नई दिल्ली. पशुपालन भले ही कारोबार का रूप ले चुका हो और बहुत से किसान इससे अच्छी खासी आमदनी कमा रहे हों लेकिन ये इतना आसान काम भी नहीं है. पशुपालन में कई बातों का ख्याल रखा जाता है ताकि पशुओं को हेल्दी रखा जाए और उनसे बेहतर प्रोडक्शन हासिल किया जा सके. चाहे वो आवास की व्यवस्था हो या फिर उन्हें साफ पानी पिलाना हो. इसके अलावा उनकी खरीद के वक्त भी ध्यान दिया जाता है कि पशु ऐसी जानवरों से तो ताल्लुक नहीं रखता जो बहुत बीमार रहे हों. या जिन पशुओं के साथ रहता रहा है वो तो बीमार थे या नहीं
एक्सपर्ट का कहना है कि इन सब बातों का ध्यान न देने पर पशुओं से बेहतर उत्पादन नहीं लिया जा सकता है. जबकि अन्य पशुओं के बीमार पड़ने का भी खतरा रहता है. इसलिए जरूरी है कि पशुपालन में नीचे बताई जा रही बातों को गौर से पढ़ें और ताकि पशुपालन ज्यादा फायदेमंद हो सके.
अच्छा आवास बनाना चाहिए
अच्छे आवास की व्यवस्था जानवरों के रहने के लिये करना चाहिए. आवास यदि बेहतर ढंग से न बने हों तो ये उसमें रहने वालों तथा आस-पास रहने वालों के लिये खतरा हो सकते हैं. बहुत से जानवर कई वर्ग के सांस के वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी व माइकोप्लाज्मा से ग्रसित हो जाते हैं. इसलिये अच्छे डिजाइन वाले आवास से सांस की इन बीमारियों से बहुत हद तक बचा जा सकता है. दूसरी श्रेणी में पेट की वे बीमारियां हैं जो कि आमतौर पर जानवरों के सम्पर्क में होने से या फिर जानवर और उसके मल-मूत्र के सम्पर्क में आने से होती हैं. जानवरों के एक दूसरे के सीधे सम्पर्क में न आने और गोबर को तुंरत हटाने से इन खतरों से बचा जा सकता है.
साफ पानी उपलब्ध कराना चाहिए
साफ पानी की उपलब्धता होनी चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि पानी जानवरों को हमेशा मिलना चाहिएत्र पानी स्वच्छ साफ, गंध रहित तथा पीने में अच्छा होना चाहिए. इसमें जहरीले पदार्थ, बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया और परजीवियों के अंडे व लार्वा नहीं होने चाहिये. कई बार ऐंथेक्स, गर्भपात, लंगड़िया और गलघोंटू से प्रभावित होने वाले जानवरों को गंदा पानी की वजह से ही ये दिक्कतें होती हैं.
खरीदते समय क्या करें
हेल्दी जानवरों की खरीद फार्म के लिये नये जानवरों का चुनाव करते समय यह ध्यान में रखना चाहिये कि जानवर हमेशा ऐसी जगह या फार्म से खरीदे जायें जहां बीनारी की कोई घटना न घटी हो. पशुओं का ही फार्म में प्रवेश होना चाहिये. इस सावधानी के बरतने से बीमारियों से बचा जा सकता है.
नये जानवरों को अलग रखें
जब जानवरों का पहली बार फार्म के अन्दर प्रवेश होता है तो यह आवश्यक है कि उनको 15-20 दिन तक अन्य जानवरों से अलग रखा जाये. यह इसलिये किया जाता है कि कोई भी बीमारी जो कि नये जानवरों में हो उसके लक्षण सामने आने का मौका दिया जाए. इस दौरान जानवरों की बीमारियों तथा परजीवियों की उपस्थिती के लिये बारीकी से जांच की जानी चाहिये. रोगों में एंटी यूनियन की ड्यूरेशन बीमारी के अनुसार बढ़ सकती है. रैबीज जैसी बीमारी छह महीने में पता चलती है.
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