशु ही खरीदना चाहिए.
बछिया की सांकेतिक तस्वीर।

नई दिल्ली. देश में पशुओं को धन के तुल्य माना जाता है. इसी कारण इनका क्रय-विक्रय भी प्राचीन काल से ही प्रचलित है. पशुपालक समय-समय पर अपनी आवश्यकतानुसार पशुओं का क्रय-विक्रय करते रहते हैं. सरकार द्वारा इसे एक सुनियोजित मंच प्रदान करने के उद्देश्य से जगह-जगह पशु मेलों और नीलामी का आयोजन किया जाता हैं. जिस प्रकार बाजार से कोई भी वस्तु खरीदते समय हम उसकी गुणवत्ता और मूल्य का सही निर्धारण करने के लिए अपने ज्ञान और अनुभव का उपयोग करते हैं उसी प्रकार पशु खरीदते समय भी उनके सही मूल्यांकन के लिए हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस प्रकार की सूझबूझ से न केवल हम ठगने से बच सकते हैं, ब​ल्कि उचित दाम पर अच्छी गुणवत्ता के पशु भी खरीद सकते हैं. आज हम बात कर हरे हैं एक अच्छी बछिया खरीदते समय क्या करें.

पशुपालन में दुधारू पशु का होना बेहद जरूरी होता है. एक दुधारू पशु की देखभाल जन्म से ही शुरू हो जाती है. दूध का अच्छा प्रोडक्शन और डेयरी में अच्छी कमाई के लिए जन्म के समय दुधारू पशु की देखभाल जरूरी होती है. अगर बछिया कम उम्र में
अच्छे से पाली जाए तो फिर इसका फायदा मिलता है और आगे चलकर वो प्रोडक्शन भी अच्छा देती है. ये फ्यूचर के लिए बिना किसी लागत से आप दुधारू पशु तैयार कर सकते है. हालांकि आपको इसमें कुछ बातों का ख्याल जरूर रखना होगा.

पशुपालक को सदैव उत्तम और शुद्ध नस्ल के पशु ही खरीदना चाहिए. अच्छी नस्ल के पशुओं की लागत, अवर्णित कुल के पशुओं की तुलना में अधिक होती है. वह अपनी बेहतर प्रजनन एवं उत्पादन क्षमता के कारण दीर्घकाल में लाभप्रद सिद्ध होते हैं. गायों में प्रमुख रूप से साहीवाल, गिर, लालसिन्धी, थारपारकर एवं भैंसों में मुर्रा, नीली रावी, सूरती और जाफराबादी-दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से उत्तम नस्लें हैं। इसी प्रकार बैलों में नागोरी, कांकरेज, खिल्लारी, अमृतमहल, हालीकर आदि नस्लें श्रेष्ठ मानी जाती हैं.

ऐसे करें अच्छी बछिया का मूल्यांकन

  • बछियों खरीद के समय उन सभी बातों की तरफ ध्यान दिया जाता है जिनको वयस्क गायों के मूल्यांकन के समय महत्व दिया जाता है. जिन बछियों में रक्त वहिकाओं का अच्छा नेटवर्क न हो उनका चुनाव नहीं करना चाहिए.
  • बछियों के मूल्यांकन के समय उनके अयन को अच्छी तरह परखना चाहिए.
  • अयन के चारों चतुर्थांशों और थन बराबर आकार के हों.
  • थनों के बीच की दूरी बराबर हो. एक स्थान पर या मिले हुए दो थन होने पर या उनमें किसी प्रकार का छिद्र होने पर अयन को दोषयुक्त माना जाता है.
  • बछियों का अंगविन्यास, लंबाई, गहराई, पेट का भरा-पूरा होना जरूरी है.
  • वक्ष बड़ा और गहरा होना अच्छा माना जाता है.
  • मूल्यांकन के समय यह भी देखना चाहिए कि बछियां असामान्य रूप से मोटी तो नहीं है. उसकी गर्दन, सिर, त्वचा, पैर एवं अन्य अंगों में वही गुण होने चाहिए जो एक वयस्क दुधारू गाय में होते हैं.

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