नई दिल्ली. जब डेयरी कारोबार को बढ़ाने के लिए किसान किस पशु को खरीदना चाहते हैं तो इसका फैसला उसके पास उपलब्ध संसाधन व उस क्षेत्र की अनुकूलता पर निर्भर करता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि पशु नस्ल पर निर्णय स्थानीय पशुचिकित्सक, कृषि विज्ञान केन्द्र और किसान कॉल सेंटर से करन लेना चाहिए. फिर किसी नतीजे पर पहुंचाना चाहिए. इससे फायदा मिलेगा. एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि पशुओं को ऐसे फार्म सरकारी या निजी संस्थान जहां पर नियमित रूप से टीबी, जेडी, ब्रुसेलोसिस, आईबीआर इत्यादि रोगों की जांच की जाती है और बीमार पशुओं को हटाया जाता है तो वहां से खरीदना फायदेमंद रहता है.
पशु को किसान के बाड़े से खरीदना बेहतर होता है न कि बाजार या मेले से. क्योंकि बाजार में रोग फैलने का जोखिम ज्यादा होता है. पशु खरीदते समय पशुओं की हैल्थ को चेक करने के लिए देखें कि उनकी आंखें, चमकीली साफ और प्रवाह से रहित हों, पपड़ीदार व खून भरी न हों. वहीं पशु ठंडा हो, नम थूथन हो. नियमित जीभ फेरने के साथ नियमित सांस लेता हो. घरघराहट, खांसी, छींक या अनियमित सांस के प्रति सतर्क रहना चाहिए.
इस तरह के पशु को न खरीदें
पशु के बाल चमकदार, साफ और उलझन रहित, चिचड़ों से रहित होने चाहिए. नस्लीय औसत वजन, कमजोर व दुबले पशुओं के प्रति भी सतर्क रहें. चाल-चलन की बात की जाए तो पशु आसानी से चलें, लंगड़ा के नहीं. धीमी या असंगत चाल या बैठते समय कूबड़ से सावधान रहें. उठते समय पशु को कठिनाई न हो. अगर दिक्कत होती है तो ऐसे पशु को न खरीदें. थन का आकार जरूरी तौर पर एक अच्छे थन की ओर इशरा करता है. इसके आगे उन्नत दूध शिराएं होनी चाहिए. थन लदा हुआ और ज्यादा मांसल नहीं होना चाहिए. गाय को चलते समय ध्यान से देखें, थन एक तरफा झुका हुआ नहीं होना चाहिए.
इन बातों का भी ध्यान दें
पुश का इतिहास जानाना भी जरूरी है. पशु के प्रसव की संख्या, पूर्ववर्ती ब्यात में दूध उत्पादन का अभिलेख, कोई विशेष बीमारी जैसे धनैला, गर्भाशय चंश, जेर का रुकना, प्रसव में कठिनाई, दूध ज्वर इत्यादि की डिटेल हिस्ट्री का रिकॉर्ड जरूर चेक कर लें. उम्र की बात की जाए तो इसका हैल्थ से कोई संबंध नहीं है लेकिन फिर भी किसान पशु के दांत देखकर उम्र का पता लगा लेते हैं. परिवहन के दौरान वे सभी कदम उठाने चाहिए. जिससे पशु को तनाव से बचाया जा सके. पर्याप्त पीने का पानी, चारा, स्थान, आदि आदि पशु को एक नियमित अंतराल पर परिवहन के दौरान उपलब्ध कराना चाहिए. ताकि उन्हें तनाव और उससे होने वाली बीमारियों से बचाया जा सके. कुछ बिछावन जैसे धान-पुआल बिछाकर उन्हें फर्श भी मुहैया कराना चाहिए.
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