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Animal Husbandry: पशुओं को आग लगने की घटना से बचाने के लिए क्या करें क्या नहीं, जानें यहां

गर्मियों में पशु बहुत जल्द बीमार होते हैं. अगर ठीक से इनकी देखरेख कर ली जाए तो हम पशुओं को बीमार होने से बचा सकते हैं.
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. पशुपालन के दौरान पशुओं का बहुत ज्यादा ख्याल रखना पड़ता है. नहीं तो पशुओं को परेशानी हो सकती है. जैसे गर्मी से बचाव के लिए कई इंतजाम करना होता है. वैसे ही पशुओं को किसी अनहोनी से बचाने के लिए भी पशुओं के शेड में इंतजाम होने चाहिए. मान लीजिए अगर कभी किसी वजह से शेड में आग लग जाए तो फिर पशुओं को उससे बचाने का इंतजाम होना चाहिए. अगर ऐसा न किया गया तो फिर एक झटके में लाखों रुपए का नुकसान हो सकता है. इससे डेयरी फार्मिंग का बिजनेस एक झटके में बंद हो जाएगा. इसलिए बेहद ही जरूरी है कि पहले एहतियात बरत ली जाए.

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि आमतौर पर गर्मी के दिनों में आग लगने की घटना ज्यादा होती है. कई बार खेत के पास पशुओं का शेड होता है तो उस वक्त शेड में शेड में आग लगने का खतरा ज्यादा होता है. क्योंकि गर्मी के दिनों में गेहूं की फसल में अक्सर आग लग जाती है. दरअसल, ऐसा इसलिए होता है कि हाईटेंशन तार खेतों से होकर ​गुजरते हैं और कई बार गिर जाते हैं तो फिर आग लग जाती है. पशु निदेशालय, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग बिहार सरकार की ओर से इस बारे में एडवाइजरी जारी की गई है. ताकि आप अपने पशुओं को सेफ रख सकें. आइए इस बारे में डिटेल से जानते हैं.

क्या करें
डेयरी एनिमल के शेड के पास आग बुझाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी तथा बालू मि‌ट्टी रखा जाए.

अगर शेड में बिजली आपूर्ति होती हो तो बिजली वायरिंग की समय-समय पर जांच तथा मरम्मत करायी जानी चाहिए.

फूस के बने हुए पशु-शाला की दीवारों पर मिट्टी का लेप लगाना चाहिए.

आग लगने पर आस-पड़ोस के लोगों के सहयोग से आग बुझाने का प्रयास करना चाहिए.

जरूरत होने पर आग बुझाने के लिए फायर बिग्रेड एवं स्थानीय प्रशासन को सूचित किया जाना चाहिए.

पशुओं के जलने पर तत्काल पूरे शरीर पर ठंढा पानी डालना चाहिए.

तुरंत ही स्थानीय पशु चिकित्सालय से सम्पर्क करना चाहिए.

क्या ना करें
एनिमल शेड के पास दीपक, लालटेन, मोमबत्ती या आग नहीं रखना चाहिए.

कटनी के बाद फसल अवशेषों को खेतों में नहीं जलाया जाना चाहिए.

जलती हुई माचिस की तिली, बीड़ी सिगरेट के जलते हुए दुकड़े, जलती हुई अगरचती इत्यादि यत्र-तत्र नाहीं फेंकना चाहिए.

ठंड से बचाव के लिए पशुओं को सिंथेटीक सामग्रियों से बने कपड़ों से नहीं ढकना चाहिए.

शेड के संकरे एवं बंद स्थान पर नहीं बनाया जाना चाहिए.

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