Home पशुपालन Animal Husbandry : मुजफ्फरनगरी भेड़ क्यों पसंद की जाती है, जानिए ऊन के साथ उसकी खासियत
पशुपालन

Animal Husbandry : मुजफ्फरनगरी भेड़ क्यों पसंद की जाती है, जानिए ऊन के साथ उसकी खासियत

खुले मैदान में चारा खाती भेड़. live stock animal news

नई दिल्ली. भेड़ का नाम सुनते ही सबसे पहले जिस बात का ख्याल आता है वह है उनके ऊन, लेकिन क्या आपको पता है कि यूपी में पाए जाने वाले भेड़ की एक नस्ल ऐसी भी है जिसका ऊन इस्तेमाल में नहीं आता, बल्कि इसका मीट काफी पसंद किया जाता है. देश भर में 44 तरह के नस्ल के भेड़ पाए जाते हैं, जिसमें से सबसे ज्यादा इसी भेड़ का वजन होता है. इसके शरीर पर ऊन होता है लेकिन इसकी क्वालिटी इतनी अच्छी नहीं होती कि इसे गलीचा बनाने के काम में लिया जा सके. इस भेड़ को मुजफ्फरनगरी भेड़ कहा जाता है, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और उसके आसपास के शहरों में पाई जाती है.

किन राज्यों में ज्यादा पसंद किया जाता है मीट
केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय के डाटा की बात की जाए तो देश में कुल भेड़ की संख्या करीब 7 करोड़ है लेकिन प्योर ब्रीड वाली भेड़ की संख्या 2 करोड़ है. नील्लोरी भेड़ के साथ ही राजस्थान अविकानगर में भेड़ की सबसे अच्छी नस्ल अविसान पाई जाती है. जबकि बीकानेरी, चौकाला, मगरा, दनपुरी, मालपुरी और मारवाड़ी नस्ल की भेड़ों से प्राप्त होने वाले ऊन का इस्तेमाल कालीन बनाने में किया जाता है. बात की जाए मुजफ्फरनगरी भेड़ की तो केंद्रीय अनुसंधान संस्थान के मथुरा के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉक्टर गोपाल दास ने बताया कि मुजफ्फरनगर के मीट में काफी चिकना होता है. इसके चलते देश के ठंडे इलाकों हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड में इस भेड़ का मीट काफी पसंद किया जाता है. वहीं आंध्र प्रदेश में बिरयानी का चलन ज्यादा है. इसलिए वहां भी इसका मीट इस्तेमाल में आता है.

कैसे करें इस भेड़ की पहचान: डॉक्टर गोपाल दास का कहना है कि यह भेड़ खरीद रहे हैं तो इसकी पहचान कुछ खास तरीके से किया जा सकता है. देखने में इसका रंग एकदम सफेद होता है. पूंछ लंबी होती है. 10 फ़ीसदी मामलों में इसकी पूंछ जमीन तक छूती है. जबकि कान लंबे होते हैं. नाक देखने में रोमन जैसी दिखाई देती है. मुजफ्फरनगर के अलावा बिजनौर, मेरठ व इसके आसपास के इलाकों में भी यह नस्ल की भेड़ पाई जाती है. साइंटिस्ट गोपाल दास ने बताया कि मुजफ्फरनगर की भेड़ को हार्ड नस्ल का माना जाता है. इस नस्ल में मृत्यु दर सिर्फ दो फ़ीसदी है. जबकि दूसरी नस्लों की भेड़ में मृत्यु दर इससे कहीं ज्यादा है.

क्या है इसकी खासियत: जब इसके बच्चे पैदा होते हैं उनका वजन करीब 4 किलो होता है. जबकि दूसरे नस्ल के बच्चों का वजन इससे आधा किलो कम होता है. अन्य नस्ल की भेड़ों से हर साल 2.5 से 3 किलो ऊन प्राप्त होता है. जबकि मुजफ्फरनगरी से 1.02 किलो से लेकर 1.4 किलो तक उन मिलता है. यह भेड़ 6 महीने में ही 26 किलो हो जाता है. जबकि अन्य नस्ल के भेड़ 22 से 23 किलो के होते हैं. 1 साल पूरा होते होते इसका वजन 36 से 37 किलो हो जाता है. इसके बच्चे भी जल्दी बड़े हो जाते हैं. या दूसरे नस्लों की तुलना में बकरियों के साथ पाली जा सकती हैं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock animal news
पशुपालन

Animal Husbandry: अलग-अलग फार्म से खरीदें पशु या फिर एक जगह से, जानें यहां

फार्मों में अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए संक्रमण के प्रवेश...

livestock animal news
पशुपालन

Milk Production: ज्यादा दूध देने वाली गायों को हीट से होती है परेशानी, जानें क्या है इसका इलाज

उच्च गुणवत्ता-युक्त अधिक दूध प्राप्त होता है, लेकिन ज्यादा तापमान युक्त हवा...

ब्रुसेलोसिस ब्रुसेला बैक्टीरिया के कारण होता है जो मुख्य रूप से पशुधन (जैसे गाय, भेड़, बकरी) में पाए जाते हैं.
पशुपालन

Animal Husbandry: बरसात में पशुओं को इस तरह खिलाएं हरा चारा, ये अहम टिप्स भी पढ़ें

बारिश के सीजन में पशुओं को चारा नुकसान भी कर सकता है....

पशुपालन

CM Yogi बोले- IVRI की वैक्सीन ने UP में पशुओं को लंपी रोग से बचाया, 24 को मिला मेडल, 576 को डिग्री

प्रदेश सरकार के साथ मिलकर 2 लाख से अधिक कोविड जांच करवाईं....