नई दिल्ली. पशुपालन आज एक बहुत ही फायदे का कारोबार साबित हो रहा है. इससे किसान हजारों लाखों रुपए कमा रहे हैं. पशु जब गाभिन होता है और बछड़े या बछड़ी पैदा होते हैं ऐसे में किसानों को और ज्यादा फायदा मिलता है अगर गाय या भैंस ने बछड़ी को जन्म दिया तो आगे चलकर यह बछड़ी दूध देती है और इससे किसानों के दूध देने वाले पशुओं की संख्या में इजाफा हो जाता है लेकिन यह तभी संभव है जब कम उम्र में बछड़ी का ख्याल अच्छे तरीके से रखा जाए. अगर उनकी केयर नहीं हुई तो जल्दी से बीमारी लग जाती है और मौत होने का खतरा भी रहता है.
जिस तरह से आम इंसानों के बच्चों को ख्याल भी रखना पड़ता है. उसी तरीके से जानवरों के बच्चों का भी ख्याल रखा जाना चाहिए. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि जानवरों के बच्चे को कब क्या खिलाया जाए? किस महीने में क्या दिया जाए? जब वह 6 महीने की हो जाएं तो उनका किस तरह ख्याल रखा जाए? से 6 महीने की हो जाए तो उन्हें क्या खिलाया जाए?उनकी कैसे देखभाल की जाए? इन सारी बातों का जानना पशुपालकों के लिए बेहद जरूरी है. इसलिए इस आर्टिकल में हम आपको कुछ पॉइंट्स में इससे रूबरू कराते हैं.
- समान्यतः बछड़ी-बछड़ी से 4 से 8 सप्ताह की उम्र में मां का दूध छुड़वा देना चाहिए. इसके पहले यह ध्यान रखना चाहिए कि शिशु स्वस्थ है तथा 0.5 से 0.8 कि.ग्रा. दाना खाने योग्य हो गया हो.
- नियमित अंतराल पर पशु के बच्चे के वजन की जांच करनी चाहिए और शारीरिक वृद्धि को देखना चाहिए कि सुचारू रूप से है या नहीं.
- पेट के कीड़े की दवा समय-समय पर देनी चाहिए.
- पशुचिकित्सक के परामर्श से बछड़ा- बछड़ी को लंगड़ा बुखार तथा थैलेरिया जैसे घातक और जानलेवा रोगों से बचने के लिए समयानुसार टीके (वैक्सीन) लगवाने चाहिए.
- डेरी उद्योग की सफलता उचित बछड़ा व बछड़ी प्रबंधन पर निर्भर करती है. कम उम्र वाले वंश का उचित प्रबंधन मृत्युदर को कम कर सकता है. इसमें खीस का महत्वपूर्ण योगदान रहता है.
- जन्म के बाद पहले घंटे के भीतर जितनी जल्दी हो सके बछड़े को पिला देनी चाहिए. नवजात बछड़े की आंतों में उसके जन्म के 24 घंटों तक प्रोटीन के बड़े अणुओं को अवशोषित करने की क्षमता रहती है.
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